Menu
blogid : 1662 postid : 1034

“क्या होता ? अगर सभी औरते एक जैसी होती” !

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
  • 202 Posts
  • 5655 Comments

दोस्तों काफी  दिनों पहले एक अखबार में एक अजब अनोखी खबर पढ़ी की हमारे देश में एक गाँव ऐसा भी है की जिसमे सभी मर्दों के नाम एक जैसे ही है …बिलकुल इसी तर्ज़ पर सभी औरतो के नाम भी एक जैसे ही है ….वहाँ के बाशिंदों का यह कहना है की उनको इस तरह की व्यवस्था से किसी किस्म की कोई भी परेशानी नहीं है क्योंकि उनको आज तक  कोई भी दिक्कत पेश नहीं आई है …..

          अब इस अनोखे नजारे को देख कर यार लोगो के खुराफाती दिमाग में यह चखाचख आइडिया आया की क्या होता  अगर वोह खुदा सभी औरतो की सूरत एक जैसी ही बना  देता  ?……

                        आम तौर पर  नारियों को प्यार के मामले में आगे बढ़ कर  पहल करने वाला नहीं माना जाता है … इसीलिए उनको पैसिव और पुरुषों को एक्टिव कहा और माना जाता है ….. यह शायद इसलिए क्योंकि शर्म और हया कों नारी जाति का गहना माना जाता है …. लेकिन तब शायद सारी की सारी औरते काफी हद तक शर्मो – हया रूपी गहना पहनना छोड़ देती …..

                        यह  हमारा पुरुष प्रधान समाज नारियों के हाथो की कठपुतली बन कर रह जाता …. साहित्य के सभी रसों में नारियों की बजाय मर्दों का ही गुणगान होता ….. यह इस्त्रिया जो भी चाहती पुरुष वोह ही किया करते , सब जगह उनका ही बोलबाला होता …. (   वैसे भी अभी भी ज्यादातर पुरुष वोही तो करते है जो इस्त्रिया चाहती है ,लेकिन तब सारा कुछ ही उनकी मर्जी पर निर्भर होता )

                 साहित्य रचना में भी उनकी ही रचनाये प्रमुखता  पाती ….या यूँ कहिये की सारा साहित्य ही उनके हाथों में चला जाता ….. पुरुष आखिर लिखते भी  तो किस पर , और बेचारे क्या लिखते …. इस्त्रियो द्वारा रचित रचनाओं में पुरुषों की पौरुषता    और वीरता का बढ़ चढ़ कर गुणगान होता …..सारा ही साहित्य पुरुषों के हरेक अंगों की प्रशंशा से लबरेज होता ….

               स्त्रीया पुरुषों पे डोरे डालने का खुल कर हर संभव प्रयास करती …. हरेक लड़की हर तरह की सीटी बजाने में निपुण होती …. अलग -२ आवाज और अलग -२ स्टाइल में सीटिया बजाया करती …. कालेज में हरेक लड़की  इकट्ठे चलने की बजाय अलग -२ चला करती और रहा करती ….. ताकि उनको अपने आशिक को बुलाने में , और उससे भी बढ़ कर उनके आशिक को उनको पहचानने में कोई परेशानी ना हो ….

               उस समय के एक रोमांटिक वार्तालाप का रसास्वादन कीजिये , जोकि शायद निम्नलिखित पंक्तियों में होता :-

माशुका :- राजकमल मैं तुमसे अपने दिल की गहराइयों से प्यार करती हूँ और तुमसे शादी करना चाहती हूँ …

राजकमल :-   लेकिन बालिके मैं तो तुम से कतई प्यार नहीं करता हूँ ….

माशुका :-   मैं तुमको पसंद करने लगी हूँ  और तुम पे मरने लगी हूँ …

राजकमल :- लेकिन मैं क्या करूं ? … तुम सारियो के थोबड़े तो कमोबेश एक जैसे ही है ….तुमने मुझको पसंद किया और और इस बिनाह पर ही तुम मुझ से शादी करना चाहती हो ….

           लेकिन अगर मैं तेरे को पसंद करने की बात स्वीकार करूं तो बड़ी ही गंभीर समस्या हो जायेगी …….. अगर मैं तुमको पसंद करूँगा तो मुझको सभी लड़कियों को पसंद करना पड़ेगा …तो क्या मैं सभी लड़कियों से ही शादी कर लू  ?… नहीं , यह हो नहीं सकता , जैसा की हम सभी पुरुषों में रिवाज है ….. मैं भी बिलकुल उसी तरह अपने माँ और बाप की मर्ज़ी से ही जहां वोह कहेंगे वही पर शादी करूँगा ….

                 औरते इस समाज में बिलकुल सुरक्षित हो जाएंगी …. कोई भी मेरे जैसा ‘शरीफ’ उनको छेड़ेगा नही …. कोई उनको बुरी तो क्या भली नजर से भी नही देखेगा ….. अजी साहब आप बलात्कार की  तो बात ही रहने दीजिए कोई भी मर्द उनका मर्जीकार भी नही करेगा ….

                      सिनेमा तो  होगा मगर  कोई हीरोइन नही होगी ….. सुन्दर पुरुष ही विग लगा कर नायिका का रोल किया करेंगे …. नायिका की सिर्फ आवाज ही इस्तेमाल की जाएगी ….

             औरतों में चुगलीबाज़ी बिलकुल ही खत्म हो जाएगी  …… नारिया एक दूजे की बजाय मर्दों से जलन रखा करेंगी ….. पर इस्त्री डाह सिरे से ही खत्म हो जायेगी ….. पुरुष बिलकुल शरीफ हो जायेंगे , एक पत्नी भक्त , पक्के तौर पर श्री राम के भक्त …. नहीं होगा कोई भी श्री कृष्ण जी का भक्त …… सासू  तीर्थ + ससुरा तीर्थ + तीर्थ साला – साली है , यह कहावते बीते जमाने की बात हो जायेंगी ……

                       साँझ को जब पति घर पर वापिस आएगा तो गली में आते ही गली के मौड पर चारपाई पर बैठी इस्त्रियो को देख कर शर्मो हया से अपनी नजरो को झुका लेगा ,और उसकी पत्नी भी चुपचाप ज़ल्दी से घर पर पहुँचने की करेगी , ताकि पतिदेव को कोई भी गलतफहमी ना हो जाए कि इतनी सारी बहनों में ‘मेरे वाली’ कौन सी है ……

                        तो मेरे ब्लागर साथियो + बुद्दिजीवियों यह तो थी मेरी कोरी कल्पना , लेकिन इस लेख को पढ़ने के बाद अगर आपके मन में भी कोई संभावना इन एक जैसी इस्त्रियो के होने वाले समाज  के बारे में में जगती है तो मुझको अवश्य बताए , बिना कोई कंजूसी किये ….. क्योंकि अभी इस विषय पर हमारी बातचीत भगवान जी से प्रारंभिक अवस्था में चल रही है …… अगर आपने इस सुविचार को अपना समर्थन दे दिया तो हम एक प्रस्ताव बहुमत से भगवान जी के दरबार में पेश करके उसको लागू करवाएंगे …….

                               आपकी अमूल्य राय के इंतज़ार में

                                      राजकमल शर्मा 

(मैं आप सभी से अपने दोनों हाथ जोड़ कर माफ़ी मांगता हूँ कि कुछ तकनिकी खराबी के कारण भूल वश मुझ से अनजाने में भूल हो गई …..आप सभी को जो असुविधा हुई है उसके लिए मुझको हार्दिक खेद है , उम्मीद करता हूँ कि आप माफ कर देंगे )

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh