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-नमक – ऐ – शायरी –

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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तरसती है दुनिया जिस मुकाम को वोह तेरी नजरो में उठ कर आज मेने पाया है-
मर कर ही सही तेरे होंठो पे मेरा नाम तो आया है-
अभी तुने मेरी दीवानगी कहाँ देखी है-
अर्थी से भी सरपट दोड़े चले आते गर खबर हो जाती की तुने {मेरे खुदा ने } मुझको बुलाया है-
कयामत क्या होती यह आज तुझको हम बताते-
मरने के बाद भी जब जिंदा हो कर पास तेरे चले आते-
*******दोस्तों हम शुरू से सुनते आये है की मुस्लिम और इसाई कयामत के दिन अपनी-२ कब्रों से उठ खड़े होंगे-
तो दोस्तों यह आपका राजकमल शर्मा जो की एक हिन्दू है-
जिसको की जला दिया जायेगा और राख तक को कहीं बहा दिया जायेगा-
उसने अपने लिए एक खास तरीका चुना है -शायद आपको पसंद आये-
मगर आप इस पर अमल मत करिएगा मेरी तरह-
क्योंकि यह सटन्ट एक कुशल कलाकार द्वारा किया गया है-धन्यवाद*********

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