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दोस्तों आज मैं आपसे जिस ब्लोगर भाई कि त्रासदीपूर्ण मृत्यु के बारे में बताने लगा हूँ वोह हममें से ही एक तो थे , लेकिन अपनी तरह के एक ही थे ….
उन्होंने इस मंच पर अपना ब्लागिंग जीवन शेयरों – शायरी से शुरू किया था ..लेकिन बाद में अनेको ब्लागरों द्वारा उनको उकसाने के फलस्वरूप वोह उन सबकी चालबाजियों का शिकार हो कर एक कुख्यात व्यंग्यकार बन गये ….
बस यही से उनके जीवन कि असली त्रासदी शुरू होती है … शुरुआत के दिनों में दूसरे ब्लागरों ने उस बेचारे बली के बकरे को अपने कमेण्टो से खूब खिलाया पिलाया ….लेकिन बाद में उनकी तरफ से अपने हाथ पीछे खीच लिए …
इस आकस्मिक सदमें को बर्दाश्त ना कर पाने की वजह से वोह आज 31 दिसम्बर की सुबह को पूरे बारह बज कर एक मिनट पर हम सबको सदीवी विछोड़ा दे कर अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करके प्रभु के श्री चरणों में जा विराजे है …. भगवान से हमारी यही प्रार्थना है की उनकी बैचेन आत्मा को शांति दे , वैसे अपने जीते जी उन्होंने ना जाने कितनो के जीवन में अशांति फैलाई ……इसका कोई भी हिसाब नहीं है ….
अपने पूरे ब्लागिंग के जीवन उन्होंने में अपने ढेर सारे दुश्मन बनाए… उनमे एक खास बात जोकि सभी को आश्चर्यचकित करती थी कि वोह अपने किसी भी दोस्त का अपना दुश्मन अपने वयंग्य बाणों के द्वारा सहज रूप से ही बना लेते थे …. उनकी इस खासियत का लोहा तो सभी मानते थे …..
उनका अंतिम समय बहुत ही अभावों और कष्टों में बिता …. आखरी समय उनकी झोली और हाथ दोनों ही कमेण्टो से एकदम खाली थे … जो भी उनकी मित्रता का दम भरते थे , वोह सभी मुश्किल समय में उनका साथ छोड़ गये थे …. किसी ने सच ही तो कहा है कि इन्सान इस जगत में खली हाथ आया है और खाली हाथ ही वापिस चला जाएगा …. शायद इसीलिए कफन में जेब नहीं है होती ..
वोह अपने बीवी बच्चो के लिए ढेर सारे मुकद्दमे विरासत में छोड़ गये है , जोकि उन पर उनके साथी ब्लागरों द्वारा समय -२ पर किये गये थे … लेकिन हमारी मधु भाभी की दाद देनी होगी कि उनकी आंख से एक अदद आंसू तक नहीं टपका …शायद राजकमल जी ने अपने जीते जी उनको इतना रुलाया कि उनकी आँखों में इस जरूरी वक्त पर बहाने के लिए कोई आंसू तक नहीं बचा ….
मैं स्वर्गीय राजकमल जी की हरेक शादी में भी शरीक रहा हूँ … हमारी मधु भाभी इतनी सुन्दर तो उस दिन शादी के जोड़े में भी नहीं लग रही थी जितना कि वोह आज इस सफेद लिबास में गजब ढा रही थी ….उनकी उन सफेद कपड़ो में सुन्दरता को देख कर तो मुझको ऐसा लग रहा था कि काश राजकमल जी पहले ही मर गये होते ….
महानुभावों , मैं के. एम. मिश्रा अपने आप को बहुत ही खुशनसीब महसूस कर रहा हूँ कि राजकमल जी ने अपनी अंतिम वसीयत में सभी ब्लोगरों को उनके मरने कि खबर देने के लिए सिर्फ मुझ पर ही भरौसा किया , वोह भी इस शर्त के साथ कि उनकी मौत कि खबर को हास्य वयंग्य के कालम में डाल कर प्रस्तुत करूं ..
तो , अब आप सभी उस दिवंगत आत्मा कि शांति के लिए दो मिनट का मौन रखने के लिए अपनी -२ कम्प्यूटर सीट पर से खड़े हो जाए …. और उनके इस श्रदांजली रूपी लेख पर अपनी टिप्पणी रूपी एक से एक बढ़िया चुटकला भेजने का कष्ट करे …. क्योंकि जो शख्श सारी उम्र हमको हर हाल में हसाता रहा …. उसकी रूह को हंसाने का भी तो हमारा कुछ फ़र्ज़ बनता है की नहीं ….वैसे उनके जीते जी तो उनको कोई समझ नहीं पाया ..शायद लोग बाग उनके मरने के बाद ही उनको किसी हद तक समझ ले , इसी उम्मीद के साथ …
श्रदांजली अर्पित करता
लेखक श्री के. एम मिश्रा
( दूसरों पर तो अक्सर तमाशबीन भी हंस लिया करते है ,
गर जिंदादिल हो तो कभी खुद पे भी हंस के दिखायो यारो ! )
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