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बचपन से एक चुटकुला सुनता आया हूँ जो की कुछ इस प्रकार है – एक बार धर्मराज के दरबार में चार देशों के लोग पहुंचे , उनमे से पहले ने पूछा की महाराज मेरे देश में से भ्रष्टाचार कब तक समाप्त हो जाएगा ….. धर्मराज जी ने अपने पोथी और पत्रे तथा बही खाते सुपर कम्प्यूटर में जाँचे तथा पूरा हिसाब लगा कर बताया की , हे प्राणी ! तुम्हारे देश में से लगभग सौ सालो के बाद भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा ….. इसी प्रकार दूसरे और तीसरे आदमीयों द्वारा पूछने पर उनको भी अलग अलग समय अवधि बता दी गई ….. लेकिन जब भारत की बारी आई तो बेचारे धर्मराज जी की हालत अजीब सी हो गई और वोह भावावेश में आकर रोने लग गए ….. सभी प्राणी हैरान और परेशान की आखिर माज़रा क्या है ? ….. काफी देर के बाद चुप होने के बाद आखिरकार धर्मराज जी ने खुद ही इस राज का खुलासा किया की “हे वत्स ! मेरे जीते जी तो भारतवर्ष में से भ्रष्टाचार कभी समाप्त नहीं हो सकता है” …..
आज़ादी से पहले हमारे देश में एक दुबले पतले संत मोहन दास कर्म चंद गाँधी ने विदेशी सत्ता के खिलाफ अहिंसा और सत्याग्रह का रास्ता अपना कर हमको दासता से मुक्ति दिलवाई थी ….. उनके उस कृत्य और ढंग को हमेशा ही शंका की दृष्टि से देखा जाता रहा , यही कारण रहा की आज उनका हमारे देश की बजाय विदेशो में कहीं ज्यादा सन्मान है ….. जबकि चंद लोगों का मानना है की क्रांतिकारियो के बलिदान से अंग्रेज भारत को छोड़ कर चले जाने पर विवश हुए थे …..
लेकिन देश के लोग उस समय हैरान रह गए जब आज़ादी के 64 साल के बाद एक समाज सेवक और देश भक्त परम आदरणीय श्री अन्ना हजारे जी ने गाँधी जी के रास्ते पर चलते हुए आमरण अनशन के कारगर हथियार का इस्तेमाल करते हुए भ्रष्टाचार के मुददे पर मोजूदा सरकार की चूले हिला कर रख दी …..
उनको मिला जन समर्थन सच में ही हैरान कर देने वाला रहा है ….. कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था की लोगों के मन के भीतर इस कद्र शौले दबे हुए है , बस उनको एक चिंगारी दिखाई देने की जरूरत थी , और वोह नामुमकिन को मुमकिन करने वाला काम इतिहास पुरुष अन्ना हजारे ने कर दिखाया ……
वैसे एक बात देखने वाली है की अगर हम जमीनी हकीकतो की बात करे तो हम लाख कोशिश कर ले इस देश में से भ्रष्टाचार का समूल नाश होना असंभव है ….. उसकी मात्रा कम होकर नाममात्र के बराबर तो रह सकती है ….. क्योंकि बेईमानी और भ्रष्टाचार हमारे खून में कुछ इस तरह से रच बस गए है की अब यह हमारा राष्ट्रिय चरित्र बन गए है , इन्ही से ही अब हमारी पहचान है …..
क्या हमको यह समझ लेना चाहिए की जितने भी लोग भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे है वोह सभी के सभी ईमानदार और दूध के धुले हुए है ….. अगर ऐसा है तो फिर विरोध करने वालो की ही लिस्ट बना कर बाकि के बचे हुए लोगों को भ्रष्टाचारी होने का प्रमाणपत्र दे देना चाहिए ….. हम सभी कुछेक बातो को जानते है कि :-
*इस हमाम में सभी के सभी नंगे है , सिवाय कुछेक अपवादों को छोड़ करके …….
*हम सभी यह मानते है की हममे से ज्यादातर लोग चोर और बेईमान है …..
