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एक बोध कथा – “सिद्धि”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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दोस्तों आज मैं आपको एक बोध कथा से रूबरू करवाने जा रहा हूँ …. बात यह बहुत ही पुरानी है …. कथा कुछ इस प्रकार  है की किसी गाँव में एक बड़े ही पहुंचे हुए सिद्ध महात्मा रहते थे  …. उनके बारे में यह बात प्रसिद्ध थी की उनको पशु – पक्षियों तथा जानवरों की भाषा आती है ….. उनसे इस कला को सीखने के लिए  कितने ही चाहवान लोग उनके पास आते  रहते थे , लेकिन वोह अपनी इस कला को किसी को भी  सिखलाते नहीं थे ….

फिर एक दिन एक राजकमल जैसा लोभी आदमी उनकी सेवा में उपस्थित हुआ ….. उसने महात्मा जी की तन मन से दिन रात अथक सेवा की ….. महात्मा जी जब भी उससे पूछते की “बताओ बेटा ! आखिर तुम यह सब इतनी मेहनत किस की  चाह में कर रहे हो …. मुझको खुल कर बताओ की तुमको क्या चाहिए ? …. हर बार उस छुपे रुस्तम का  जवाब होता की “महाराज ! मुझको तो बस आपका आशीर्वाद ही चाहिए , मैं तो बस आपकी छत्रछाया में ही रहना चाहता हूँ …..

उसको वहां पर सेवा करते हुए दो साल के करीब होने को हो आये  थे …. एक बार जब फिर से महात्मा जी ने उस लोभी राजकमल से कुछ मांगने की बाबत पूछा तो इस बार वोह नराधम खुद को रोक नहीं पाया और उसने अपने मन में बरसों की दबी उस इच्छा को प्रकट  कर ही दिया …. महात्मा जी ने उसको लाख समझाया की बेटा इसके इलावा और कुछ भी मांग  लो , लेकिन वोह अपनी उस मांग से टस से मस नहीं हुआ ….. वोह बस एक ही बात पर अड़ा हुआ था की महाराज अगर आप मुझको कुछ देना ही चाहते है तो मुझको उस कला में पारंगत कर दीजिए , उसके इलावा मुझको और किसी भी चीज की इच्छा नहीं है …..  अब तो महात्मा जी उसको अपनी वोह राजदाराना कला को सिखाने पर मजबूर हो ही  गए …..

उस अनोखी कला को सीख लेने के बाद जब लोभी राजकमल आश्रम से अपने घर जाने की इजाजत लेने आया तो महात्मा जी ने उसको अपना आशीर्वाद देते हुए यह अनमोल सीख दी की बेटा मेरी इस कला का भूल कर भी कभी दुरूपयोग मत करना ….. अगर कभी कुछ ऐसा वैसा हो  गया तो फिर मैं चाह कर भी तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा …. महात्मा जी को आश्वाशन देकर चतुर सुजान राजकमल अपने घर को लौट आया ….

अब तो उसके मजे ही मजे हो गए थे , वोह अपने आसपास के पशु पक्षियो और अपने बाड़े के जानवरों की बातचीत को अक्सर ही सुना करता था ….. फिर एक दिन उसने सुना की उसकी गाय कह रही थी की दस दिनों के बाद उसकी मौत हो जायेगी …. यह सुनते ही राजकमल का लोभ जाग उठा , उसने उसी दिन जल्दबाजी में एक ग्राहक ढूंड कर ओने –पौने दामों में उस गाय का सौदा कर दिया ….. दसवे दिन उसने उस खरीददार के घर से पता करवाया तो गाय की कही हुई बात को अक्षरश सच पाया ….. अब तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था ….. वोह सुबह शाम अपने पशु –पक्षियो की बातचीत को ध्यान से सुनता , और जिसकी भी होने वाली मौत के बारे में पता चलता उसको बेचता चला जाता …..

आखिरकार एक दिन वोह भी आ गया जब उसने सुना की उसका पालतू कुत्ता ‘झबरा’ उसके पालतू तोते ‘मिट्ठू’  से कह रहा था की आज से पूरे पन्द्रह दिनों के बाद हमारे मालिक राजकमल की म्रत्यु हो जायेगी …… अब तो उस लोभी को दिन में ही तारे नज़र आ गए …… उनकी बातों पर अविश्वाश का कोई कारण ही नहीं था क्योंकि अब से पहले की उनकी सभी भविष्यवाणियां  सच ही निकली थी ….. जब कुछ नहीं सुझा तो वोह सीधा भागा -२ उन महात्मा जी के आश्रम में उनसे अभयदान पाने की आशा में जा पहुंचा …..

महात्मा जी उसकी सूरत पर बज रहे बारह तथा भय से पीले पड़ गए चेहरे को देखते ही सारा माजरा बिना कहे ही समझ गए ….. राजकमल ने जल्दी से महात्मा जी को आश्रम से जाने से लेकर अब तक अपने साथ घटा सारा किस्सा एक ही सांस में कह सुनाया ….. सून कर महात्मा जी बोले की “बेटा राजकमल ! अब तो तुमको इस  विधि के विधान को सिर झुकाकर  स्वीकार करना ही पड़ेगा ….. जब तुमको पहली बार अपनी गाय की म्रत्यु की अग्रिम जानकारी हुई थी , यदि उस समय तुम मेरे पास चले आते तो तब शायद मैं कुछ ना कुछ जरूर उपाय कर पाता  तुम्हारे लिए ….. लेकिन अब जबकि तुम इस कला का पूरा फायदा उठा चुके हो तो इसके आखरी परिणाम को भुगतने से भी तुम बच नहीं सकते हो …..

दोस्तों इस आदमी नामक प्राणी की यही सबसे अजीब फितरत है की यह हर रोज अपने सामने किसी ना किसी को मरते हुए देखता है ….. लेकिन वोह अपनी खुद की मौत को हमेशा ही भुला रहता है और हरेक तरह के तरीके अपना कर भौतिक  सुख-सुविधा के  साधन जुटाने में लगा ही रहता है …. हरेक औसत आदमी के मन में यही चाहत होती है की चाहे सारी दुनिया क्यों ना खत्म हो जाए लेकिन उसकी म्रत्यु कभी भी ना हो , वोह हमेशा के लिए अजर अमर हो जाए …..

आईये हम सभी सनातन भारत की पुरातन संस्कृति “खुद जीयो तथा दूसरों को भी जीने दो” पर अमल करते हुए अपनी मौत को हरपल याद रखते हुए सदकर्म करते हुए अपने इस लोक तथा परलोक को सफल बनाए ……

राजकमल शर्मा

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