- 202 Posts
- 5655 Comments
अभी कुछेक दिन पहले ही मेरे ब्लॉग पर जागरण जंक्शन द्वारा इस बात का खुलासा किया गया था की अब उनकी नीतियो में प्राथमिकता नवागुन्तक ब्लागरो को प्रोत्साहन देने की हो गई है ….. जान कर बहुत ही खुशी हुई , तो सोचा की अब इसको सेलिब्रेट भी करना चाहिए ….. लेकिन समझ में नहीं आ रहा था की कैसे सेलिब्रेट करूँ …..
फिर अचानक ही मेरी नजर एक नई ब्लागर आंचल (आंच ) की निराली रचना पर पड़ गई …. बस झट से इस जुगाड़ीआ दिमाग में यह धड़ामधकेल आइडिया समा गया की बेटा राजकमल ! जिस प्रकार अपने ‘बिग- बी’ किसी गाँव को गोद ले लेते है , ठीक उसी की तर्ज पर इस मंच के पुराने ब्लागरों को किसी भी एक ब्लागर की या फिर बारी -२ से कई ब्लागरों की रचनाओं को अपने ब्लॉग पर पोस्ट करते हुए उनका उत्साह बढ़ाना चाहिए …. वैसे भी अब जागरण के लिए हम पुराने ब्लागर लोहा हो चुके है , क्या पता इन नए आने वाले ब्लागरों (लकड़ी) संग हम भी तर जाए …… तो लीजिए पेश –ए –खिदमत है आंचल जी की वोह नायाब रचना :-
झड़ी बूंदों की
पोस्टेड ओन: May,13 2011 कविता में
आज भी सताया करती हैं मुझे
तन्हाई में वोह प्यारी बातें तेरी
“भीगा ना करो बारिश में
जान
पानी मीठा हो जाएगा ”
उसी शर्म की लाली से
अब भी सुर्ख है
दामन मेरा…..
मगर एक सवाल
में उलझी हूँ आज कल
की अगर मैं
चाशनी सरापा थी,
तो ये बोछार जो मेरी
आँखों में पिन्घलती है
इसकी बूंदों में
नमक के दाने क्यूँ हैं…. ????????
—आंच—-
अगर आपको कोई शब्द समझ में ना आये तो किरपा करके मुझसे मत पूछना क्योंकि मेरा सारा दिमाग तो मेरी मनहूस बीवी और उसके बारह बच्चे ही चट कर जाते है इस लिए आपसे यह गुजारिश है की आप इस कविता की असल लेखिका आंचल जी से ही उनके ब्लॉग पर जा करके अपनी शंकाओं का समाधान करे ….उनके लेख का लिंक है :- http://aanchh.jagranjunction.com/2011/05/13/16/
मेरी नज़र इनकी रचना पर इसलिए पड़ कर ठहर गई क्योंकि इनकी शैली बहुत कुछ मेरी पसंदीदा लेखिका दीपिका जी से मिलती है ….. उनके लेख का लिंक है :- http://deepika.jagranjunction.com/2010/05/16/who-r-u/
तो आप सभी से मैं यह गुजारिश करता हूँ की जागरण की नीतियो को सहयोग तथा बढ़ावा देने के लिए आप सभी मेरा अनुसरण करे ….. मैंने तो अपना काम कर दिया है , अब देखना है की जागरण अपनी करनी और करनी में कितनी समानता लाता है ….
पितामाह
राजकमल शर्मा
Read Comments