*जो पकड़ा जाता है वोह चोर कहलाता है और जिसकी करतूतों पर पर्दा पड़ा रहता है , वोह शरीफ ईमानदार और बेदाग़ कहलाता है
*शराफत और इमानदारी का अब दुर्लभ शैय में शुमार होता है , अब यह पहले की तरह आम वास्तु नहीं रही …..इसीलिए कभीकभार इसका कोई उदाहरण सामने आने पर मीडिया में उसका बढ़चढ़ गुणगान होता है ताकि दूसरे लोग भी उस महान आत्मा से कुछ प्रेरणा ले सके …….
आखिर में यही निष्कर्ष निकलता है की हमारा देश जापान की तरह नही है जिनको की कुदरत ने विरासत में इमानदारी दी है ….. हमको न तो कोई मौत का डर है न ही किसी भूकम्प या फिर सुनामी का , इसलिए हम लोग तो मौत को भुल कर पूरी बेफिक्री से अपने तन- मन और धन से भ्रष्टाचार करते रहेंगे , क्योंकि अब तो यह हमारा ज़न्मसिद्द अधिकार हो गया है ….. एक कहावत है की चोर को मत मारो बल्कि चोर की माँ को मारो …… हम लोग हमेशा से ही उलटी लाइन पकड़ते रहे है …. जरूरत है लोगों में देशभक्ति का ज़ज्बा जगाने की और समाज तथा व्यवस्था में आ चुकी बुराइओ को दूर करने की …… लोग तो बस समस्या की असली तह तक पहुंचने की बजाय उपरी तौर पर सिर्फ बातो के द्वारा ही भ्रष्टाचार को रोकने की खोखली बाते करते रहेंगे …..
अगर वास्तव में ही इस देश की जनता जागरूक हो चुकी है तथा भ्रष्टाचार नामक बुराई से निजात पाना चाहती है तो हम सभी लोगों को हमारी सड़गल चुकी समाजिक और राजनितिक व्यवस्था को सिरे से बदलने के लिए इसको बाहरी और भीतरी रूपांतरण करने वाली डायलसिस मशीन पर चढ़ा देना चाहिए …..
जिसके लिए हमको निम्नलिखित उपाय करने होंगे :-
*सबसे पहले तो हमे अपनी शिक्षा प्रणाली में सुधार करना होगा …. हमारे शिक्षकगण भावी पीढ़ी के चरित्र निर्माण में अपना बनता योगदान दे …..
*हमारी माता रूपिणी नारी शक्ति अपनी औलाद को अच्छे संस्कार दे ….
*समाज में से दहेज रूपी बुराई का पूरी तरह से खात्मा हो …..
*स्कूलों कालेजो में दाखिला फ़ीस न के बराबर हो ,अगर हो सके तो सभी के लिया शिक्षा का अधिकार के साथ -२ फ्री शिक्षा भी होनी चाहिए ….
*डाक्टरी सुविधा भी जहाँ तक सम्भव हो सके सभी के लिए कम से कम दरों पर दवाईओ सहित उपलब्ध होनी चाहिए …..
*जनसख्या नियंत्रण के लिए वोटों कि राजनीति से उपर उठ कर सही तरीके अपनाते हुए इसको कंट्रोल करना चाहिए ….
*नौकरी की नियुक्ति के लिए दी जाने वाली रिश्वत पूर्ण रूप से समाप्त हो ….
*देश में एक समान करो की दरे हो …. टेक्स का रेट नाममात्र हो …. बिना बिल के कोई भी सामान बेचना नामुमकिन हो …..
*चुनावों में अनाप शनाप हर तरह के खर्चे गैर क़ानूनी हो ….
अंत में मेरा कहना यही है की हर वोह तरीका उन चोर रास्तो को बंद करने के लिए अपनाया जाना चाहिए जिन पर चल कर जाने में या फिर अनजाने में काला धन पैदा होता है + खर्च होता है + बढ़ता है …..
सभी के साथ में भी आशावान हूँ की मेरे जीते जी ऐसा दिन भी कभी हमारे भारतवर्ष में आएगा , जब धर्मराज को भारत में अंतहीन भ्रष्टाचार पर रोना नहीं आएगा …..
राजकमल शर्मा
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