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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज में हुई 26 मरीजों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत पर हमारी व्यवस्था को गम्भीरता से विचार करना चाहिए। इन मौतों की जबाबदेही तय की जानी चाहिए। किंग जार्ज मेडिकल कालेज प्रबंधन परिस्थितियों से निपटने में पूर्णतया नाकारा सिद्ध हुआ है। उससे हड़ताली चिकित्सकों की मांगों के सन्दर्भ में रणनीतिक और प्रशासनिक चूक हुई इससे इंकार नहीं किया जा सकता। इस बात की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए कीचिकित्सकों के चिकित्सा कार्य से पूर्णतया विरत रहने से उत्पन्न परिस्थितयों से निपटने के लिए किंग जार्ज मेडिकल कालेज प्रबंधन ने सरकारी और निजी चिकित्सालयों से चिकित्सकों की सेवा हासिल करने का प्रयास क्यों नहीं किया ? प्रयास किया होता तब उन जिंदगियों को बचाया जा सकता था जो काल के क्रूर चक्र ने छीन लीं।
धन की अंधी दौड़ ने चिकित्सा का ऐसा बाजारीकरण किया जिसने चिकित्सकों को आर्थिक समृद्धि जरूर दिलाई परन्तु मरीजों ,उनके परिजनों और समाज की नजर में उनकी विश्वसनीयता समाप्त कर दी। किंग जार्ज मेडिकल कालेज में भर्ती मरीजों के लिए चिकित्सक यमदूत सिद्ध हुए। चिकित्सकों की हड़ताल 26 मरीजों की मौत के बाद टूटी। देश के जाने माने चिकित्सा संस्थान सर सुन्दर लाल चिकित्सालय (बीएचयू ) में भी चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से मरीजों की मौत के कई मामले सामने आते रहे हैं।
इन दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थियों से निपटने के वैकल्पिक उपायों पर चिकित्साधर्मियों को एक प्रभावी कार्ययोजना पर विचार करना चाहिए। चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से मरीजों की मौत के कलंकित इतिहास की पुनराबृत्ति न हो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। चिकित्सकों को भी अपनी मांगों के लिए विरोध प्रदर्शन के ऐसे अमानवीय तौर तरीकों से जो मरीजों की मौत की वजह बनें बचना चाहिए। चिकित्सा कार्य से पूर्णतया विरत रह कर यमदूत बनने का अधिकार उनको कत्तई नहीं दिया जाना चाहिए। जापान की एक जूता फैक्ट्री में हुई कामगारों की हड़ताल की चर्चा प्रासंगिक है। हड़ताली कामगारों ने हड़ताल तो की परन्तु उत्पादन प्रभावित न हो इसका ध्यान भी रखा। इन हड़ताली कामगारों ने हड़ताल अवधि में सिर्फ एक पैर का जूता बनाना जारी रखा। यह सच है की व्यवस्था के नक्कारखाने में विरोध के स्वर या तो सुने नहीं जाते या उनका गला घोंटने का प्रयास किया जाता है। परन्तु चिकित्सकों का अपने चिकित्सा धर्म से विरत होना कत्तई उचित नहीं है।विरोध के अन्य विकल्पों पर चिकित्सकों को विचार करना चाहिए। प्रकारांतर से चिकित्सा कार्य से पूर्णतया विरत रहना एक निंदनीय सामाजिक अपराध है।
हमारी विधायिका को चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से मरीजों की मौत के सबाल पर आत्म मंथन करना होगा। ऐसे कानूनी प्राविधान करने होंगे जो हड़ताल की वजह से किसी मरीज की मौत न हो यह सुनिश्चित करे।चिकित्सा कार्य से पूर्णतया विरत रहने को दण्डनीय अपराध की श्रेणी में शामिल करने का वक्त आ गया है। ऐसे कानूनी प्राविधान भी करने होंगे जिसमे चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से मरीजों की मौत के लिए उनके परिवार को आर्थिक मुआवजा मिले।
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