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मनुस्मृति और हम

जिंदगी का सच
जिंदगी का सच
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मनु महाराज ने, पहली सदी में सनातन धर्म का,

एक नया धर्म शास्त्र रचा, मनु सहिंता व् मनुस्मृति

आगे चल उस, ग्रंथ का नाम पड़ा

कर्म आधार पर, चार वर्णों में बाँट समाज को

उनकी जीवनचर्या का विधान लिखा

समाज की व्यवस्था को, बांध एक सूत्र में

12 अध्यायों का, अद्भुत सा एक ग्रंथ लिखा

मनुस्मृति जिसका नाम पड़ा ||

 

चार आश्रमों के संग में जिसने, सोलह संस्कारों को आधार बना

इस अमूल्य निधि का निर्माण किया

सृष्टि उत्पत्ति से लेकर जीवन-मरण का ज्ञान लिखा

सामाजिक व् राजनैतिक प्रबंधन के संग जिसमे

संसारगति व् कर्म को लिख, हर धर्म के नियम बना

सभी धर्मो का कर्म लिखा, देश हित का विस्तार लिखा

मनुस्मृति जिसका नाम पड़ा ||

 

सभी ऋणों का भार सुना, महायज्ञो का अर्थ बता

मन्वंतरो का विस्तार कहा, वेद पुराण के सार को ले

ज्ञान का ऐसा शास्त्र रचा, उस वक्त का सविधान लिखा

राजधर्म व् ग्रहस्थ धर्म के, नैतिक मूल्यों के संग में जिसने

समाज व्यवस्था का विस्तार लिखा, ज्ञान का ऐसा शास्त्र रचा

आगे चल उस ग्रंथ का, मनुस्मृति जिसका नाम पड़ा ||

 

मूल्यांकन कर हर, अर्थदंड और ब्याजदरो का

दंडात्मक और क्षमादान और दान स्तुति का धर्म लिखा

एक नया धर्म शास्त्र लिखा, वर्णाश्रम की शिक्षा कहीं

स्त्रीधर्म तथा वैश्यशूद्रोपचार बताकर, श्राद्धकल्प का विधान लिखा

स्नान, शौच, का नियम बना, उस वक्त का सविधान लिखा

आगे चल उस ग्रंथ का, मनुस्मृति जिसका नाम पड़ा ||

 

धीरे-धीरे कुछ अधम लोगो ने, कामुकता और धन लोलुपता में

मनुस्मृति के श्लोकों को, तोड़ मरोड़कर पेश किया

कर्म व्यवस्था को बिगाड़ उन्होंने, कर्म विभाजित व्यवस्था को

जन्मजात में बाँट दिया, व्यवस्था को सारी बदल कर

उन्होंने कुकर्म का ऐसा षडयंत्र रचा, पुरानी व्यवस्था को पलट दिया

मनु महाराज ने जो कड़ी मेहनत से जो रचा उस मनुस्मृति पूर्णरूप से बदल दिया||

 

ढोल, ढपाल, शुद्र और नारी, ये सब है ताडन के अधिकारी आदि

श्लोकों को मनुस्मृति में जोड़ उन्होंने, छोटे से अपने लाभ की खातिर

सनातन धर्म के संग, इतना बड़ा विश्वासघात किया

छेड़ छाड़ कर श्लोकों में सारें, व्यवस्था को सारी बिगाड़ दिया

कटुता का अपनी परिचय दिया मेहनत से डर उन लोगो ने

भेदभाव का कुचक्र रच, धर्म शास्त्रों से खिलवाड़ किया

सनातन धर्म के संग, इतना बड़ा विश्वासघात किया||

 

धूमिल कर धर्म के मान को मूर्खता अपनी परिचय दिया

भ्रमित करते श्लोकों से दिशाहीन कर, धर्म के सम्मान को घटा दिया

जनता की अज्ञानता का लाभ उठाकर, व्यस्थित हुए सारे समाज को

आडम्बरों को जोड़ उन्होंने, कर्मकाण्डों की ओर मोड़ दिया,

उंच-नीच में बाँट समाज को, भाई का भाई में भेद बढ़ा

अर्थव्यवस्था को सारी झकझोर दिया, क्षीण मनुस्मृति का उद्देश्य किया ||

 

संस्कृत भाषा ना जानने के कारण, ना किसी ने उनका विरोध किया

शिक्षा का अधिकार छीनकर, मनुस्मृति का अपमान किया

पूर्ण रूप से बदल दिया, ब्राहमण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र में

सारे समाज को बाँटकर, नीच कर्म का परिचय दिया

नारी और शुद्र की सारी, आजादी छीनकर पराधीनता का ज्ञान दिया

सनातन धर्म के संग, इतना बड़ा विश्वासघात किया||

 

मनुस्मृति का अपमान किया, शास्त्रों से विश्वास डिगा

भ्रम में नई पीढ़ी को डाल, ईश्वर सत्ता को हिला दिया,

उन कपटियों की वजह से लोगो को, धर्म शास्त्रों की सच्चाई पर

प्रश्न चिन्ह ही लगाने को मजबूर किया, महत्व कर्मकाण्डों को इतना दिया

सनातन धर्म पर प्रश्न चिन्ह ही लगा दिया?

भ्रम में नई पीढ़ी को डाल, ईश्वर सत्ता को हिला दिया||

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