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भारत का गणतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष , समाजवादी स्वरुप

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भारत का संविधान, संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। हालाँकि संबिधान के मूल प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवाद शब्द का उल्लेख नहीं था लेकिन १९७६ में हुए ४२वें संशोधन अधिनियम द्वारा ऐ शब्द प्रस्तावना में जोड़ा गया। जो भी हो हम अपने देश के गणतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष , समाजवादी स्वरुप पर बहुत गर्व महसूस करते है / लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की जब एशिया के अधिकांस देश विशेषकर अपने पडोशी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान , बंगलादेश , चीन में धार्मिक , तानाशाही या सेना का शासन चलता है तब भारत कैसे अपनी गणतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष , समाजवादी स्वरुप को बचाये रखने में अब तक सफल रहा है ?
भारत के गणतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष , समाजवादी देश होने का एकमात्र कारण है यहाँ हिन्दुओं का बहुसंख्यक होना / क्योकि वसुधैव कटुम्बकम में विश्वास करने वाली हिन्दू संस्कृति स्वयं में गणतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष , समाजवादी विचारधारा वाली संस्कृति है / शायद यही कारण था जिसके लिए तत्कालीन संबिधान निर्माताओं ने संबिधान में धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी शब्द का प्रयोग करने की जरुरत महसूस नहीं की / जिस दिन हिन्दू इस देश में अल्प्संखयक हो जाएगा उसी दिन भारत का गणतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष , समाजवादी स्वरुप नष्ट हो जाएगा और यह हम भारतवासियों के विनास का कारण बन जाएगा / अतः भारतवर्ष के गणतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष , समाजवादी स्वरुप को बनाये रखने के लिए हिन्दू संस्कृति को बचाना बहुत जरुरी है /

निचे के चित्रो से संबिधान निर्माताओं के संबिधान में इस संस्कृति को प्रमुखता दिए जाने की मंशा का प्रमाण मिलता है /

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