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दोस्तों हमारे इस सांझे मंच पर एक लेखिका है सीमा जी ….उनमे एक खासियत है …उनका लिखा हुआ पढ़ कर ऐसा लगता है की जैसे भगवान ने उनके दिमाग में ही कागज – कलम और दवात रख रखी हो …और वहां से सीधे ही विचार सम्पादित हो कर सीधे ही हम सब तक पहुँच रहे है ….
राजीव तनेजा जी इस मंच के जाने माने और सम्मानीय व्यंग्यकार है …जिनका की हरेक बात को कहने का अपना अलग ही निराला अंदाज़ है….
तो सीमा जी और तनेजा जी में एक बहुत ही बड़ी खासियत है की यह अपनी ही मस्ती में पूरी लग्न से लिखने में लगे रहते है …जहाँ मेरे जैसो का कमेन्ट के लिए कटोरे वाला हाथ हमेशा ही फैला रहता है …इनको किसी से कोई मतलब नहीं ….कोई तारीफ करे तो भी ठीक नहीं करे तो भी ठीक …वोह अपनी चाल से बदते रहते है ….
दोस्तों तारीफ या आलोचना तथा कमेन्ट तो तभी मिलेंगे अगर हम मेहनत करके कुछ लिखेंगे …अपनी थोड़ी या ज्यादा जो भी प्रतिभा है उस को दुनिया के सामने रखेंगे की देखो मेरे में यह क़ाबलियत है …मुझको जान लो….मुझको पहचान लो और मेरा सिक्का मान लो……
पंजाब में एक कहावत है की – बाबा अटल पक्किया – प्काइया घल्ल – लेकिन कुछ लोगो ने इसका गलत मतलब निकाल लिया है …..वोह कोई भी मेहनत का काम करना ही नहीं चाहते …न तो शारीरिक और ना ही मानसिक ….इसका प्रमाण है इस मंच पर होने वाली नित चौरी की लगातार बढती हुई वारदाते …..गुरु साहिबान ने तो दसों नाखूनों की किरत कमाई खाने को कहा था …लेकिन यह निक्कमे और महा आलसी लोग जिनको की चौर कहलाना ही पसंद है …..अपने तीन नाखूनों से भी मेहनत नहीं है कर सकते ..यानी की कलम से नहीं है लिख सकते …अगर आप को लिखना नहीं आता तो आपको क्या किसी काले कुत्ते ने काटा है की अपने लिखने की तलब पूरी करने के लिए चौरिया करते फिरो …..
अगर आपने यह तेनेजा जी के यहाँ चौरी अपने बच्चो के लिए की है तो मैं आपकी मज़बूरी समझ सकता हू …..अगर आपने यह चौरी अपनी बीवी के लिए की है तो भी मैं आपकी मज़बूरी समझ सकता हू ….लेकिन अगर आपने अपनी बीवी के कहने पर यह चौरी की है तो मैं आपका परम हितेषी होने के नाते आपको सावधान करना चाहता हू ….. की चाहे उस लेख का शीर्षक बदल दिया है ….मैं आपकी बीवी को बहुत ही अच्छी तरह से जानता हू …वोह तुरंत ही जान लेगी की आपने क्या करतूत की है …क्योंकि वोह आपकी क़ाबलियत जानती है …..कही ऐसा न हो की सच्चाई जान कर वोह आपको छोड़ कर तनेजा जी के पास ही चली जाए …और आप हाथ ही मलते रह जाए …..
बच्चू लाल अभी भी वक्त है की संभल जायो ….सुबह हुए ज्यादा देर नही है हुई …और शाम होने में काफी वक्त है ….आपके लिए यही बेहतर होगा की आप इस रस्ते से वापिस लौट आओ……
इसी मंच पर एक और व्यंग्यकार है श्री मिश्रा जी …..उनका लिखने के शौंक के अलावा एक और ड्यूटी भी है …शतकीय टिप्पणिया करने की ….
तुम अपनी मेहनत से कुछ भी लिखो …मैं उन से सिफारिश करूँगा की कम से कम तुम्हारे लिए वोह शतकीय टिपण्णी की बजाय दसवी टिपण्णी कर दे …..उम्मीद करता हू की तुम सुधर जायोगे …….
बिना वर्दी वाला मुंडा
गुंडों पे चलता है जिसका डंडा
राजकमल शर्मा
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