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क्या ? सभी औरते एक जैसी होती है …(मेरा फलसफा )

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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सदियों से ही हर युग में समय -२ पर यह मुददा उठता रहा है की क्या सभी मर्द एक से होते है ? ….और यही बात इस्त्रियो के बारे में भी कही जा सकती है … की क्या सभी इस्त्रिया एक जैसी ही होती है …. अलग अलग समय में इस्त्री की सिथति  इस समाज में अलग -२ रही है ..लेकिन कमोबेश कुल मिलाकर उसकी सिथति वही रहती थी …लाख कोशिश करने पर भी ढाक के तीन  पात ही रहते थे ..कभी भी चार नहीं थे हुए… लेकिन आज के बदलते हुए  समाजिक हालात में इस्त्री का स्थान और भूमिका दोनों ही बदल गई है ….हमे यह नहीं भूलना चाहिए की समाजिक और आर्थिक सिथति सोच को सीधे रूप से प्रभावित करती है ….और बदलती हुई सोच से स्तर भी बदलता है ….तो अगर शारीरिक स्तर पर देखे तो हम पायेंगे की सभी इस्त्रिया एक जैसी ही होती है ….लेकिन  मानसिक स्तर पर देखने पर हम उनको अलग -2 रूप में पाते है …

             हाँ कुछेक ऐसी खासियते भी है की जो की 99 % औरतो में समान रूप से पायी जाती है …जिनमे से कुछेक निम्नलिखित है :- 

1.उस खुदा के द्वारा उनको आत्मरक्षार्थ दी गई सिक्स्थ सैंस की नवाजिश …लेकिन यह उन पर निर्भर करता है की वोह इसको अपने हक में कब और कैसे इस्तेमाल कर इसका फायदा उठा पाती है …वेसे मेरे खिलाफ यह सभी अपनी इस छठी इंद्री को सोता ही रहने दे तो ज्यादा बेहतर होगा …

2.अक्सर इस्त्रियो को हम मर्दों द्वारा कमज़ोर होने का ताना दिया जाता रहा है …लेकिन इनकी कमजोरी के बावजूद इनके पास एक अचूक अस्त्र है .. वोह है इनके आंसू ! …. तो इस अस्त्र के मुकाबले का कोई भी हथियार हमारे साइंसदान ना तो बना पाए है ..और रहती दुनिया तक ना ही बना पाने की कोई उम्मीद मुझको दिखाई देती  है ..चाहे विज्ञान कितनी भी तरक्की क्यों ना कर ले ….. पर  इस मामले में तो हर हाल में यह फिस्सडी ही रहेगा ….

3.अब मैं जिसका ज़िक्र करने जा रहा हू ..वोह कोई खासियत ना होकर इनका अवगुण है ….लेकिन इनको कभी भी इस पे कोई मलाल नहीं होता …वोह है पर इस्त्री जलन ….हरेक इस्त्री अपने से ज्यादा किसी दूसरी सुंदर इस्त्री को देख कर इर्ष्या के मारे जलभुन कर एक बार तो मन ही मन में कोयला हो ही जाती है ….लेकिन अगले ही पल यह सोच कर समान्य भी हो जाती है की ..कहीं ऐसी सोच से से उसकी खुद की सुंदरता कही कम ना हो जाए ….और अगर उपर से  पतिदेव या मेरे जैसा कोई प्रेमी तपाक से कह दे की …गुस्से में तो तुम अपनी असली उम्र से १० साल ज्यादा लगती हो तो वल्लाह ! क्या कहने …

4.हरेक इस्त्री अपनी तारीफ को सुनने की हमेशा ही चाह रखती है …लेकिन यह भी इनकी खासियत ना होकर एक कमजोरी बन कर सामने आती है ….और लम्पट पुरुष अक्सर ही औरतो की इस कमजोरी का अपने हक में बखूबी इस्तेमाल करते है ….क्योंकि इस्त्री तारीफ के काबिल चाहे ना भी हो ..लेकिन अपनी इसी कमजोरी के कारण किसी पुरुष के झांसे में आकर उसकी स्वार्थसिद्दी का कारण बड़ी ही आसानी से बन जाया करती  है …( होशियार ! सभी पुरुष मेरे समेत यह बात भली भांति जान गए है …)

