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मेरे कालेज की {लड़किया + लैकचरार } + { प्रोफैसर और मेरे नाटी दोस्त }…..

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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दोस्तों में जब कॉलेज में गया गया तो पिता जी ने समझाया की बेटा तेरी कुंडली में 32 साल तक मांगलिक दोष है ज़रा ध्यान रखना… तब जिंदगी में पहली बार मेरे मन में हास्य व्यंग आया की बेटा कमल तेरे बाप को तेरे पर कितना भरौसा है … की मेरा बेटा अगर किसी से प्यार करेगा तो उससे ही शादी भी करेगा …इतना भरोसा तो एक बाप अपनी बेटी पर भी नहीं करता है …तो क्या में अपनी कमीज़ की जेब पर लिखवा लू की में मांगलिक हू …जो भी लड़की इस कॉलेज में मांगलिक है वोह ही मुझ से प्यार कर सकती है …वेसे आप को डरने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि में अब 32 की सीमा रेखा को पार चूका हू तो अब आप बेझिजक और बेधड़क हो कर …
हम कालेज के पहले साल के शुरूआती दिनों में मैदान में वालीबाल पर अनाड़ीपन् में उलटे सीधे हाथ मार रहे थे की एम् .काम. के लड़के हमारा मजाक उड़ाने लग गए.. तब हमने उनको 15 दिन के बाद मैच का चेलेन्ज दे दिया …पुरे 15 दिन हम कालेज तो जाते लेकिन पास के फिजिकल कालेज के मैदान में अभ्यास करते …हमारी हाजरी एक लड़का सभी 15 लडको के नाम पर एक पर्ची पर लिख कर प्रोफेसर या मैडम को दे देता ….हम में से एक लड़का जो की कालेज का बेस्ट ऐथलिट था …सिर्फ उसको ही यह गेम कायदे से आती थी …उसीने हम सबको सिखाया ..हमने भी उस को गुरु मान कर पूरी लगन से सिखा … दिलचस्पी बनाने के लिए हम हर मैच के बाद दूध-केले या फिर चाय- समोसे की शरत लगाते… 15 दिन के बाद मैच हुआ तो एक मैच हम जीते तो दूसरा वोह …तो इस तरह हमने उन मजाक उड़ने वालो का मुह बंद किया और उनको अपना दोस्त भी बनाया …उन 15 दिनों के सलेबस को कवर करने के लिए हमको टयूशन रखनी पड़ी …
हमारे कॉलेज के एक प्रोफ़ेसर ने एक बार हमारी मैडम को कहा था की आप के गाल तो कश्मीर के सेबों की तरह लाल है ..तो वोह मेरे मन से इस कदर उतरा की में उसको पुरे तीन साल तक इज्ज़त नहीं दे सका…उस मैडम की यह खासियत थी की आप यह गैस नहीं कर सकते थे की आज जो उसने सूट पहन रखा है उसको पहले कब पहना था…शायद वोह अपनी सारी पगार सूट खरीदने पर ही खर्च करती थी …तो उसको हम बहुत तंग करते थे …लेकिन उन्होंने सदा ही इग्नोर करके बड़े दिल का परिचय दिया ….हमारे बी. काम . लास्ट इयर के पेपर हो चुके थे …हमारे एक दोस्त को इंजुरी के कारण हम हास्पिटल में थे की उसी मैडम की निगाह हम पर पड़ गयी …वोह भी किसी मरीज को लेकर आई थी ..लेकिन उन्होंने उसको छोडकर अपनी जान पहचान के डॉक्टर को उसके घर से बुलाकर हमारे दोस्त का इलाज शुरू करवाया …उस दिन हम सब जुंडली के लोग उस मैडम की इंसानियत को देख कर दंग रह गए और उन की महानता के सामने खुद को बौना महसूस करके अंदर ही अंदर शर्मिंदा हो रहे थे …हम उस मैडम को टर्म में वोह इज्ज़त ना दे सके की जिसकी की वोह काबिल थी ..हक़दार थी …जब तक हमको समझ आई तब तक बहुत देर हो चुकी थी …
में अपने पड़ने के शौंक के कारण सेकंड इयर में लाईब्रेरी में बैठा था की वहाँ के इन्चार्ज ने कहा की तुम इस कालेज में नए आये हो क्या ? पहले कभी देखा नहीं ….बस तभी से मेने यह तय कर लिया की अपनी एक अलग पहचान बनानी है … में रफ़ी साहब के गानों का फैन हू तो उनके ही एक गाने “इक दिल के टुकड़े हज़ार हुए ” पर सबसे पहला शेयर लिखा की ..
