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“एक ट्रेनिंग ऐसी भी”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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01 मई को इतवार के दिन अखबार वाला जब मुझको दैनिक जागरण की बजाय दैनिक भास्कर अखबार दे गया तो मेरे मन में गुस्से की लहर दोड़ गई क्योंकि एक तो मेरे पास उस दिन बाज़ार जाकर अखबार लाने   का समय नहीं था , दूसरे मैं जागरण के साप्ताहिक भविष्यफल  से ही अपना पूरा हफ्ता सेट किया करता हूँ ….. खैर मेरा उस दिन का गुस्सा उतरा अखबार में छपी उस खबर पर जिसमे बताया गया था की महाराष्ट्र के कोल्हापुर पुलिस ट्रेनिंग सेंटर सेक्स स्कैंडल में नया खुलासा हुआ है की वहां पर पहले वाली खबर के अनुसार  11 नहीं बल्कि नवीनतम समाचार के अनुसार 30 महिला कांस्टेबल मेडिकल जांच के दौरान प्रेगनेंट पाई गई है ……

                            इनमे से सिर्फ 9 मोहतरमाए शादी+शुदा  है जबकि बाकि की 21 लड़कियां  शादी+शुदा नहीं है ….. मैं इनको कुंवारी की बजाय ‘शादीशुदा नहीं’ क्यों लिख रहा हूँ , इस बात को आप सब सुधी पाठक भली भांति जानते ही होंगे ….. वोह बेचारियां  ट्रेनिंग से पहले तो ‘शायद’ कुंवारी  कुमारिया ही थी लेकिन उनके काबिल आला अफसरों  ने उनको कुछ ऐसी ट्रेनिंग दी की वोह अबला नारिया  कुंवारियो की बिरादरी से तो निकल गई , लेकिन अफ़सोस की बात है की वोह बेचारियां शादीशुदा की जमात में शामिल नहीं हो सकी …..

                               वोह सबला नारियां जिन्होंने की भविष्य में हमारे समाज की बहु बेटियों की रक्षा करनी थी , इत्तेफाक की बात देखिये की जब उन पर विपदा आन पड़ी तो वोह खुद अपनी ही रक्षा नहीं कर पाई …… आपने भेड़चाल तो सुनी होगी , भेड़ो में यह खासियत होती है की वोह अपने सामने ही कसाई के द्वारा अपनी बहनों को कटता हुआ देखकर भी कोई सीख नहीं लेती , कोई प्रतिरोध + बचाव करने की बजाय एक के बाद दूसरी , अपने कटने की बारी का इंतज़ार करते हुए आगे बढ़ती चली जाती है ….. यह 30 नारिया भी मुझको भेड़ो की बिरादरी से ही ताल्लुक रखती लगती है , जोकि अकेले की तो बात ही छोड़ दीजिए इकट्ठे मिल कर भी उन दो हवस के अन्धे भेडियो  का कुछ नहीं कर सकी …

                                  गृह मंत्री श्री आर .आर . पाटिल ने इन घटनाओं की जांच का जिम्मा नासिक के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मैथिली झा को सौंपा है , जोकि सोमवार तक अपनी रिपोर्ट देंगे ….  इस “प्रेग्नैन्सी सेंटर” में आज से आठ महीने पहले भी सिर्फ चार अविवाहित कलियों को फूल बनाने की खबर आई थी …..अब आप लोग ही बताइए की ट्रेनिंग का मतलब आखिर क्या होता है ? ….. अगर अफसरों ने अपनी अतिरिक्त जिम्मेदारी निभाते हुए भावी महिला अफसरों को कुछ खास किस्म की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग निर्धारित पाठ्यक्रम से बाहर जाकर दे डाली तो इसमें इतना होहल्ला मचाने की कौन सी जरूरत आन पड़ी है , कौन सा आसमान टूट पड़ा है ….. एक तो मासूम कलियों को खिला कर उनको  फूल बना कर उनकी सुनी गोद को हर भरा करते हुए उनकी गोद में फूल खिलाया गया  और उपर से अपने इस कारनामे की वजह से  परमवीर चक्कर के अधिकारी बन गए उन अफसरों का यशगान गाने की बजाय उनका मानमर्दन  किया जा रहा है ….. जांच के नाम पर उनका अपमान किया जा रहा है ….अब आप ही बताइए की यह कौन सी शराफत है ? , कहाँ का इन्साफ है ? …..