5.इनमे एक अदभुत गुण होता है क्षमा का ….जो की इनके स्वभाव का हिस्सा ही बन जाता है …पुरुष बार -२ गलतियों पे गलतियाँ करता जाता है …या यू कहे की धूर्तता की सभी हदे भी गर  पार कर ले …तब भी  येन  केन प्रकारेण किसी ना किसी तरीके से ..कोई भी ड्रामा कर के ….झूठा विश्वाश दिला कर ….मुर्ख बना कर …अक्सर ही माफ़ी पाकर अपना उल्लू सीधा कर के ले ही जाता है मेरी तरह ….

6.हरेक इस्त्री में ममता तो कूट -२ कर भरी होती है …जितना भी लुटाए कभी कम नहीं होती ..बल्कि सुरसा के मुह की तरह या यूं कहें की महगाई डायन की तरह बढती ही जाती है  ….दिन दोगुणी और रात को चोगुनी ….अब सोचता हू की यह मुहावरा शायद इसी लिए और इसी कारण से ही बना होगा ….

7.हरेक इस्त्री तकलीफ सह कर भी माँ बनना चाहती है और खुद को सम्पूर्ण कहला कर + माँ कहलवा कर  खुश होती है …हां यह अलग बात है की आज कल इस समाज के बदलते हुए  रंग और ढंग में कई माएं यह तकलीफ शादी से पहले ही सह लेना चाहती है ….और सहती भी है …और सहती भी रहेंगी …. अल्लाह ! …..(सारी अनवांटड गोलियों की फेक्टरीओ को नेस्तनाबूद कर दो )

              मेरी उस पाक परवरदिगार से यही इल्तजा है की मेरी होने वाली मधु ने और चाहे कुछ भी किया हो ..लेकिन यह तकलीफ ना सही हो … क्योंकी वेसे भी मुझसे शादी के बाद तो उसने सारी उम्र यही तकलीफ सहते हुए ही गुजारनी है ….आप सभी दुविधा में पड़ गए होंगे …की उससे हमदर्दी करे की या फिर उसकी किस्मत से रश्क करे ….मर्ज़ी है आपकी ..आखिर दिमाग और सोच है आपकी ….

8.हरेक इस्त्री अपने पति से यह अपेक्षा और आशा रखती है की …वोह सिर्फ और सिर्फ उसी के प्रति समर्पित रहे ….किसी दूसरी औरत की तरफ तो गौर से ताके भी नहीं …और बेचारे पतिदेव ..उनको तो भला करने का भी हक नहीं है …अब देखिये ना बाज़ार में हम अक्सर ही देखते है की विदाउट स्लीव्स पहने हुए + बिना दुपट्टे के और सीधे -२ ही बयूटी पार्लर से निकल कर औरते जब शापिंग करने निकलती है तो क्या यह मर्दों का फ़र्ज़ नहीं है बनता की उनके खर्च किये गए पैसे का और की गयी  इतनी मेहनत का कुछ तो मोल डाले …अजी इनको देखने का ठेका क्या सिर्फ कुंवारों ने ही ले रखा है …शादीशुदा मर्दों का भी तो कोई फ़र्ज़ बनता है की नहीं …..

             इन्ही मोहतरमओ पर मैंने लिखा था की :-

 बिन दुपट्टे के निकले है वोह घर से मनचलों के  सोये हुए अरमान  जगाने …

या खुदा ! हम घर में है सोये हुए और वोह चले है जाने किस किस के सोये हुए  भाग्य जगाने …