गम नहीं की दिल टुकडो में है …टुकडो में ही सही … है तो हसिनाओ के पास …
फिर् में कालेज के सालाना समागम में स्टेज पर गया और २ कविता पड़ी …
ऐ मेरे कालेज तेरे आँगन में है हमारी यह आखरी शाम..
हम तो यहाँ से चले जायेंगे अब कया है यहाँ हमारा काम …
कभी याद तुम्हारी आई तो फिर से चले आयेंगे …
लेकिन जब भी आयेंगे तो आउट साईडर कहलायेंगे ……
एक और कविता थी ..
जिस तरफ भी देखता हू नज़र आती है रंग बिरंगी तितलियाँ ही तितलियाँ …
हसती हुई मुस्कराती हुई हस -२ के दिलो पे बिजलिया गिराती हुई …
फूलों की तरह मुस्कराती हुई बलखाती हुई इठलाती हुई….
दोनों ही कविता लंबी थी लेकिन अब पूरी तरह याद नहीं है…
दूसरा काम यह किया की कालेज की जुंडली को ज्वाइन किया ..उनको मेरी ज़रूरत थी क्योंकि उन सब में कोई शरीफ बंदा नहीं था ..तो वोह कह सकते थे की अगर हम सब वेसे है तो हम में इक ऐसा भी है …तो दोनों तरफ की ज़रूरत की वजह से मुझको वहाँ आसानी से दाखिला मिल गया …उनका काम था पड़ाई के इलावा लडकियो पर कमेन्ट कसना …वेसे वोह सबके सब पड़ने में होशियार थे …हम 14 बालको की टोली में सिर्फ दो लड़के ही कमेन्ट करते थे …क्योंकि जुर्म करने वाले से ज्यादा उस का साथ देने वाला भी दोषी होता है..क्योंकि हम सब इकटठा रहते थे इसलिए सब बराबर के गुनाहगार थे …इक बार कालेज की सब लड़कियों ने यह एकमत से राय बना ली की अब अगर किसी लड़की को छेडा गया तो सबकी सब इकटठा होकर इनके सामने डट जाएँगी और कलासो को अटेंड नहीं करेंगी…उन्होंने हमको हमारी ही क्लास के लड़के से बुलवाया …उनके ऐसा करते ही हम सब खुद को गहरी मुसीबत में फसा समझ घबरा उठे ..लेकिन ऊपर वाले को तो कुछ और ही मंज़ूर था …वोह जिस प्रोफेस्सर को बुला कर लाई ..हम उनसे टयूशन लेते थे …तो हमने उनके पूछने पर बताया की सर हमें तो पहले लड़कियों ने बुलाया था ..तब हम गए थे ..झगडा भी इन्होने ही शुरू किया ..तो इस पर उनके यह कहने पर की इन्होने क्या तुमको आलू वाले पराठे बना कर खिलाने के लिए बुलाया था….तो इससे बहुत ही हल्का फुल्का माहौल बन गया ..और हम जान बची तो लाखो पाए… लौट कर बुद्धू क्लास को आये …वोह सर हमको अकाउंट पढाते थे ….तो उनकी बहुत ही इज्ज़त थी …उन्होंने बहुत सी किताबे भी लिखी थी…वेसे भी कालेज में जो सब्जेक्ट मुश्किल होता है …अगर उसको पढानें वाला काबिल है..अपने होमवर्क करके आता है तो उसकी इज्ज़त सब स्टूडेंट करते है …
