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“बाबा रामदेव जी के आन्दोलन की राजकमलिया सी.सी.टी.वी. फुटेज” !!!

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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योगगुरु बाबा रामदेव 9 अगस्त को दिल्ली में होने वाले आंदोलन के लिए की गई और की जाने वाली तैयारियों का जायजा ले रहे थे ….. उन्होंने एक स्वयसेवक को कहा की इस बार मंच को ज्यादा ऊँचा मत बनवाना , पिछली बार कूदने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी ….. और हाँ दो जोड़े सलवार कमीज और दो एक साड़ी भी साथ में याद से रख लेना ….. एक भक्त ने श्रद्धा और समर्पण के भाव से कहा की गुरु जी अगर आप की इजाजत हो तो कल्लू हज्जाम को भी साथ में रख लिया जाए , पिछली बार आप मुई दाड़ी के कारण ही तो पकडे गए थे ….. बाबा जी ने प्रसन्न मुख से आशीर्वाद सहित आज्ञा प्रदान कर उसको क्रतार्थ किया ……

एअरपोर्ट पर पहुँच कर बाबा जी को इस बात की घोर निराशा हुई की मंत्रियो के समूह की तो बात ही छोड़ दी जाए कोई जिम्मेदार अधिकारी भी आगवानी करने नहीं आया था ….

दिल्ली पहुँच कर अनशन के पहले ही दिन वहाँ पर लगे शहीदों के पोस्टर में बाल कृष्ण जी को भी साथ देख कर मीडिया + दर्शकों तथा मौके की ताक में बैठी सत्ताधारी पार्टी को बाबा जी पर गरियाने का बिन मांगे मौका कुछ इस तरह मिल गया जैसे की बिल्ली के भाग्य से छींका टूटना ….. चंद घंटो के बाद ही आनन फानन में उस तरह के पोस्टरों को उतार कर +समेट कर रख दिया गया ….. मंच से एक भी शब्द बोले बिना सिर्फ पोस्टरों के सहारे बाल कृष्ण जी पर सारा फोकस करने की रणनीति कुछ इस तरह से उलटी पड़ गई की पहला ही दाँव उल्टा पड़ जाने से बाबा जी की शतरंज का पहला मोहरा पिट जाने के कारण ऐसा अपशकुन हुआ की बाद की सारी बाज़ी ही तहस नहस हो गई ……

इस शुरूआती चूक से बौखलाए बाबा जी अपने हरेक अगले कदम को उठाने से पहले लाख बार सोचने विचारने लगे ….. जब अनशन और धरने के पहले पांच दिनों तक सरकार ने कोई पाजिटिव रिस्पांस नहीं दिखलाया तो बाबा जी को बहुत ही गुस्सा आया जो की स्वाभाविक भी था ….. अब छठे दिन बाबा जी ने अपने भक्तो और समर्थकों को संसद को घेरने के लिए कूच करने का आवाहन करते हुए संसद भवन का रुख किया ….. लेकिन बाबा जी से डरी हुई सरकार और दिल्ली की पुलिस को बाबा जी को उनके हजारों समर्थकों समेत रास्ते में आये हुए  स्टेडियम को ही जेल में बदलना पड़ गया ….. अब बाबा जी को अपनी जीत की कुछ -२ महक आने लग गई थी ….. लेकिन बाबा जी इस बात को भूल गए थे की दशकों से राजनीती में अपने पाँव और पुत्र तथा पोतों को जमाए  हुए घाघ राजनीतिज्ञों की पैन्तरेबाजियो का मुकाबला करना उनके बस की बात नहीं है, फिर चाहे उनके साथ कोई भी क्यों न हो …..

