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हॉल आफ फेम ( 9 9 9 9 9 बधाईआ )

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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दोस्तों अपने दिल पे हाथ रख कर इमानदारी से बताना की जब आपको जागरण द्वारा हाल आफ फेम की खबर मिली थी ….तब क्या वाकई में आपको तहेदिल से खुशी हुई थी ……अगर अपने दिल की सच्चाई को बयान करूँ तो … यार लोगो के कलेजे  पे तो ना केवल किंग एंड क्वीन आफ कोबरा सांप लौट गए थे …बल्कि अण्डे भी दे ही दिए थे ….

                      और हम तो ठहरे जन्मजात ईर्ष्यालु …….. बिलकुल वैसे  ही जैसे की अक्सर औरतो  को जलन होती है …   भला उसकी चमड़ी   मेरी चमड़ी  से सफेद कैसे !  फला औरत मेरे से सुंदर कैसे …… और अगर पति महोदय किसी ठीक ठाक सूरत वाली को भी जरा गौर से ताक  भर भी ले….तो वोह भी उनको किसी अप्सरा सी नज़र आती है ……की आखिर इस में कुछ तो बात है …जोकि पति देव ने इसमें इतनी  दिलचस्पी ली….  भला  हम किसी को अपने से आगे जाता हुआ कैसे  देख सकते है ……बिलकुल वैसे  ही जैसे की अक्सर औरतो  को जलन होती है …   हम तो तुरन्त ही उनकी सीड़ी को किसी ना किसी तरह गिराने की जुगाड़ में लग जाते है ……

                                                क्योंकि हम में कोई खास क़ाबलियत वगैरह तो है नहीं ….और हम तो ठहरे विशुद्द पत्नी भक्त …..हमारे लिए तो चारों धाम हमारी घरवाली ही है ….अब हम तो अपनी प्राण प्रिय पत्नी मधु पर ही लिख सकते है ..कोई भी पत्नी पुराण ….अगर उसके लिए हमको किसी हाल आफ फेम  में शामिल करना चाहो तो यह नाचीज बंदा  मेहनत कर कुछ लिखने का प्रयास भी  करे ….और उसको लिखने के बाद तो  हम सारी -२ रात जाग कर मेल का बिलकुल उसी तरह इंतज़ार करेंगे … जैसे की दीपावली की रात को जाग -२ कर हम माँ लक्ष्मी जी के आने का इंतज़ार किया करते है …..

             वैसे हमको यह बहुत ही अच्छी तरह पता है की हमको इस जन्म में तो क्या … अगले सात जन्म में भी यह एवार्ड नहीं है मिल सकता ….ऐ काश की हम किसी लाल किताब का कोई सिद्ध टोटका ही जानते होते ….तो शायद आज हमारी इस कद्र यह हालत न होती …… हम दूर खड़े होकर किसी उदबिलाव की तरह ताकते  हुए यूं  बगले ना झांक रहे होते ….. बल्कि इस फेम के हॉल में शामिल हो कर खुशी से डिस्को भांगड़ा  डाल  रहे होते …..

               इसलिए हाल आफ फेम में आने की खबर के बारे में हम तो यह भी नहीं कह सकते है ..  की हम तेरा इंतज़ार करेंगे कयामत तक ! खुदा करे की कयामत  हो तू आये …

        वेसे इस बेकसी के आलम में हम कोई खम्भा भी तो नहीं है नोच सकते किसी बिल्ले की तरह ….. हमारी किस्मत तो इतनी दगावार है की हमारे लिए तो इस मंच पे शायद  कोई खम्भा भी नहीं बचा होगा ….. क्योंकि  10 खम्भों पर तो पहले से ही ब्लाग स्टार के टाप 20 में से बाद वाले टाप 10 वालो ने कब्ज़ा कर रखा है …..

                          वेसे दुनियादारी का तो यह तकाजा बनता है की हम अपने इस नरम नाज़ुक दिल पे  पहाड़ सी कोई चट्टान रख कर …. अपने होठो पे सजावटी + दिखावटी  + बनावटी और जहरीली मुस्कान सजा कर इन सभी एवार्ड विनर को  ज्यादा नहीं तो कम से कम  9 9 9 9 9  बधाईया तो दे ही डाले …… अजी  हम तो ऐसे घनचक्कर है की हम इनको साथ में जोड़ने के लिए एक एक्स्ट्रा बधाई नहीं देंगे …..हां पीछे चाहे हमसे बीसियो 9 और लगवा लो …..आखिर हम कुत्ती  चीज जो ठहरे …इतनी तो आप हमसे अपेक्षा रख ही सकते है ना …… अब आप सभी हैरत में पड़  कर सोच रहे होंगे की आखिर हमने इनको पूरी एक लाख  बधाईया क्यों नहीं दी ….उसके भी एक नहीं कई कारण है :-

1.दोस्तों एक तो आजकल मार्किट का ट्रैंड ही कुछ ऐसा हो गया है की यह तरीका अपनाने से वस्तु ग्राहक को अपनी तरफ कुछ ज्यादा ही खींचती है ….

2.दूसरा हमने सोचा की जब यार लोग खुद ही  99  के फेर में पड़े हुए है तो अब इनको कम से कम बधाई के मामले में तो  99  के फेर में डाल ही दे ……

३.वैसे  भी यह 99  का चक्कर इनकी तरक्की के लिए बेहतर ही होगा…..

           मेरी इन सभी हॉल आफ फेम में आने वालो से यह गुजारिश है की यह सभी अपने लिए ना सही …कम से कम बधाईयाँ रखने के लिए ही सही …किराये पर एक बड़ा सा गोदाम तो ले ही ले …                          

                        यह कितने अचरज की बात है की हाल आफ फेम के इतने बड़े से हाल में सिर्फ कुछ चुनिंदा ब्लोगर्स ही समा पाए है …..जबकि उस हाल के बाहर जो दूसरा खुला हाल है उसमे समाने वालो की जनसख्या शायद इतनी ज्यादा है की उनकी सही -२ गिनती करने के लिए पता नहीं कितनी मश्शकत करनी पड़े ……अब सेहरा तो कुछेक के सर पे ही सजा है …तो बाकी जो बराती  है वोह बेचारे मेरी तरह शर्म से मुहं छुपाये हुए न तो किसी को बधाई दे सकते है और न ही खुशी मना सकते है और ना ही खुद के दुःख में शामिल हो सकते है ….. खुदा इनके अरमानो और ख्वाहिशों को ताबीर दे …सपने में …..

            अब देखने वाली बात है की इस सब में कितनी हींग और फटकरी लगी है …और यह तो वक्त ही बताएगा की इसमें से रंग कितना चोखा आएगा ….वैसे मेरे को तो मेरी ससुराल वालो ने सिर्फ एक बार ही हल्दी लगाईं थी …. और उसका रंग आज तक घना  चोखा आ रिआ है …..

 अब अंत में सिर्फ इतनी गुस्ताखी ही करना चाहूँगा ….

                तुम मुझसे किसी शराफत की उम्मीद मत रखना की कुछ अलग ही फितरत होती है हम बिना दिलवालो की …

                जब अपनी पे आ जाये तो किसी भी हद से गुजर जाए फिर कहाँ परवाह होती है हमको इस जमाने  की  ….

                बना दो चाहे मिटा दो  यह अख्तियार है तुमको बस इतनी गुजारिश है हमको कोई बद्द्दुआ मत  देना …

                 बद्द्दुआओ ने तो बस अपना काम करना है उनको कहाँ पहचान होती है अपने और बेगाने की….

                                               राजकमल ( मधु का पति )                 

 

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