9.उस खुदा ने इनको एक बहुत ही नामुराद खूबी से नवाज़ा है ..और वोह है सहनशीलता ….उफ़ ! पर्वत भी नतमस्तक हो जाए ….आसमान भी झुक जाए ….चट्टाने भी रो पड़े ..इनकी सहनशीलता के आगे सभी  कुछ ही छोटा और नैनो है ….कितना कुछ यह सहती है ..पर कभी भी किसी से नहीं कुछ कहती है …आखिर दो घरों की इज्जत जो होती है ….इनके इस गुण के सजदे में यार लोगो का रोम रोम झुकता है ….अरे भाई क्यों ना झुके …जब खुद खुदा इनको सजदा करता है ….(शबरी ! को भूल गए क्या …)

10.दोस्तों जो बाकी की बाते (खासियते + कमिया + गुण वगैरह ) रह गयी है …वोह आप  खुद ही इस जगह पर भर ले …मुझ गरीब के कमज़ोर कंधो पे और कितना बोझ डालोगे…. कुछ काम खुद भी कर लिया करो कभी ….अब बच्चे की जान लोगे क्या ? ….हमने सभी कुछ बताने का ठेका तो नहीं ले रखा ना ….                 

11 .दोस्तों हमने इस्त्री का माँ की ममता वाला रूप देखा हुआ है ….जो की सिक्के का बस एक ही पहलु है ….जिन्होंने की इनका विमाता वाला रूप देख रखा है ….वोह ही जानते है की असली खलनायिका असली जिंदगी में क्या -२ कर सकती है ….

                  मेरा यह मानना है की खुदा की  मेहरबानी से जिन -२ भाग्यवान औरतो को यह रोल प्ले करने का मौका मिलता है ..वोह तो अपनी काबलियत दिखाती ही है …..लेकिन अगर बाकी की बच गई औरतो को भी खुदा यह मौका दे देता तो …भली तो यह बाकी बच गयी औरते भी ना गुजारती ….

                 अगर आप ऐसी किसी सौतेली माता को जानते है ..जो की इसका अपवाद है तो आप किरपा  करके मुझको उसके श्री चरणों भर की फोटो ही मेल कर देना …मैं अपने छोटे से मंदिर में भगवान की मूरत के साथ उसकी भी फोटो रख कर उसकी भी पूजा  किया करूँगा …

         आपकी मेल के इंतज़ार में …देखना मेरे मरने से पहले तो भेज ही देना …कहीं हम यह हसरत अपने दिल में लिए हुए ही इस दुनिया से रुखसत ना हो जाए …

           मेने अक्सर ही इस प्रकार के लेखो में माँ दुर्गा + काली + किरण बेदी + कल्पना चावला वगेरह के नामो का उल्लेख सुना है ..लेकिन अपना तो स्लोगन ही है …सोचो जरा हट के …

             हम नक़्शे कदम पे नहीं चलते बल्कि कदमो के निशा बनाते है …

            रास्ता पूछ ले गर कोई तो उसको मंजिल का पता बताते है ….   

                                     और जागरण वालो से मेरी यह गुजारिश है की मेरे इस लेख की पेमेंट पहले की तरह कैश में ना देकर अबकी बार तो  मुझको कोई एवार्ड ही दे दे ..भले ही वोह कोई सेकंड हैंड ही क्यों ना हो ..मेरी बीवी की तरह … और वहाँ  उपर कैश तो जाता नहीं साथ में ..लेकिन यह एवार्ड जरूर ही चला जाएगा मेरे साथ …क्योंकि उपर जाने पर अगर भगवान जी  ने पूछा की बेटा ! नीचे  क्या कर के आये हो ? …तो अपनी कारस्तानियो का प्रमाण यह मेडल तो  दिखा सकेंगे कम से कम हम …अरे भाई आखिर हमने दुबारा दूसरा आदमजात का जन्म भी तो लेना है ना उनसे …..

       उपरलिखित सभी बाते इस जागरण मंच के ब्लोगर्स पर लागू  नहीं है होती ….सभी कुछ काल्पनिक और मिथ्या है …किसी भी वाद की सिथति में राम जी के न्यायलय का निर्णय अंतिम और मान्य होगा ….

                                          खुदा हाफिज

                                         एक बेचारा वक्त और किस्मत का मारा

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