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एक बाप का त्याग

मेरी आवाज़ सुनो
मेरी आवाज़ सुनो
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अपनी कार से उतरकर मैं सीधे ऑफिस के अपने केबिन में प्रवेश किया / बैग को टेबल पर रखा और उस पर रखे कागजातों तथा फाइलों पर नज़र डाली / आज बहुत कम काम निपटाने थे / एक -एक कर मैं उन फाइलों और कागजातों को उलट-पुलट कर देखने लगा / अचानक मेरी नज़र एक बंद लिफाफे पर पड़ी / शायद कल की डाक से आई थी / यह लिफाफा कोई और नहीं, मेरे आफिस के पिउन की भेजी गई थी जिसकी मृत्यु पिछले सप्ताह नदी में डूब जाने से हो गई थी / मैंने उस बंद लिफ़ाफ़े पर लगे पोस्ट-ऑफिस के स्टाम्प पर नज़र डाली यह लिफाफा उसने अपने मृत्यु के दो दिन पहले पोस्ट किया था / ठीक जिस दिन से वह छुट्टी पर था / हाथों में लिफाफा लिए -लिए मुझे ऑफिस में उसके साथ बिताए पांच साल की यादें ताज़ा हो गई /
नाटे कद काठी का , गठीला बदन , रंग गेहुंआ, ऑफिस में हाफ पेंट और हाफ बाँहों वाला खाकी सर्ट पहने उसका उम्र का अनुमान लगाना मुश्किल था / हालाँकि जब पांच साल पहले मैं इस ऑफिस में ज्वाइन किया था तब वह लगभग चौवन वर्ष का होने वाला था / मुझे देखते ही वह पहले सलाम साब कहा था फिर मेरी हाथों से मेरा बैग लेकर मेरे केबिन में टेबल पर रखते हुए कहा था -” साब जी इस टेबल पर बैठने वाले साब लोगों की मैंने पिछले पैतीस सालों से सेवा की है / अब आपको किसी चीज की जरुरत हो तो मुझसे कहिएगा /”
मैंने जब उससे उसका नाम जानना चाहा तो वह अपने दोनों हाथों को जोड़कर तथा सर को झुकाकर कहा ” साब जी ऐसे तो हमार नाम रामसहाय सहानी है लेकिन ऑफिस में बाबू लोग हमके रामू काका कहत है / ”
“तब तो मैं भी आप को रामू काका ही कहकर पुकारूंगा /”
“जैसी मर्जी आपकी साब /”
” घर में कौन -कौन है ? ” मैंने उससे परिचय बढ़ाना चाहा /
” साब, मेहरी थी / उ तो पिछले साल ही चल बसी / बड़ी बीमार रहती थी / दुई गो बेटी थी / मेहरी के ज़िंदा रहते ओहकनि के शादी- बिआह कई देहनी साब / सब अपना -अपना घर में रहत है / एगो बिटवा है साब / ओहकरा का आदमी ना बनावे पाइनि साब जी /”
” पढाई -लिखाई कहाँ तक किया है आपका बेटा ? ” मैंने उससे पूछा /
” कहवाँ पढाई-लिखाई कइलख ससुरा / आवारा निकल गवा साब / चौथी तक केहुँग पढ़ा है / ओहकरे चिंता त हमके खाय जात ह / ”
” अभी क्या करता है ? ”
” कुछु नहीं करता है साब / दिन भर आवारागर्दी करत है / रात को दारु पीकर आवत है / हमार मेहरी के कवनों मरे का उमर था / उ त ओहकरे चिंता में बीमार पड़ गई और मर गई / ”
” कितना उमर है उसका ”
” साब, बाइस बरस का हो गवा है लेकिन बुद्धि एको पैसा का नहीं है / मेहरी के मर जाने के बाद लोगों ने कहा की शादी करा दो तो सुधर जाएगा और घर चलाने वाला भी मिल जाएगा तो मैंने उसकी शादी भी करवा दी लेकिन उसमे कवनो सुधार नहीं आया / उलटे वह अपनी मेहरिया को ही रोज मारने पीटने लगा / एक दिन वह भागकर अपने मायके चली गई फिर नाही आई / ‘
