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“चन्द सवालात जागरण से”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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जागरण से परेशान आदमी दोस्तों यह तो आप भली भांति जानते है की मेरे पास इन दो नैनों के इलावा एक तीसरी आँख भी है , जिसका प्रदर्शन मैं यदा कदा करता रहता हूँ ….. हम सभी इस मंच से जुड़े है तो हमारी निष्ठां भी इस मंच से ही जुडी हुई है ….. हम सभी अपने समाज + परिवेश + देश और विदेश के सभी विषय और समस्याएं अपने -२ ब्लॉग द्वारा इस मंच पर रखते है ….. हमारी  वफादारी हमको नमक हलाली सिखाती है ना कि एहसान फरामोशी ,   जब हम दूसरी सभी जगह पर हो रहे अन्याय और अव्यवस्था पर अपनी लेखनी रूपी कलम चलाते है तो इस मंच पर अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसके बारे में देख् कर भी अनदेखा करना न केवल कायरता है + खुशामद है बल्कि खुद से अन्याय को बढ़ावा देना ही कहा जाएगा …..

आज मैं आपके ध्यान में कुछेक पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण फैसले लाऊंगा …..:-

*क्या कारण है की कुछेक ब्लागरो के लेख पोस्ट होते ही फीचर्ड की श्रेणी में दिखाई देते है , जबकि हमको घंटो लाइन में खड़ा रहना पड़ता है …..

* अभी चंद रोज पहले ही मात्र दो लाइनों का एक चुटकुला भी फीचर्ड हुआ था ….क्या उस दिन कोई भी ढंग का लेख नहीं पोस्ट हुआ था ? ….. वैसे उस दिन उस ब्लागर के ब्लॉग पर वोह पोस्ट दिखाई नहीं दे रही थी , सिर्फ फीचर्ड लिस्ट में ही वोह चुटकुले वाली पोस्ट दिखाई दे रही थी ….

मेरा यह मानना है की हमे सदा उपर की बजाय अपने से नीचे वालो को देखना चाहिए , और मैं खुद को कोई बड़ा लेखक भी नहीं मानता हूँ …. यहाँ पर सभी एक बराबर है …..ठीक उसी दिन मेरा लेख पोस्ट हुआ था , अब आप ही फैसला करे की उस चुट्कुले के मुकाबले मेरा वोह लेख किस मायने में कम था ….. जिस तरह से क्रिकेट में वोही टीम जीतती है जोकि उस दिन अच्छा खेलती है , ठीक उसी प्रकार किसी भी लेखक का नाम चलने की बजाय उसका उस दिन का प्रदर्शन होना चाहिए …..

*कुछेक लेखक तो इनके लिए ऐसे है जोकि कुछ भी ‘लिखे’ या फिर  ‘दिखाए’ , फीचर्ड होना ही है हर हाल में , हालाँकि वोह भी मेरे मित्र है , मैं सभी की तरक्की चाहता हूँ …. लेकिन यहाँ पर बात मेरे उनके साथ व्यक्तिगत सम्बन्धों की नहीं बल्कि पक्षपातपूर्ण व्यवहार की है ….. शायद उन लेखकों का दर्जा इतना ऊँचा उठ गया है की हर बार उनसे भगवान (जागरण जंक्शन ) खुद पूछता है की “बता तेरी रज़ा क्या है”  !

*कई बार यह भी देखा गया है की किसी खास ब्लागर को ज्यादा समय देने के लिए उसकी पोस्ट को तो सबसे उपर रखा जाता है जबकि बाद में आने वाले ब्लाग उसके नीचे “अंडर-ब्रिज” के रास्ते से निकलते रहते है …… यहाँ पर सभी मेरे मित्र और स्नेही है , जिस ब्लागर के उपर यह विशेष किरपा हुई थी वोह भी मेरे परम मित्र है इसलिए मैं उनका नाम नहीं ले सकता , हाँ व्यक्तिगत रूप से जागरण वालो को उस ब्लागर का नाम जरूर बता सकता हूँ ….

*हर बार पुरस्कार की घोषणा के समय उम्मीदवार के नाम पर पर हो-हल्ला मचता है , सवाल उठाये जाते है ….. अगर एक बार की बात हो तो हम मान भी ले , लेकिन यह ड्रामा तो हर बार होता है ……

लेकिन पहली बार आदरणीय अलका जी के नाम पर इस बार आम सहमती बनी , लेकिन उसमे भी एक फंडा है ….. इस बार जागरण वाले अगर आदरणीय अलका जी का विदेश में रहना + वहां से उनके द्वारा राष्ट्र भाषा के लिए किये गए प्रयासों का हवाला न देकर पहले की तरह सीधे -२ उम्मीदवार घोषित कर देते तो बवाल इस बार भी होना तय था ….. इस बार तो इनका “एन.आर.आई” कार्ड काम कर गया , देखते है की अगली बार कौन सा तुरुप का पत्ता फैंका जाता है …..

