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क्या प्रेम ,युद्ध और राजनीति में सब कुछ जायज ?

sach ke liye sach ke sath
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कहा जाता है कि प्रेम ,युद्ध और राजनीति में सब कुछ जायज होता है | सत्ता प्राप्ति के लिए साम –दाम ,दंड –भेद यानि येन केन प्रकारेण जीत हासिल करना ही भारतीय राजनीति का सच है |धन बल , बाहुबल चुनावी राजनीति की अनिवार्यता बन चुका है |पक्ष –प्रतिपक्ष पर आरोप –प्रत्यारोप एक सामान्य सियासी कवायद रही है परन्तु इस आरोप –प्रत्यारोप कि कवायद में भाषायी मर्यादा कि एक लक्ष्मण रेखा हुआ करती थी जिसका सम्मान कम से कम संसदीय चुनावों में उभय पक्ष करते थे| भाषायी मर्यादा कि एक लक्ष्मण रेखा का सम्मान भारतीय जनता पार्टी में अटल –आडवाणी के बर्चस्व तक तो होता रहा परन्तु जबसे मोदी युग कि शुरुवात हुई है भाषायी मर्यादा तार तार होने का सिलसिला शुरू हुआ है जिसे लोकतंत्र के लिए कत्तई शुभ संकेत नहीं माना जा सकता |
आज गुजरात की सियासी रणभूमि में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जैसा सतही और भोंडा प्रहार किया है उसने एक सबाल खड़ा किया है |सबाल यह कि क्या प्रेम ,युद्ध और राजनीति में सब कुछ जायज होता है यह मानते हुए प्रधान मंत्री के संवैधानिक पद पर बैठा राजनेता इस देश के पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर बिना किसी ठोस प्रमाण ,बिना किसी आधार के अपरोक्ष रूप से दुश्मन देश के राजनयिक से गुप्त बैठक करने का आरोप चुनावी रैली में लगा सकता है ?
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी ने आज गुजरात कि चुनावी रैलियों में यह आरोप लगाया कि कांग्रेस के निलंबित नेता मणिशंकर अय्यर के आवास पर पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पाकिस्तानी राजनयिक के साथ अहमद पटेल को गुजरात का मुख्य मंत्री बनाने के लिए ढाई तीन घंटे गुप्त मीटिंग की जिसकी सूचना विदेश मंत्रालय को नहीं दी गई|
प्रधान मंत्री को यह बताना चाहिए कि उनकी इस अति गंभीर सूचना का श्रोत क्या है ? इस संवेदनशील जानकारी को चुनावी रैली में उजागर करके क्या उन्होंने उस संवैधानिक शपथ का उल्लंघन नहीं किया है जिसके निर्बहन की संवैधानिक जिम्मेवारी उन पर है |
चुनावी रैली में देश के पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर आरोप लगाने का मकसद सिर्फ और सिर्फ गुजरात के चुनावों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना है इसमें किसी संशय की गुंजाईश नहीं है |यह भी तय है कि नरेंद्र मोदी ने प्रधान मंत्री की पदीय गरिमा से बहुत घटिया मजाक किया है |अपने सियासी स्वार्थ साधने के लिए उन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर जैसे सतही आरोप लगाये हैं उनकी अनदेखी यह कहकर नहीं की जानी चाहिए कि प्रेम युद्ध और राजनीति में सब कुछ जायज होता है |
सनद रहे कि बिहार विधान सभा के चुनाव के समय भी नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के नेता मणिशंकर अय्यर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने पाकिस्तान जा कर पाकिस्तानी हुक्मरानों से उनको हटाने की गुहार लगाईं थी | नरेंद्र मोदी को बहैसियत प्रधान मंत्री यह बताना चाहिए कि यदि उनके सफाए कि साजिश करने मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान गए थे तब वह आज तक गिरफ्तार क्यों नहीं किये गए ? स्पष्ट बहुमत की सरकार के प्रधान मंत्री हैं किसने रोका है उनको कार्यवाई करने से ?
पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर नरेंद्र मोदी ने जो आरोप लगाये हैं उनका सच देश जानना चाहता है | वह प्रमाणित करें कि उन्होंने जो आरोप लगाये हैं वह सच हैं ,उनके आरोप सियासी मकसद की कोख से पैदा नहीं हुए हैं| यदि वह इस देश को अपने आरोप का सच नहीं बताते तब यह देश उनको कत्तई माफ़ नहीं करेगा यह उनको समझ लेना चाहिए |

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