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किसानों के प्रति भी ईमानदार नहीं भाजपा सरकार :मारे गए 6 किसान

sach ke liye sach ke sath
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मध्य प्रदेश के मंदसौर में भाजपा के ही वायदों पर अमल किये जाने की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों पर हुई गोली बारी ने भाजपा को बेनकाब कर दिया है ,इसकी कथनी और करनी के सच को देश ने देखा है। गोली काण्ड में मारे गए किसानों की संख्या 6 हो गई है। लोकतान्त्रिक तरीके से चल रहे किसान आंदोलन को कुचलने की यह शर्मनाक हिटलरी कोशिस है।
इसके पहले दिल्ली में बदन जलाऊ गर्मी में किसानों ने नंगे बदन ,इस सरकार की नीतियों की वजह से आत्महत्या करने वाले किसानों के नरमुंड के साथ ,अस्थि कलश के साथ प्रदर्शन किया पर किसानों के लिए लच्छेदार जुमलेबाजी कर घड़ियाली आंसू बहाने वाले ,किसानों का 70 हजार करोड़ का कर्ज माफ़ करने वाली मनमोहन सरकार और कांग्रेस पर वाहियात आरोप लगाने वाले ,चुनिंदा कारपोरेट घरानों का 1 लाख 40 हजार करोड़ का कर्जा माफ़ करने वाले स्वयंभू प्रधान सेवक ने किसानों से मिलने की जरुरत न समझी।
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नोटबंदी के तुगलकी फैसले के बाद नरेंद्र मोदी से जब कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस का प्रतिनिधि मंडल मिला ,उनको पूरे देश से संकलित किसानों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंपे तब मंचों पर ताली पीट पीट कर नाटकीय भाषण देने वाले वाणीवीर नरेंद्र मोदी ने यह औपचारिकता तक न निभाई की किसानों की समस्या पर कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल द्वारा दिए गए ज्ञापन पर विचार किया जायेगा। पूरे देश ने वह दृश्य देखा जिससे लगा की वाणीवीर नरेंद्र मोदी की जुबान को मानो लकवा मार गया हो। विपक्ष में रहते हुए किसानों की आत्महत्या पर आग उगलने वाली भाजपा सत्ता पर काबिज होते ही किसानों की आत्महत्या को तरह तरह के कुतर्कों से परिभाषित करने लगी।
मध्य प्रदेश के शर्मनाक गोली काण्ड के बाद शिवराज सरकार के बचाव में उत्तरी भगवा प्रवक्ताओं की टीम ने हास्यास्पद कुतर्क देने शुरू किये हैं की जो कुछ हुआ उसके लिए कांग्रेस दोषी है। शिवराज सरकार की नाकामी , शिवराज सरकार के नाकारापन का बचाव कुतर्कों के जरिये किया जा रहा है। आंदोलनरत किसानों ने पहले से शिवराज सरकार को आगाह कर दिया था की यदि उनकी जायज मांगों को नहीं सुना गया तब किसान आंदोलन उग्र रूख अख्तियार कर सकता है।थोड़ी देर के लिए भगवा कुतर्कों को सच मान लिया जाये तब भी शिवराज सरकार अपनी नाकामी से बच नहीं सकती। उसका ख़ुफ़िया तंत्र क्या कर रहा था ? उसकी एलआईयू क्या कर रही थी ,जिसकी तैनाती ही विभिन्न जनांदोलनों की पल पल की रिपोर्टिंग के लिए होती है ?
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एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसानी शुरू कीं तो किसानों ने पथराव कर दिया. पुलिस ने भी पत्थरों का इस्तेमाल किया. इसी दौरान पुलिस ने गोलीबारी शुरू कर दी.पुलिस गोलीबारी के बाद किसान और उग्र हो गए हैं और उन्होंने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया है, मगर आक्रोशित लोग सड़कों पर हैं.दूसरी ओर, राज्य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने भोपाल में संवाददाताओं से कहा कि गोली पुलिस ने नहीं, बल्कि आंदोलन में घुस आए शरारती तत्वों ने चलाई है, जिनसे पुलिस सख्ती से निपटेगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर की घटना पर भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपात बैठक की और मामले की न्यायिक जांच कराने की घोषणा की.
कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जहां आज के दिन को प्रदेश के लिए ‘काला दिन’ कहा, वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी के न्यू इंडिया में किसानों के साथ ऐसे बर्ताव की निंदा की है.
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘बीजेपी के न्यू इंडिया में हक मांगने पर हमारे अन्नदाताओं को गोली मिलती है?’ मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि मारे गए किसानों का कसूर सिर्फ इतना था कि वे अपनी फसलों का उचित दाम मांग रहे थे.

आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास का ट्वीट है, ‘खेत का खून कर दिया महलों के ‘व्यापम राज’ ने, अन्नदाता पर चलाईं गोलियां ‘शवराज’ ने..!’

चतुर्दिक विपक्षी हमलों से घिरे शिवराज सिंह चौहान ने आनन-फानन में मुख्यमंत्री निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कहा, ‘मध्य प्रदेश सरकार किसानों की सरकार है. मेरी सरकार ने किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाये हैं. किसान आंदोलन के दौरान जो लोग हिंसा कर रहे हैं, वे किसान नहीं बल्कि असामाजिक तत्व हैं. वे किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं.
यदि शिवराज सच बोल रहे की हिंसा शरारती तत्वों ने की तब उनको बताना चाहिए की मौके पर मौजूद पुलिस बल क्या कर रहा था .खोखले कुतर्कों से शिवराज सरकार अपनी जायज मांगों को लेकर पिछले पांच दिनों से आंदोलन रत किसानों पर लाठियां ,गोलियां बरसाने ,६किसानों की व्यवस्था पोषित हत्या कराने ,लोकतान्त्रिक तरीके से शुरू किसान आंदोलन के प्रति असंवेदनशीलता बरतने ,आंदोलन को कुचलने के लिए हिटलरी रवैय्या अख्तियार करने ,खुफिया तंत्र के फेल होने की जबाबदेही से बच नहीं सकते .उनको जनता की अदालत में इसका जबाब देना होगा और जनता भी उनको सही वक्त पर अपना माकूल जबाब अवश्य देगी .

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