मुझको उन लडको की नियत पर कोई शक इसलिए नहीं था क्योंकि उनकी भाषा सभ्य होती थी ..सारा काम विद इन लिमिट होता था … बस एक दो काम को छोड़ कर ..पहला तो यह की वोह किसी भी लड़की को रेड+ वहाईट का काम्बीनेशन .. “हम रेड एंड वहाईट पीने वालो की बात ही कुछ और है”..कह कर नहीं पहनने देते थे …दूसरा जो भी लड़की जींस या टॉप पहनती थी उसको बहुत तंग करते थे …वेसे यह ठीक भी था …इसी से मुझको उनकी सोच की सही दिशा पर विश्वास हुआ था …और फिर प्रिंसिपल तक को यह ऐलान करना पड़ा की अगर किसी ने जींस या टॉप पहना तो वोह लड़की खुद ही जिमेवार होगी …पेपरों से पहले की छुट्टियो से पहले उन सब ने सभी लड़कियों से सारा साल तंग करने की माफ़ी मांगी कान पकड़ कर …
एक बार हम सभी अपने एक दोस्त की बहिन की शादी में गए थे तो वो ही दोनों लड़के आर्केस्ट्रा वाली लडकियो के खाना खाने के समय पर जिद्द करने लग गए की हमने तो अभी वोह वाला गाना सुनना है वोह भी सिर्फ उस खास लड़की से ….यह समझाने का भी उन पर कोई असर नहीं हुआ की लड़की अभी खाना खा रही है …खैर वोह बेचारी खाना बीच में ही छोड़ कर उन्ही टाईट कपड़ो में बिना मेकअप के आ गई और गाने पर डांस किया …जबकि पहले वोह मेकअप में खुले कपड़ो में काफी बड़ी दिखाई देती थी ….तब उन्होंने कहा की आज हमसे बहुत बड़ी भूल हो गई ..हमको ऐसी जिद्द नहीं करनी चाहिए थी …आज हमारा सिर शर्म से झुक गया है …तो ऐसे थे वोह मेरे बदमाश दोस्त …कहते है न की रंडी की भी इज्ज़त होती है ! …और बदमाशो के भी कुछ असूल होते है.

जब फेयर वैल पार्टी का समय आया तो सब लड़कियों ने उस लड़के के कहने पर जो की हमको उनके पास बुला कर ले गया था ..कहा की हम इनको पार्टी नहीं देंगी …सबके पैसे वापिस कर दिए …अब इस में हमारी बहुत बेईज्ज़ती थी ….तब मेने अपनी अकल के घोड़े दोड़ाऐ..और अपने दोस्तों को एक सलाह दी …तब हम सबने यह फैसला लिया की पार्टी तो हर हॉल में होगी ..हम लोग उनका भी हिस्सा डालेंगे …जब उनको हमारे इस फैसले का पता लगा तो उन्होंने अपने बड़े दिल का सबूत देते हुए कहा की यह तो हमारा ही फ़र्ज़ बनता है की असूलन हम आपको पार्टी करे …….हमने आपको माफ कर दिया ..अब यह पार्टी हम ही करेंगे पहले की तरह …..
पार्टी के बाद हमारे कॉलेज की मिस का चुनाव हुआ ….तो में यह देख कर हेरान रह गया की लडकियो में हालात के मुताबिक ढलने की कितनी ज्यादा समर्था होती है …जिस लड़की ने तीन साल में कभी किसी से बात नहीं की थी वोह मिस कोलेज बनते ही सबसे ही मिनटों में घुलमिल गई और हँस – हँस कर सबके साथ फोटो खिचवाने लग गई …लेकिन हमारे ग्रुप के किसी भी लड़के ने उसके साथ फोटो नहीं खिचवाई ..ताकि वोह हमको खयालो में ही याद कर सके …हम यह भूल गए थे की हमारी एक ग्रुप फोटो भी होनी है ..