मुझे उसके घरेलु कहानी बहुत रोचक लग रही थी / लेकिन मेरा इस ऑफिस में पहला दिन था और मुझे अपना काम भी समझना था, बाकि के सहकर्मियों से परिचय करना था इसलिए मैंने बात आगे नहीं बढ़ाई /
फिर मैं समय मिलते ही उसके घर का समाचार लेता / उसके बात-चीत से मुझे महसूस हुआ की वह अपने बेटे के भविष्य के लिए बहुत चिंतित रहता था /
वह अपने बेटे की करतूत को अक्सर मुझसे साझा करता /
एक दिन उसने मुझसे बताया की वह अपने बहु के मायके गया था / उसने बहु को बहुत समझाया की तुम उसके साथ रहोगी तो धीरे-धीरे सुधार जाएगा / बहु आने को तैयार थी लेकिन उसके माता-पिता ने उसे साफ़ शब्दों में कह दिया की जब तक वह कोई काम नहीं करता और शराब पीना नहीं बंद करता तब तक वे अपने बेटी को ससुराल नहीं भेजेंगे /
एक दिन जब मैंने उसे देखा तो उसके चेहरे पर चोट के कुछ निशान दिखाई दिए / मैंने उससे पूछा -“क्या हुआ रामू काका, चोट कैसे लगी /”
उसने बड़े उदास मन से कहना शुरू किया -” क्या कहूँ साब जी / कल रात में शराब के नशे में हमार बिटवा ने हमको बहुत मारा /”
” क्यों मारा /” मुझे यह सुनकर बहुत गुस्सा आ रहा था /
” साब जी रुपया मांग रहा था / वेतन मिलते ही आधे से ज्यादा वेतन तो वही ले लेता है / बाकि के आधे में किसी तरह घर का ख़र्चा और उधारी सोध करता हूँ / अब महीना का अंत चल रहा है तो मैं कहाँ से रुपया दूँ साब जी / इसी बात पर मुझसे लड़ने लगा और मुझपर हाथ चला दिया / मैंने जब उसे रोकना चाहा तो मुझे बहुत मारा / ”
” तुम उसके हाथ में पैसे क्यों देते हो?/”
” साब देता कहाँ हूँ जबरदस्ती छीन लेता है /”
“तुम उसके लिए कुछ काम की व्यवस्था क्यों नहीं कर देते कम से कम अपना और अपने पत्नी का तो पेट पालता /”
“साहब कौन रखेगा उसको काम पे / कुछ रुपया लगाकर एक दुकान खोल दिया था वह भी नहीं चला पाया / सब बेचकर दारु और जुआ में उड़ा दिया / रिक्शा खरीद दिया था की उसे चलकर कुछ कमाएगा तो वो भी किसी से बेचकर जुआ में उड़ा दिया / मेहरी के सब गहने , घर के सारे बर्तन बेंच दिए है ससुरे ने /”
” तो तुम उसे घर से निकल क्यों नहीं देते ? अपने माथे पर पडेगा तो सब सीख जाएगा /”
” नाही साब कैसे निकाल दूँ / वह मेरा एकमात्र औलाद है / मैं मरुँगा तो उसी के हाथों मुझे मुक्ति मिलेगी साब जी / मेरे घर का चिराग है साब / जब तक मैं ज़िंदा हूँ तब तक उसके लिए कुछ न कुछ तो कर ही जाऊंगा आखिर जब मैंने उसकों जनम दिया है तो करम भी देना मेरा ही जिम्मेवारी है न साब /”
मुझे उसे अपने बेटे के प्रति आये इस अचानक प्रेम से गुस्सा भी आ रहा था और उसके इस सोच से आश्चर्य भी हो रहा था /उसे लगता था की वो अपने बेटे को कहीं सेट ना करके अपनी जिम्मेवारी नहीं निभा पा रहा है /
अक्सर वो इस बात का रोना रोता की वह अपने बेटे को लायक नहीं बना पा रहा है /