लगभग एक  घन्टे के बाद बाबा जी की कलाई घडी में फिट ट्रांसमीटर में से बीप -२ की आवाज आने लगी….. बाबा जी ने अपने समर्थकों से अगली रणनीति के उपर मन्थन करने के वास्ते कुछ देर के लिए एकांतवास की इजाजत मांगी …. एकान्त में पहुंचकर बाबा जी ने अपनी कलाई घड़ी का रिसीवर मुंह और कान के बीच में लगाया तो उधर से दो  केन्द्रीय मंत्रीयों की आपसी बातचीत करने का स्वर उनके कानो  टकराया ….. तभी उधर से कहा गया की बाबा जी आपसे कुछेक गोपनीय बातचीत करनी है, कोई आपके आस पास तो नहीं है क्योंकि बुजुर्गो ने फरमाया है की दीवारों के भी कान होते है …. बाबा जी ने कहा की आप बिलकुल निश्चिंत रहिये यहाँ पर कोई दिवार तो है ही नहीं , हाँ चारों तरफ तम्बू जरूर है ….. हाँ लेकिन राजकमल का क्या किया जाए उसके पास ना जाने किस तरह से सारी खबरे पहुँच जाती है ….. मंत्री ने अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा की इसका कोई हल तो हमारे सरदार जी और मैडम के पास भी नहीं है , आपसे जो कहा जाए उसको जरा ध्यान से कान लगा कर सुनियेगा …..

आपसे एक बात की तस्दीक करानी है कि आपके अमुक देश में फला -२ नम्बर के बैंक खाते है ?…. और क्या उनमे इतनी -२ रकमें मोजूद  है ? ….. बाबा जी सिर  से लेकर पाँव तक कांपते हुए लड़खड़ाती हुई जुबान से बोले कि आपको इन सभी बातों कि जानकारी आखिरकार मिली कहाँ से ….. मंत्री जी बोले कि सरकार के हाथ कानून से भी ज्यादा लम्बे हुआ करते है , बस हमने अपनी पकड़ में आये हुए आपके उतराधिकारी बालकृष्ण जी के कान को जरा सा उमेठा कि सारी जानकारियां हमारे सामने थी …. यह तो आप भी चाहेंगे कि  आपके राज हमेशा राज़ ही रहे इसीलिए दोनों पक्षों कि जरूरतों के मद्देनजर हम आपसे एक सौदा करना चाहते है कि आप अपने इस आंदोलन को समाप्त करके वापिस हरिद्वार को प्रस्थान कर जाए …..

बाबा जी कुछ राहत कि सांस लेते हुए बोले कि वोह सब तो ठीक है लेकिन इतना तो बता दीजिए कि मैं अपने समर्थकों के सामने कौन सा मुख लेकर उनसे कौन सा बहाना बनाऊ कि बिना कोई ना नुकर + किन्तु परन्तु किये हुए वोह मेरी बात को मान ले …..  मंत्री जी ने तुरंत महामहिम प्रणव दा को हाट लाइन पे जा पकड़ा और झट से सारे  हालात से अवगत करवाते हुए किसी सम्मानजनक बहाने को सुझाने के लिए प्रार्थना की  ….. प्रणव जी बाबा जी से बोले की क्या सोच कर दिल्ली में आये थे आप ? …. यही ना कि सरदार (मनमोहन सिंह ) बहुत खुश होगा , शाबाशी देते हुए काले धन को वापिस लाएगा ….. सरकार का संकटमोचक महामहिम बन गया है तो सरकार को सस्ते में ही घेर लोगे क्या ….. जब तक हम सभी कांग्रेसियो के सिर पर आशीर्वाद दे रही सोनिया मैडम जी हमारी माता है , हर परीक्षा में पास होंगे हम चाहे कुछ भी हमको नहीं आता है ….. फिर मन्त्रीओ  से बोले कि क्या आपने इस बारे में मैडम से  इजाजत ले ली है ?….. भले ही मैं इस पद  पर पहुँच गया हूँ लेकिन उनकी मर्जी के बिना बाबा जी को कोई भी सलाह नहीं दे सकता ….. मैडम की सहमती और उनसे सलाह के बाद प्रणव दा ने बाबा जी को कुछ यूँ बतलाया की आप सरकार तथा उसके मुखिया को जी भर कर कौसते हुए पहले अपने समर्थकों में अपार जोश को भरिये फिर उसके बाद यह कहते हुए अपने आंदोलन को वापिस ले लीजिए की सरकार तो गूंगी और बहरी है इसके कानों पर कभी भी जूं नहीं रेग सकती है …… इसी के साथ साथ मैडम ने इस बात का पक्का आश्वासन भी माँगा है की आप अगले चुनाव से पहले ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाएंगे जिससे की सरकार की किसी भी किस्म की परेशानी हो ….. अगर ऐसा कुछ हुआ तो सरकार से पहले आप खुद परेशानी में पड़ जायोगे ….. बाबा जी ने सभी शर्तों को मानते हुए कहा की एक शर्त मेरी तरफ से भी है की आप यहाँ पर आये हुए मेरे सभी समर्थकों के भोजन और जलपान की व्यवस्था जरूर करवा दीजिए ….. प्रणव दा बोले की स्वामी जी कालेधन को वापिस लाने की आपकी अविवेकपूर्ण मांग के लिए आपकी यही सजा है की यहाँ पर आये हुए इन सभी के लिए आपको  अपने सफेद-धन से ही कोई इन्तजाम करना होगा ….. जय हिंद !!!