उसी समय पार्टी के बाद एक लड़की बोली की वीर जी ज़रा पीछे हटना ..वोह तो चली गई ..लेकिन अब सब में यह बहस होने लगी की उस ने वीर जी किस को कहा है ..कोई भी खुद को उस का वीर मान लेने को तेयार नहीं था ..आखिर में सर्वसमिति यह फैसला हुआ की उसने कमल को वीर कहा है ..मेने कहा की इस पर मुझे कोई भी आपति नहीं है.. पहली बात तो में मांगलिक हू ..दूसरा मेरी शादी इस दुनिया में सिर्फ एक ही लड़की से होगी ..तो उन ” दोनों” को छोड़ कर बाकी सब मेरी बहने ही हुई ना …अब वोह चकरा गए की बेटा शादी तो एक से मगर पूरी धरती पर उस दूसरे वाली को क्यों रख छोड़ा है ..में बोला की यारो खुदा ना करे की हमारी गाड़ी का अगर एक टायर पंचर हो गया तो मुझको स्टेपनी बदलने की सुविधा भी नहीं मिलेगी .. इतना ज़ुल्म ! ..क्या मेरा इतना भी हक नहीं है बनता यारो ! … अब आप ही बताए की क्या मेने कुछ गलत कहा था ?…
जब हम नए – कालेज में आये थे तो हमरी रेगिंग हमारे सिनीयर्ज द्वारा की गई थी …लेकिन जब हम सिनीयर हुए तो हमने अपने इस हक का इस्तेमाल नहीं किया …क्योंकि हम सब इसको बहुत ही बुरा समझते थे और इसके सख्त खिलाफ थे …हमारे इलावा और किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी की वोह इस नेक काम को अंजाम दे सके …तो आपने देख ही लिया है की अगर हमें कोई हक मिल जाए तो भी हम अपनी पावर का गलत इस्तेमाल नहीं है करते …तो अगली बार जब हम किसी परधानमंत्री या राष्टरपति के चुनाव में खड़े हो तो आप सभी अपना-२ मत हमको ही देना …अगर तो आपने हमको परधानमंत्री बनवा दिया तो ठीक ..लेकिन अगर राष्टरपति बनवा दिया तो आप सब की खैर नहीं ..क्योंकि हम कोई रबर की स्टेम्प नहीं है बनना चाहते …तब हम देश में एमरजेंसी लगा कर सारी पावर अपने हाथ में ले लेंगे ..और इतनी दौलत कमा कर स्वीटज़रलैंड के बैंको में रकम जमा करवा जायेंगे की हमारी आने वाली सात तो क्या सत्तर पुश्ते तक ऐश करेंगी ….फिर चाहे विरोधी पक्ष वाले चाहे 5000 – 10000 के नोटों का चलन ही बंद करवा दे …चाहे किसी सेटेलाईट की मदद ले या फिर हमारी उस छुपी हुई धन संपदा को ढूंडने के लिए विदेशों से मशीने मंगवा कर हमारा घर – आँगन ही क्यों न खुदवा डाले ….हमारा घर आँगन ही क्या पूरा देश भी खुदवा दो…. तब भी आपके हाथ कुछ नहीं आएगा ….फिर मत कहना यारो की पहले चेताया नहीं था ….और मेरे लाल किले से भाषण की पहली लाइन तो अब तक आप जान ही गए होंगे …..मेरे सभी भाईओ और …. उन दो को छोड़ कर बाकि सभी मेरी बहनों….बोलो मेरे संग ……जय- हिंद.. जय- हिंद… …..जय – हिंद…..
*********दोस्तों आप सबको यह लग सकता है की सबसे नीचे वाला पैरा शायद ज़बरदस्ती डाला गया है ..जी हां आपका सोचना बिलकुल सही है …यह निखिल जी और अदिति जी की सलाह पर अमल करते हुए लिखा गया है की किसी सामाजिक मुद्दे पर भी ज़रूर लिखू ..तो यह लास्ट वाला पैरा खास तौर पर उनकी सलाह पर शामिल किया है …उम्मीद करता हू की आप मुझको इस सब के लिए बर्दाश्त करेंगे कौर माफ करेंगे…*********** …धन्यावाद

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