खबर तो यह भी है की खानापूर्ति के लिए एक पुलिस कांस्टेबल युवराज कांबले को  बली का बकरा बनाया गया है …. उन्होंने सोचा होगा की प्रेगनेंसी ट्रेनिंग सेंटर की पैदावार , देश के उन भावी युवराजों के जन्म के लिए जिम्मेवार भला किसी युवराज नाम वाले पिता से बढ़िया चुनाव और क्या हो सकता है ….

                      इस घटना के खुलासे के बाद से ही कोल्हापुर के डीएसपी ‘ज्ञान्वेश्वर मुंडे’ और एसीपी ‘विनय परकाले’ लंबी छुटटी पर चले गए है …… अगर कोई कसूर है तो वोह सरासर इन “लड़कियों कम औरतो” का ही है …. इन मासूम और अबोध बालाओं को  इतना तो पता होना ही चाहिए था की विनय परकाले जी का नाम चाहे विनय है लेकिन यह जरूरी तो नहीं न की वोह उन अबलाओं द्वारा अपनी इज्जत को दाग न लगाने की विनय को मान  ही लेते …. वोह यह भी भूल गयी थी की  आखिर जनाब के नाम के पीछे परकाला भी तो है , जिसका सीधा सा मतलब होता है “आफत का परकाला” ….  और इन ज्ञानेश्वर जी ने खुद का नाम संत ज्ञानेश्वर जी से मिलता होने के कारण आपने नाम की लाज रखने के लिए उन प्रशिक्षणार्थी लड़कियों को कुछ खास किस्म की ट्रेनिंग रूपी ज्ञान आपने परम मित्र  परकाले संग दे डाली तो इसमें इतना अचरज कैसा …..

वैसे भी उन्होंने केवल 30 लड़कियों को ही तो इस ट्रेनिंग के काबिल समझ कर इस खास ट्रेनिंग को देकर तीस मार खान वाला काम ही तो किया है ….. तीस मार खान फिल्म में केवल एक शीला की जवानी ने पूरे देश के पुरुष वर्ग के होश उड़ा दिए थे तो इस ट्रेनिंग सेंटर की इतनी सारी मासूम मुन्नियाओ और शिलायो का शील अगर इन्होने हालात के और आपने दिल और मन के वशीभूत होकर भंग कर दिया तो क्या आप उनको इतनी छोटी सी बात के लिए अन्दर कर दोगे ? …..  आखिर इन  बेचारों ने शील ही तो भंग किया है , किसी अशांत एरिया की शान्ति तो नहीं न भंग की है , वोह बेचारे ऐसा कर भी कैसे सकते है , अजी साहब ! उन पर शान्ति कायम रखने की भारी भरकम जिम्मेवारी जो होती है …..

