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दोस्तों जब शाईनी आहूजा कांड हुआ था तो मैं ‘भलामानस’ चुप करके रह गया था की चलो भाई अपना हमवतन भाई है , अगर जोश में होश खोकर गलती हो ही गई है तो भी बेचारे को माफ कर ही देना चाहिए ….. मैं तो कहता हूँ की जो भी करो मर्जी से करो ना की मनमर्जी से करो ….. अब कोई इनसे पूछे की अगर वोह नहीं मान रही थी तो उसके साथ ज़बरदस्ती करने की क्या तुक थी ? ….. अब मुझको ही देखिये , मैं कभी भी बिना मर्जी के मनमर्जी वाला काम नहीं करता हूँ ….. सीधी – सरल सी बात है की अगर कोई नोकरानी आनकानी करती है + राजीखुशी से नहीं मानती है तो उसकी बजाय कोई दूसरी कम्प्रोमाइज करने वाली ज्यादा जरूरतमंद और ख्वाहिशमंद नोकरानी को ‘काम’ पर ‘काम’ के लिए रख लो …… जब आप खुद फिल्म लाइन से हो तो क्या यह बात भी अब मुझको आपको समझानी पडेगी , जबकि आप अच्छी तरह से जानते है की आपकी दुनिया का दस्तूर क्या है ? ….. निर्माता निर्देशक अपनी फिल्म की हीरोइन को बदलता ही रहता है , तब तक फाइनल नहीं करता है जब तक की उसको कोई ‘मनमाफिक उपयुक्त हीरोइन’ नहीं मिल जाती …..
आजकल की तो फिल्मों में भी हीरोईन बड़ी जल्दी से मान जाती है ….. और ऐसे माहौल में रहने वाले शाइनी आहूजा के साथ उसकी नोकरानी इनकार करने वाली हिमाकत करे तो उसको ज़बरदस्ती करने लायक गुस्सा तो आना ही था ….. उस अदना सी नोकरानी की इतनी हिम्मत की इस देश के अभिनेता को इनकार कर दे …..इस देश में तो क्या नेता और क्या अभिनेता इनको कोई भी इस प्रकार के पावन कार्य के लिए इनकार करने की कोई भी जुर्रत नहीं करती है ….. और आजकल का तो जमाना ही ऐसा है की अपने बाहुबल और पुरुषार्थ पर ही भरौसा करना चाहिए …. जो चीज आसानी से ना मिले उसको बलपूर्वक छीन लो , तभी तो आप असली मर्द कहलाओगे …… लेकिन यह उस नोकरानी की घटिया सोच ही कही जायेगी की जिसने की “मर्द को कभी भी दर्द नहीं होता” इस बात को मानते हुए उस बेचारे को सजा दिलवाने की नापाक कोशिश की ….. यह तो भगवान का लाख -२ शुक्र है की उसको बाद में सदबुद्धि आ गई और उसने अपनी भूल सुधार ली …..
इस केस में बाद में क्या हुआ , तथा क्या फैसला आया , तथा क्या इन्साफ हुआ ? यह आप सभी ने देखा और पढ़ा ही होगा ….. अभी आजकल एक और इसी तरह का केस सामने आया है जिसमे की अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अध्यक्ष पर एक होटल में एक अदना सी नोकरानी को अपने ‘सिक्स पैक एब्स’ दिखाने के बेहूदा इलज़ाम लगाए गए थे …. क्योंकि यह एक विदेशी से जुड़ा हुआ मामला है इस लिए इस बार मैं खुद को इस पर लिखने से रोक नहीं पाया और पिछली बार जैसी गलती नहीं दोहराई …… अब इन मीडिया वालो से और जनता से कोई पूछे की भाई लोगों इस तरह के स्पेशल पैक्स तो अपने बेडरूम में ही दिखाए जाते है …. अब वोह बेचारे कोई फ़िल्मी हस्ती तो नहीं ना है की इस तरह के करतब उनको अपनी फिल्म में दिखाने का और अपनी वैनिटी वैन में दिखाने का मौका मिलता ….. इस नोकरानी की भी ही मति मारी गई थी ….. इसे उसका दुर्भाग्य ही कहा जाना चाहिए ….. अगर वोह नासपीटी कलमुंही इस धरती के कुबेर जी को खुश कर देती तो क्या पता उसकी आने वाली सात पीढ़ियो की तंगहाली दूर हो जाती ….. लेकिन उस मनहूस ने हाथ में आया हुआ वोह सुनहरी मौका गंवा दिया …….
वैसे मेरे हिसाब से तो यह कान स्ट्रास महाराजा जी थोड़ी सी जल्दबाजी कर गए …… अगर यह थोड़ा सा धैर्य रखते तो फ्रांस के राष्ट्रपति का चुनाव जीत लेने के बाद जिसको चाहे अपने सिक्स पैक एब्स दिखाते , जिस पर दिल आता अपने बेडरूम में बुलवा लेते + उसको उठवा लेते ….. जिसको चाहे अपनी अतरंग और निजी पार्टियों में बुलवा कर उसको अपने कुक्रत्यो और धन धान्य से कृतार्थ करते …. जब तक हाथ में सत्ता रहती , कोई उफ़ तक नही करता और फ्रांस के लोग भी भगवान का शुक्रिया अदा करते की उनका अगला भाग्य विधाता उनके वर्तमान राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी की “नीतियो” का पोषक और सरंक्षक ही है …. लेकिन इनको शायद अपने चुनाव और जीत पर कोई भरौसा नहीं था , तभी तो जल्दबाजी में ऐसी हरकत कर गए …..
मेरे मन में यह अजीब सा सवाल उठता है की आखिर इन काली कलूटी नोकरानिया को भगवान अब इतनी सुन्दर क्यों बना कर भेजने लग गया है की इनके मालिकों को इनके सामने अपनी पत्नी की सुंदरता भी फीकी लगने लगती है ….. जरा गहराई से सोचा तो इसका जवाब भी मिल गया ….. दरअसल आज के जमाने में इन नीची जात + और नीचा काम करने वालों की नस्ल बदलती जा रही है ….. यह इसी का नतीजा है की अब हमको कोई-कोई नहीं बल्कि ज्यादातर नोकरानिया सुन्दर ही दिखाई देती है ……. अब जब कोई सुन्दर होगा तो उसके चाहने वाले भी होंगे तथा उसकी सुंदरता के दुश्मन भी होंगे …… तो अगर कभी कभार देवयोग से ऐसा कोई सयोंग हो जाए तो इस को नियति का विधान मान कर मेरी तरह चुप रहे . ज्यादा खाली पीली मीडिया वालो की तरह से हल्ला वल्ला + हल्ला गुल्ला नहीं करने का , समझे क्या ! ….. चूँकि अपुन को शोले की बसंती की माफिक ज्यादा बोलने की आदत तो नहीं है इसलिए चलता हूँ नहीं तो तुम लोग बोलेगा की यह स्साला तो खूब बोलता है …..
राजकमल शर्मा
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