उसके बात-चित से लगा की उसके बेटे को बचपन के लाड -प्यार ने उसे बिगड़ दिया / दो बेटियों के बाद एक बेटा हुआ था / उसका देख-भाल में पति-पत्नी कोई कसर नहीं छोड़े थे / लेकिन बेटे ने उनके लाड -प्यार का जम कर मजा उठाया था / बहुत कम उमर में ही वह नशे का आदी बन गया था / अक्सर नशे में धुत होकर वह घर आता / अपनी माँ और बहनों से लड़ता / घर से गहने और कीमती वस्तुएं चुराकर बेच देता और जुआ खेल जाता / माँ उसके इस स्वभाव से बहुत दुखी रहती / बेटियों के शादी में अच्छा-खासा खर्च हुआ / काफी कर्ज ले लिए गए थे / उसे सोध किया जा रहा था / घर में अब बेचने लायक कुछ नहीं बचा था / अब वह माँ से हमेशा पैसा के लिए लड़ता / बात-बात पर मारने पर उतारू हो जाता / हाथा- पाई भी कर लेता / माँ चिंतित रहने लगी / फिर धीरे-धीरे बीमार रहने लगी और अचानक एक दिन चल बसी / रामू काका के साथ काम करते हुए मुझे पांच साल हो गए थे / पंद्रह दिन पहले ही मुझे पद्दोनति मिला था / मेरी बदली का भी आदेश आ गया था / अगले महीने मुझे दूसरे जगह पर चले जाने था /
जब रामू काका को यह समाचार मिला तो वह मेरे पास आये और बोले –
” साब जी अब तो आप हमहन के छोड़के चले जाइएगा /”
” हाँ वो तो जाना पड़ेगा / लेकिन आप की बहुत याद आयेगी / आप को भूल पाना मुश्किल है / ‘
” साब जाते -जाते मेरी एक विनती सुन लेहल जात तो बहुत मेहरबानी होत /”
” क्या बात है बोलो ”
” साब आप तो अब बड़े साब हो गए है / मेरे बेटे को कसहु सेट कर देते तो मैं निश्चिं हो जाता /’
मैं उनकी बातों को सुनकर मुस्कुराने लगा और बोला
” यह तो सरकारी ऑफिस है और यहाँ किसी को नौकरी देना किसी के बस की बात नहीं / यहाँ तो केवल कम्पीटिशन के माध्यम से ही नौकरी मिलती है /”
फिर वे हाथ जोड़कर कहने लगे ” कोई उपाय कीजिये साब जी / हमार नौकरी औरो एक साल का है / उसके बाद उसका क्या होगा साब जी / कवनो रास्ता निकलिए /”
मैंने हँसते हँसते मजाकिये अंदाज़ में उनसे कहा-” तो फिर आपको मरना होगा तभी आपके जगह पर आपके बेटे की नौकरी होगी /
इतना कह कर मैं अपने काम में व्यस्त हो गया था /
अगले दिन रामू काका छुट्टी का आवेदन लेकर मेरे पास पहुंचे /
मैंने उन्हें दो दिनों की छुट्टी मंजूर की लेकिन पाँच दिनों के बाद भी जब वे ऑफिस नहीं आये तो उनके घर पर खबर भिजवाया गया / पता चला की वे नदी में नहाने गए थे / उन्हें तैरना नहीं आता था वे उसी में डूब कर मर गए /
इस समाचार को सुन कर पूरा ऑफिस सन्न रह गया था / काम और व्यवहार से वे हमारे आफीस में सबके चहेते थे /
मैं उनकी इन यादों में इस तरह खो गया था की मुझे लिफाफे को खोलने का सुध नहीं रहा /
तुरंत मैंने लिफाफे को खोला / उसमे एक छोटे से कागज़ के टुकड़े में रामू काका ने जो लिखा था वह पढ़कर मैं अपनी आंसू नहीं रोक पाया /
उसमें लिखा था -साब जी मैं आपकी सलाह मान ले रहा हूँ / आप हमर बिटवा को मेरी जगह पर जरूर नौकरी दिलवा दीजिएगा / जब बाप का सब फर्ज निभाए है तो इस अंतिम फ़र्ज़ को निभाने से मैं पीछे काहे हटू साब / नमस्कार /

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