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सूबे के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ हों ,देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या प्रदेश और केंद्र सरकार के मंत्री भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टालरेंस की बातें करते हैं |जबकि योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने जन सभा में ख़म ठोक कर कहा की पूर्ववर्ती सरकार से कई गुना ज्यादा भ्रष्टाचार योगी सरकार में है |बिना रिश्वत किसी कार्यालय में कोई काम नहीं होता |बकौल राजभर पूर्ववर्ती सरकार में रिश्वत की जो दरें 500 रुपये थी इस सरकार में दस गुना ज्यादा हो गई हैं|
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पूर्वांचल विद्युत् वितरण मंडल के नगरीय विद्युत् वितरण मंडल दो में भ्रष्टाचार का एक मामला प्रकाश में आया है | विभाग में लेबर सप्लाई का करोड़ों का ठेका विभागीय नियमों को ठेंगा दिखाते हुए एक ऐसी फर्म को दे दिया गया जो विभाग में पंजीकृत ही नहीं थी |निविदा संख्या 34/न .वि.वि.म .द्वि(वा .)/2016-17 के लिए निविदा शर्तों के मुताबिक वही फर्म /ठेकेदार टेंडर डाल सकता था जो विभाग में श्रेणी क के अंतर्गत पंजीकृत हो |
हैरानी की बात यह है कि यह ठेका ऐसी फर्म को दे दिया गया जो श्रेणी क के अंतर्गत विभाग में पंजीकृत ही नहीं थी | भ्रष्टाचार का आलम यह रहा की इस फर्म की इ.पी .एफ ./इ.एस.आई तक की जांच करने की जरुरत सम्बंधित अधिकारीयों ने नहीं समझी |
भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि ठेका 1जून2016 को दिया गया और जिस फर्म को ठेका दिया गया उसका श्रेणी क के अंतर्गत पंजीयन तीन महीने बाद 12सितम्बर 2016 को किया गया|जिस फर्म को ठेका दिया गया उसे काली सूची में डालने की मुख्य अभियंता वितरण क्षेत्र वाराणसी की अनुशंसा विभागीय पत्रावली में मौजूद है |
इन पंक्तियों के लेखक ने उक्त गोरखधंधे के दस्तावेजी सबूत पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम लिमिटेड वाराणसी के प्रबंध निदेशक श्री अतुल निगम को विगत 26 दिसंबर017 को सौप कर उनसे कार्यवाई का अनुरोध किया| इन पंक्तियों के लिखे जाने तक प्रबंध निदेशक के स्तर पर कोई कार्यवाई नहीं की गई |इससे समझा जा सकता है की सिर्फ निजाम बदला है ,भ्रष्टाचार बदस्तूर जारी है|भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस सिर्फ और सिर्फ एक सियासी जुमलेबाजी है |ब्यूरोक्रेसी की कार्य संस्कृति में इस निजाम में भी कोई परिवर्तन जमीन पर नजर नहीं आ रहा |
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