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“अनीता पाल’ – ‘राजकुमारी एक खलनायिका”

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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दोस्तों आज मैं आप सभी से इस मंच की ब्लागर अनीता पाल जी के बारे में उचेक बाते साँझा करने चला हूँ ….. इस मंच पर अपनी शुरुआत में इन्होने खुद को पुरुषों के जुल्मोसितम की सताई हुई अबला नारी के रूप में प्रचारित और प्रसारित किया था …… जिसके फलस्वरूप न चाहते हुए भी यह इस मंच की “ट्रेजिडी क्वीन मीना कुमारी” बन गई थी  …. ज्यादातर ब्लागर इनसे सहानभूति जतलाते हुए जब इनके ब्लॉग पर पहुँचते तो उन बेचारों की तो शामत ही जाती ….. जो भी इनके दायरे में (ब्लॉग पर) पहुँचता उसकी लानत म्लानत करना यह अपना जन्म सिद्ध अधिकार समझती …… लेकिन तमाम तरह की जलालत सह कर भी कुछेक बेशर्म ब्लागर इनका समर्थन  करते हुए इनकी  किर्पाद्रष्टि पाने की चाह में इनके ब्लॉग पर पधारते रहे …..

                     अपनी दुःख भरी दास्तान को बिना कोई हसीं मोड़ दिए सभी के अरमानो पर पानी फेरते हुए अचानक ही इन्होने अपनी धारावाहिक कहानी की किश्ते समाप्त कर दी …… पता नहीं वोह  “एक- मरदूद” कौन था जिसका अक्स इनको हरेक पुरुष में दिखलाई देता है ….. उसी की करतूत के कारण ही यह सभी मर्दों को “सभी मर्द एक जैसे होते है” के खिताब से नवाजती है …….

                           जिस तरह एक कामुक पुरुष के लिए हरेक नारी शरीर एक भोग्य के रूप में ही होता है उसके लिए कोई भी रिश्ता नाता कोई मायने नहीं रखता ….. कुछ इसी तर्ज पर हरेक मर्द बस इनके लिए बस एक मर्द ही है ….. इनके ब्लॉग पर चाहे बच्चा हो + अधेड़ हो चाहे वोह कोई बजुर्ग हो , इनके लिए वोह और कुछ न होकर बस इनका साफ्ट टारगेट महिलाओं का शोषक पुरुष मात्र ही होता है …… जिसकी इज्जत का कचरा करना इनका परम धर्म है …..

                         जिस तरह राखी सावंत को फिजूल की  शोशेबाजी में मजा आता है ….. उस महान नारी से प्रेरणा लेते हुए यह भी हर बार कोई नया शगूफा छोड़ कर अपने लेख द्वारा सनसनी फैलाते हुए खुद को “सनसनी गर्ल” के रूप में स्थापित करने पर तुली हुई है ……

                                 इनके हरेक लेख में एक मर्म छिपा रहता है जिस तक पहुंचना एक आम औसत  आदमी के लिए नामुमकिन ही नहीं बल्कि असंभव भी होता है ….. कोई विरला ही , जिसने की पिछले जन्म में मोती दान किये हो इनके छुपे हुए मर्म तक पहुँच पाता है …..

                                यहीं पर बस नहीं कई बार ऐसा भी देखने में आता है की हमारे किसी नए + नोजवान ब्लागर ने महिलायों के पक्ष में कुछ लिखा तो उस पर उन्होंने बड़ी ही दरियादिली से महिलाओं की सहानभूति बटोरने   का आरोप तक जड़ डाला ….

                                     और अपने नवीनतम लेख में तो इन्होने सारी हदे ही तोड़ डाली जिसमे की इन्होने पूज्य अन्ना  हजारे  जी के सत्याग्रह + आंदोलन + त्याग पर ही न केवल तमाम तरह के बेबुनिआद सवाल उठा डाले बल्कि उन पर तथा उनकी समर्पित सारी की सारी टीम को भी अपने अर्नगर्ल आरोपों के कटघरे में खड़ा कर दिया …..

                          जिस तरह कुंवारी महिलाएं ममता दीदी + कुमारी सुश्री जयललिता + बहन मायावती जी अपनी “दमित इच्छाओं”  तथा कुंठाओ के कारण हमारे समाज का अपने उलजलूल फैसलों से नुक्सान कर रही है …..  कुछ इसी तरह यह भी अवसादग्रस्त हो कर अपने मानसिक दिवालिएपन को जाहिर करती हुई पता नहीं क्या -२ लिख डालती है …… माननीय अटलबिहारी वाजपेयीजी जी ने तो ममता दीदी की माता जी से एक बार बड़े ही दुखी मन से शिकायत भी की थी कि “माँ तुम्हारी बिटिया रानी मुझको बहुत परेशान करती है” …… लेकिन हम इनकी शिकायत किससे और किस प्रकार करे ? ……           

                      ऐसा लगता है की जब सारे के सारे पुरुष इनकी निगाह में  गुनाहगार और अपराधी है + नफरत के काबिल है तो इनको किसी ऐसे टापू पर चले जाना चाहिए जहाँ का सारे का सारा निजाम सिर्फ औरतों के हाथ में ही हो + जहाँ पर सिर्फ औरते ही रहती हो , पुरुष नामक प्राणी हकीकत तो क्या सपने में भी दिखलाई न पड़ता हो …..

                          अब वक्त  आ गया है कि इनको या तो शादी कर लेनी चाहिए या फिर किसी मनोवैज्ञानिक चिकित्सक से अपना इलाज करवा लेना चाहिए ….

इनके सुनहरे भविष्य कि कामना के साथ शुभकामनायो सहित इनका एक शुभचिंतक ….

                                          राजकमल शर्मा

 

 “अनीता पाल’राजकुमारी एक खलनायिका”

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