वापसी में जाते हुए बाबा जी बाल कृष्ण जी को जेल में मिलने के लिए गए ….. बाल कृष्ण जी बोले- गुरु जी प्रणाम ! बाबा जी बोले की प्रणाम गया तेल लेने , तुझको हमने अपने सभी कामो का राजदार बनाया +नम्बर दो की कुर्सी प्रदान की +फर्श से अर्श तक पहुंचाया …. और तुम अपनी जुबान को जरा सी लगाम भी नहीं दे सके, अपने इस कारनामे से तुमने हमको अर्श से फर्श तक है पहुंचाया ….. अब बाल कृष्ण जी को भी थोड़ा सा गुस्सा आया और वोह बाबा जी से बोले की बगल की कोठरी में सात खून की सजा काट रहा एक खूंखार अपराधी है जिसने की पुलिस की सभी अमानवीय यातनाएं सह कर भी अपना मुंह नहीं खोला है , आप उसको ही अपना उतराधिकारी बना लीजिए …… बाबा जी बोले की अच्छा -२ ज्यादा तमतमाने की जरूरत नहीं है एक तो गलती करता है उपर से जुबान भी लड़ाता है ….. मेरी उपर बात हो गई है अब तुमको किसी भी प्रकार की कोई भी परेशानी नहीं होगी …..

इसके बाद बाबा जी लोगों को गलत अगुआई देने के अपने अपराध बोध को धोने के लिए अपनी आत्मा को पाक साफ़ करने के लिए गंगा जी में डूबकी लगाने के लिए चले गए …..

राजकमल शर्मा

(जिस प्रकार स्वर्गीय जय प्रकाश नारायण जी को जेल में ही असाध्य रोग का शिकार बना दिया गया था उसी की तर्ज पर पिछले साल अनशन के बाद इलाज करने के नाम पर अन्ना हजारे जी को कुछ इस प्रकार की दवाएं दी गई की जिनके सेवन से अब वोह किसी भी प्रकार के अनशन करने के लायक ही नहीं रह गए है ….. और बाबा रामदेव जी का भी उचित और कारगर इलाज सरकार ने कर दिया है ….. इसलिए मेरी सभी से यह प्रार्थना है की कब तक आप किसी मसीहा और रहनुमा को अपनी अगवाई के लिए बुलाते रहेंगे ?….. अन्ना जी और बाबा जी चाह कर भी हमारी कोई मदद नहीं कर पायेंगे ….. अपनी लड़ाई अब हमको खुद ही लड़नी होगी और उसके लिए खुद को संगठित भी करना होगा ….. इसके लिए देश की ज्यादातर असंतुष्ट जनता का जागरूक होना अति आवश्यक है …..)

(बाबा रामदेव जी के आन्दोलन की  राजकमलिया सी.सी.टी.वी. फुटेज !!! )

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