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दिल्ली ,बिहार , पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों में भगवा पल्टन के स्टार प्रचारक नरेन्द्र मोदी का मैजिक फ्लॉप शो सिद्ध हुआ था। उत्तर प्रदेश में हाशिये पर खड़ी भाजपा पेड मीडिया के सहारे फर्श से अर्श तक पहुँचने की जुगत में है। सूबे के भाजपाई क्षत्रपों और मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में भीतर खाने असंतोष और अन्तर्कलह की वजह से भाजपा यू. पी.का चुनावी दंगल बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के दिल्ली ,बिहार , पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों में जनता की अदालत से ख़ारिज किये जा चुके नरेन्द्र मोदी की जुमलेबाजी और विवादित मुद्दों के सहारे जीतना चाहती है।
भाजपा की चुनावी रणनीति पर नजर डालें तो एक बात साफ़ है की उत्तर प्रदेश में अपनी खोई सियासी जमीन तलाशने के लिए सियासी चौपड़ पर निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों के वावजूद मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को दांव पर लगा कर भाजपा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण भी चाहती है और मुस्लिम पंचायतों की सियासी नौटंकी के माध्यम से मुस्लिम तुष्टिकरण भी करना चाहती है। वह खुद तो जातिय गोल बंदी करने के मिशन में जुटी है जबकि सपा और बसपा पर वह जातिवादी पार्टी होने के आरोप लगा रही है।गौर तलब है कि निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है की किसी दल या अभ्यर्थी को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिये, जो विभिन्न जातियों और धार्मिक या भाषायी समुदायों के बीच विद्यमान मतभेदों को बढ़ाये या घृणा की भावना उत्पन्न करें या तनाव पैदा करे। निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है की मत प्राप्त करने के लिये जातीय या साम्प्रदायिक भावनाओं की दुहाई नहीं दी जानी चाहिए।इसके वावजूद भाजपा ने यह साफ़ कर दिया है की वह उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के सियासी चौपड़ पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को दांव पर लगाने का फैसला कर चुकी है। यही वजह है की मोदी अब हर रैली में जय श्री राम का नारा लगाते नजर आ रहे हैं।
भाजपा ने सर्जिकल स्ट्राईक को भी इस चुनाव में भुनाने का फैसला किया है।सर्जिकल स्ट्राईक और सैनिकों की शहादत की आंच पर सियासी रोटियां सेंकने की भाजपा की बेशर्मी ने सर्जिकल स्ट्राईक को विवादों में घसीटा। संभवतया यह पहला अवसर है की कोई सत्ताधारी दल सर्जिकल स्ट्राईक और सैनिकों की शहादत पर सतही सियासत कर रहा है। भगवा पल्टन को अपने खिलाफ कही गई बात को भी विरोधियों के खिलाफ प्रचारित करने में महारत हासिल है। इसे सर्जिकल स्ट्राईक के सन्दर्भ में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के बयान पर भगवा पल्टन के पलटबार से समझा जा सकता है। राहुल गांधी ने सर्जिकल स्ट्राईक पर सियासत कर रहे भाजपा के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी को कटघरे में खड़ा करते हुए दो सही और खरी बात कही थी । पहली यह की हमारे सैनिकों का जो खून बह रहा है उसके पीछे आप हो और दूसरी यह की आप सैनिकों के खून की दलाली कर रहे हो। राहुल गाँधी का इशारा पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले की ओर था की यदि पठानकोट काण्ड के बाद मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाये होते तब उडी में हमारे 19 सैनिकों का खून न हुआ होता। आतंकी हमलों के मोर्चे पर मोदी सरकार की विफलता की वजह से हमारे 19 सैनिक मारे गए। सर्जिकल स्ट्राईक पर क्षुद्र नदी जल भर उतराई की कहावत को चरितार्थ करते हुए उससे सियासी लाभ कमाने ,सियासी रोटियां सेंकने की भाजपा की अनैतिक राजनीति के सन्दर्भ में ही राहुल गांधी ने भाजपा और टीम नरेंद्र मोदी पर सैनिकों के खून की दलाली का आरोप लगाया था। राहुल गांधी ने जिस सन्दर्भ में बयान दिया था उसमे कुछ भी गलत नहीं था।भाजपा ने जनता की सहानुभूति हासिल करने के लिए यह प्रचारित किया की राहुल गाँधी और कांग्रेस सेना को अपमानित कर रही है जो हालात हैं यदि आज कांग्रेस की सरकार होती और भाजपा विपक्षी दल होता तब इसके नेता भी कमोबेश वैसी ही बयानबाजी करते जैसी राहुल गांधी सहित कांग्रेस के नेताओं ने की।
बहरहाल यह तय है की यू.पी. में हाशिये पर खड़ी भाजपा अपने तरकश में विवादित मुद्दों के तीर से विरोधी दलों को परास्त करना चाहती है।सांप्रदायिक ध्रूवीकरण के इरादे से जहाँ वह राम मुद्दे की राख में चिंगारी पैदा करने की कोशिस में है वहीँ सामान नागरिक संहिता का राग भी अलाप रही है। तीन तलाक के बहाने मुस्लिम महिलाओं की सहानुभूति हासिल करना भी भाजपा की सियासी रणनीति है।
यू.पी.की बिडम्बना है की यहाँ आम आदमी से जुड़े मुद्दों की नहीं विवादों राजनीति होती है। यू.पी.विधान सभा का यह चुनाव भी आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर नहीं विवादों पर केन्द्रित होता नजर आ रहा है। विवादों की डगर पर चल पड़ी भाजपा का सियासी वनबास समाप्त होगा या यू.पी.विधान सभा के चुनाव खण्डित जनादेश आएगा कहना मुश्किल है।
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