*यहाँ पर एक महिला ब्लागर है आदरणीय + दुखियारी नारी अनीता पाल जी ….. मैं महिलायों की इज्जत करता हूँ खास करके कामकाजी महिलायों की क्योंकि मेरी माता जी खुद सरकारी विभाग में मेरे पिता जी की जगह पर सर्विस करती है …… मेरा मकसद न तो अनीता जी की बुराई करना है और न ही उनकी पीठ पीछे से कुछ कहना , बल्कि इसकी बजाय मैं आपके सामने यह हैरतअंगेज सच्चाई रखना चाहता हूँ की :-

एक बार मरदूद राजकमल से के.बी.सी. में बिग बी ने पांच करोड़ के लिए आखरी सवाल पूछा की :-

“बताओ जागरण के मंच पर अनीता जी के कितने ब्लॉग है जोकि फीचर्ड नहीं हुए” ….. राजकमल का उत्तर था की :-

“सिर्फ एक सर” …. बिग बी ने कहा की अफ़सोस आपका जवाब गलत है , इसका सही उत्तर है “एक भी नहीं” ….. माफ कीजियेगा आप गलत जवाब देने के कारण पांच करोड़ से सीधे तीन लाख बीस हज़ार पर आ गए है …..

कभी -२ सोचता हूँ की उन पर जागरण की विशेष किरपा का क्या कारण है ?….. क्या कारण है की उनके लेखों की तो आप बात ही छोड़ दीजिए वोह दो –चार लाइनें  भी लिखती है तो वोह भी फीचर्ड हो जाती है …. ऐसी कौन सी महान विद्वान और आला दर्जे की साहित्यकार इनको उसमे दिखाई देती है …..

मेरे समेत दूसरे सभी ब्लागर यहाँ पर अपने दूसरे कामो में से समय निकाल कर पुरे मनोयोग से बिना किसी लालच के सेवा और समर्पण की भावना से यहाँ पर अपने -२ विचार रखते है ….. कोई भी फीचर्ड होने की चाह में नहीं लिखता , अगर हो जाए तो भी ठीक और अगर नहीं हो तो भी ठीक …… लेकिन यह बात तो तब लागू होती है अगर सभी के लिए नीतिया एक समान हो , लेकिन अगर भेदभाव किया जाए तो फिर मन में क्रोध उत्पन्न होना स्वाभाविक है …..

मेरा एक लेख “एक सफल व्यंग्यकार कैसे बने ?”…. सूची में सिर्फ कुछेक घंटे रहने के बाद ही गायब हो गया …. हालाँकि मुझको एक लालीपॉप देकर बहलाने की कोशिश की गई , उसकी बजाय मेरा लेख : “प्यार दो – दो’ ‘प्यार लो – लो”

डाल दिया गया , जोकि अब भी है ….. इसके बाद एक दूसरा लेख  “नामाकूल-नामुराद-पाजी ब्लागर ‘india-321′ द्वारा ‘दिव्या बहन’ की रचना की चोरी” दूसरे दिन गायब कर दिया गया ….

सोचने वाली बात यह है की अगर चुनाव कम्प्यूटर करता है तो एक बार चुनाव कर लेने के बाद उसको बदला क्यों जाता है ….. जो लेख कम से कम पन्द्रह दिन उस लिस्ट में रहना चाहिए  है उसको चंद घंटो के बाद ही क्यों बाहर का रास्ता दिखा गया ? ….. अगर मेरे इस  लेख को भी वहां से निकाल दिया जाये तो आप और मैं क्या कर सकते है ? ,सिवाय  सिर्फ तमाशा देखते रहने के …..

यहाँ पर मैंने जो भी सवाल उठाये है यह सभी आरोप न होकर तल्ख़ सच्चाइयां है जोकि जवाब मांगते है ….. इसलिए कोई मेरी उपर्लिखित बातो से सहमत होता है या फिर असहमत मुझको कोई फर्क नहीं पड़ता ….. मैं अपने और दूसरों के हक के लिए अतीत में आवाज उठाता रहा हूँ , और ‘अगर यहाँ पर आगे भी रहा’ तो भविष्य में भी उठाता रहूँगा ……

अगर हम खुद के और साथियो के साथ हुए अन्याय और भेदभाव को अनदेखा करते है तो हमको सरकार और तंत्र की बुराई करने का कोई हक नहीं है ….. जब हम खुद के लिए और अपने साथियों के लिए आवाज नहीं उठा सकते है

तो हम किसी मजलूम से अन्याय के खिलाफ अपनी लेखनी ख़ाक चलाएंगे ? …..

आप लोग चाहे किसी मजबूरीवश यह सब कुछ अपनी आँखों के सामने होता हुआ देखते रहे , लेकिन मैं जिसके आदर्श + प्रेरणा + गुरु – परम आदरणीय खुशवंत सिंह + स्वर्गीय सरदार सिंह पागल तथा कैन्हैया लाल कपूर (पंजाब केसरी वाले )  तथा इस्मत चुगताई है , यह सब न तो सह सकता हूँ और न ही चुपचाप देख सकता हूँ …

राजकमल शर्मा                           

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