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अदिति जी बनाम बाकि सब ब्लोगर्स-

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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आज में सबकी तरफ से यह सचाई बया करना चाहता हू की जो काम सब मर्द नहीं कर सके वोह एक औरत अदिति जी ने कर दिखाया…उन्होंने जिस तरह से अपनी सोच की ऊंचाई और जान पहचान का दायरा बढाया वोह अपने आप में बेमिसाल है…एक अकेली ने जिस साहस से सब को झेला..आलोचनाओं से खुद को सवारा…और सब से बड कर अपने लीड करने के गुण को उभार कर अपने आभामंडल का न केवल निर्माण किया बल्कि उस के परकाश को चारों दिशाओ में फेलाया …
सबके बारे में सोच कर न केवल सबको बल्कि अपने आलोचकों को भी अपना सिक्का मान लेने पर मजबूर किया…उनका न केवल हर एक ब्लॉग ही बेहद अच्छी भाषा शैली के लिए सभी पाठकों के द्वारा पड़ा जाता है.. बल्कि उन ब्लोग्स पर आई हर एक टिपण्णी के ऊपर उन के द्वारा दिए गए बेहद सधे हुए सकारात्मक एवं नपे तुले जवाब पड़ने वाले के मन को मोह लेते है…जहाँ कही उनका जवाब बड़ा होता है वहाँ भी वोह मूल विषय से भटकती नहीं है….जवाब छोट्टा हो या बड़ा उनका पेंनापन उसी लय में बरकरार रहता है…यह भी उनकी एक खास खासियत है…
इसके इलावा उनकी एक और खासियत भी है की वोह तेंदुलकर की तरह बैटिंग करती है…हर एक बालर क्या सोच रहा है और वोह अगली बाल कौन सी डालेगा ..उसके मन में क्या चल रहा है ..वोह बखूबी जान लेती है..वेसे यह उस खुदा के द्वारा हर इस्त्री को दिया गया स्वाभाविक गुण है ..लेकिन उन्होंने अपने इस गुण का सर्वोतम तरीके से विकास और इस्तेमाल किया है … और यही उनकी सफलता की कुंजी भी है..
उनको -उनके न केवल बड़े हुए जान पहचान के दायरे के कारण बल्कि बेहद उत्तम रचनाओ के कारण भी बहुत से कमेन्ट मिलते है जो की उनके पाठक उनको मन से -दिल से -प्यार से और उस से भी बढकर बेहद मान से देते है ..जिसकी की वोह असल में हक़दार भी है…
सिक्के का एक दूसरा पहलु यह भी है की यहाँ पर ज्यादातर ब्लोगर अपने-२ दायरे में या यू कहे की खोल में सिमटे हुए है…उनकी रचना चाहे कितनी भी अच्छी क्यों न हो ..न तो उनको पाठक ही मिल पते है और न ही कमेंट्स …उनका काम एक डाकिए की तरह है जो की किसी दूसरे की चिठ्ठी को फ़ेंक कर चला जाता है …उसको उस से कोई सरोकार नहीं होता है की उसकी चिट्ठी को कोई पड़ेगा भी या नहीं ..अगर पड़ेगा तो उस की प्रतिकिर्या क्या होगी …जबकि यहाँ पर हर एक ब्लोगर अपनी-२ रचना का रचिअता या यू कहे की भगवान या फिर अरदनारीशवर की तरह माता और पिता दोनों ही होता है..
एक और बहुत ही मजेदार बात यह है की हर एक ब्लोगर एक ही समय पर रचनाकार भी है और पाठक भी …और पाठक न केवल दूसरों की रचनाओ का बल्कि अपनी रचनाओ का भी …तो यहाँ पर देखने में जो उपरी तौर पर पाठक नज़र आते है वोह अपने -२ विषय के माहिर विद्वान भी है.. और गुणी होने के साथ-२ कदरदान भी है.. तो इन सभी से अगर कोई अपनी रचनाओ पर दाद पाता है तो वोह अपने आप में एक बेहद खास उपलभ्दी मानी जायेगी …क्योंकि किसी को भी किसी से कोई मतलब नहीं है ..तो कोई अगर किसी को कोई प्रतिकिर्या देता है तो वोह उस को खुश करने के लिए नहीं देता …बल्कि इसलिए देता है की उसको वोह रचना अच्छी लगी..यह इस बात से भी साबित होता है की यहाँ पर दाद के साथ -२ आलोचनाये भी मिलती है..यहाँ सही को सही कहा जाता है और गलत को गलत…मेने खुद पत्थर खाए है ..इतने की मेरा घर बनाने के लिए काफी है …वेसे आप अगर मुझको कोई बड़ा घर बनवा कर देना चाहते है तो और जितना जी चाहे पत्थर बरसा सकते है…

“गर कुछ और पत्थर ज़माने ने हम पर फेंके होते तो अपना भी कोई मकान बन गया होता “….
किसी के दिल में न सही नीले आसमान के तले ही सही अपना भी कोई आशिया बन गया होता …”
वेसे में यहाँ पर उनके इलावा रज़िया -निखिल दोनों-सीमा -सचिन-मिहिर-पांडे-यादव -खुराना चाचा -कौशल -ब्रिज -सिद्दीकी -दीपिका -श्री वास्तव -राजन -धीरज- **{ जी }** से परभावित हू …और अदिति जी – जैक -मनोज-निखिल- चातक-खुराना जी का आभारी हू –जलाल की नेचर मेरे से मिलती है…कहते है की जहा गुरु का अपमान होता हो वहा मत जाओ …सोनी गर्ग ने एक बार प्रभु श्री राम और माता सीता के बारे में गलत कहा था ..इसलिए मेने उसके बाद उनका कोई लेख नहीं पड़ा …वोह मेरी बलैक लिस्ट में है ……
अब में वापिस अदिति जी पर आता हू क्योंकि यह लेख उनसे ही शुरू किया था…बहुत से मेरे जैसे पाठक -कम- रचनाकार है जिनको की उनकी रचनाओ पर कमेन्ट नहीं है मिलते…तो वोह बेचारे ! जब यहाँ पर आते है तो अपना टाइम पास केसे करे ? तो वोह अदिति जी का ब्लॉग खोल कर बैठे रहते है …देखते रहते है की किस ने उन के ब्लॉग पर क्या टिपण्णी की है ….और उस से भी बढकर की उस टिपण्णी का उन्होंने क्या जवाब दिया है… अब ऐसी हालत में दो ही बाते होंगी या तो वोह जलन से कुडते रहेंगे या फिर मजबूर हो कर खुद ही कोई टिपण्णी कर देंगे ….वेसे यह बात मेरे पर पूरी तरह लागु नहीं होती ..क्योंकि मेरे पाठक और दोस्त जानते है की मुझको आँखों की समस्या है …और दूसरा मेरे पीसी की स्लो सपीड तथा नेट का ज्यादा बिल…… में तो आप सब की रचनाओ पर भी उनको बिना पड़े ही टिपण्णी देने में माहिर हू वोह भी इस चालाकी से की आपको अंत तक इसका पाता नहीं चल पाता …… शब्बा -खैर ….{वेसे मेने यह लेख कम लंबी टिपण्णी इस लालच में की है की अगर जागरण वाले रचना के इलावा उन पर की गयी टिप्पणियो पर भी कोई इनाम देना चाहे -जिसकी की कोई संभावना नहीं है -तो यह खाकसार पहले से लेकर दसवे इनाम तक को अपनी झोली में डालने के लिए हाज़िर है…} यारो सब मिल के दुआ करो मेरे लिए. ..क्योंकी कर भला तो हो भला..और अंत भले का भला तो होता ही है यारो ….

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