                                   यह भी बताया जा रहा है की मुंडे महाशय जब जी चाहे आपने आफिस में महिला कांस्टेबलों को बुला लेते थे ….. अब इस बात पर भी इतनी हाय तोबा क्यों मचाई जा रही है …. यह बात सिरे से ही यार लोगो की समझ से परे  है …. अरे भाई लोगो ! यह तो एक अफसर का हक बनता है की वोह अपनी किसी भी  मातहत कर्मचारी को जब जी चाहे बुलवा सकता है , कामकाज से उब चुकने के बाद अपना जी बहलाने के लिए तथा कामकाज शुरू करने से पहले खुद को तरोताजा रखने के लिए ….. और जी यानी जियरा भी तो जिगर वालो का ही करता है + मचलता है …. अब इसमें अपनी मातहत कर्मचारी की मर्जी भला क्या देखनी , अगर यह अफसर लोग उन महिला कांस्टेबलों के द्वारा उनके खुद के ‘जी करने’ का ख्याल करते या फिर इंतज़ार करते तो फिर उन बेचारों की तो सारी उम्र इंतज़ार में ही कट जाती … फिर न तो उन बालाओ  की खास ट्रेनिंग हो पाती और न ही तीस मार खान वाला रिकार्ड बन पाता  ……

    मेरी नज़र में तो इस सारे फसाद की जड़ उन महिलायों की जवानी तो है ही ,  इसके इलावा  उनकी लापरवाही भी इस मामले में साफ -२ द्रष्टिगोचर होती है ….. अरी अक्ल की अन्धियो , क्या तुम सब की मति  मारी गई थी …. जब तुमको यह पता चल ही गया था की उनके “आफिस कम प्रेग्नैन्सी ट्रेनिंग सेंटर” में तुमको बार बार सिर्फ एक ही काम के लिए + उस खास ट्रेनिंग के लिए बुलाया जाता है जोकि सबके सामने ट्रेनिंग सेंटर में नही दी जा सकती है , तो तुमको अपनी बदनामी से बचने के लिए सुरक्षा के पूरे इंतजामात करने चाहिए थे ….. वाह  री आधुनिक नारी ! धिक्कार है तुझ पर , तुने माडर्न जमाने की होकर भी , मध्ययुगीन महिलायों जैसा असुरक्षा वाला आचरण किया है तथा घोर लापरवाही बरती है …. अब तुम  सभी की यही सजा बनती है की तुम्हारे  घर आंगन में  खिलने  वाले देश के इन फूलों की सुगन्ध को इस देश की आबोहवा में पुरे मनोयोग फैलाओ …… और अपने कुल का नाम रोशन करते हुए , इस देश के नाम में तीस चाँद लगाकर इसके नाम को और भी चमकाओ ….

                                    मैं तो इस बात में विश्वाश रखता हूँ की खुदा जो भी करता है वोह हमेशा ही अच्छे के लिए ही करता है …. क्या पता उन तीस फूलो में से कल को कोई बड़ा होकर देश का नाम रोशन करते हुए ‘इतिहास पुरुष’ ही बन जाए ….. क्योंकि अगर वोह नारियां आपने वर्तमान पतियों के और भावी पतियों के भरौसे रहती तो इस बात की क्या गारन्टी है की उनके आंगन में काबिल फूल ही खिलते …. अब कम से कम इतना भरौसा तो है की उन काबिल अफसरों के द्वारा खिलाए गए वोह फूल इस समाज और देश का नाम तो रोशन करेगे ही करेंगे …..

बाकि की बीस शीला और मुन्नियो तथा उनके होनहार फूलों समेत के लिए  आप अपना-२  दावा ठोक सकते है ….. लेकिन  इस बात का खास ध्यान रखे कि :-

*यह आफर केवल सिमित अवधि के लिए ही है ….

*माल-असबाब (कन्या + फूल ) का भुगतान ‘पहले आओ और पहले पाओ’ के आधार पर किया जाएगा ….

*किसी किस्म का जाति  बंधन नहीं है ….

*सिर्फ बिना दहेज शादी करने के इच्छुक प्रतियोगी ही आवेदन करे , क्योंकि लड़कियां कमाऊ होने के कारण उनको दहेज में कुछ नहीं दिया जाएगा , और वैसे भी वोह दहेज में अपना -२ बच्चा तो लेकर आएँगी ही …..                                               शुभस्य शीघ्रम !  

                         खुद का तथा सभी दावेदारों का शुभचिंतक और परम हितेशी

                                       राजकमल शर्मा

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