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“सफाई प्रधानमंत्री की”- “भर्ष्टाचार , सत्याग्रह और बर्बर दमन” (jagran junction forum)

RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
RAJ KAMAL - कांतिलाल गोडबोले फ्राम किशनगंज
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 माई डियर ब्रदर एंड सिस्टर आफ इण्डिया         ( सिर्फ चार नारियों को छोड़ कर )

                                        जय भारत !

मैं अच्छी तरह जानता हूँ की पिछले कुछेक दिनों से आप सभी मेरे बारे में क्या -२ सोच रहे है ? ….. इसलिए आज मैं राष्ट्र के सामने अपनी सिथति को सपष्ट करने के लिए हाजिर हुआ हूँ ……

                            मैंने जो अपने स्तर पर बाबा रामदेव जी के उपर आधी रात को मय पुलिस फ़ोर्स के कार्यवाई का आदेश जो दिया था वोह बिलकुल उचित  था ….  सदियों से ही हमारे भारतवर्ष में  अतिथियों के स्वागत – सत्कार की परम्परा रही है …. अब अगर कोई हमारी राजधानी में आये और  हम उसका आदर मान न करे ऐसा  कैसे हो सकता है ? …. आप तो जानते ही है की इस सब कुछ जानने वाली पब्लिक को खा पीकर भूल जाने की आदत होती है ….. और अनशन पर बैठी  सत्याग्रह  करने वाली जनता जनार्दन को आखिर हम खिलाते भी तो क्या खिलाते ? …… अगर हम उनकी सेवा में कुछ तुच्छ भेंट अर्पण कर भी देते तो क्या वोह उसको स्वीकार करते  , कदापि नहीं …..

                    इसलिए हमने उनकी लीक  से हटकर खातिरदारी करने की ठानी …… लोग तो अपने मेहमानों की सिर्फ दिन में ही आवभगत किया करते है , हमने अपने उन खासमखास मेहमानों  की आधी रात में खातिरदारी की ….. हमको जब पता चला की वहां पर नाच गाना हो रहा है तो हमने भी अपनी पुलिस फ़ोर्स को “मन क्यूँ बहका रे बहका आधी रात को” गाना गवाते हुए रवाना कर दिया …. हमने उनकी “सेवा” के लिए राजधानी के रक्षकों को भेजा  लेकिन यह कितनी हैरानी की बात है की मीडिया + तमाम विपक्षी पार्टिओ समेत इस देश के सभी जागरूक नागरिक सरकार की इस पुलिसिया खातिरदारी का तो बढ़ चढ़ कर बखान कर रहे है …… लेकिन हम जो घायलों की  अस्पतालों में डाक्टर और सुन्दर नर्सों से तीमारदारी करवा रहे है , उसकी कहीं भी किसी किस्म की कोई चर्चा नहीं है , है न यह सरासर अन्याय ! …..

                                  लोगबाग यह भी कह रहे है की हमने पहले उनका स्वागत और बाद में ऐसी विशेष खातिरदारी क्यों की  ? …… स्वागत तो हमने उनका अपनी अथिति देवो भव की परम्परा को निभाने के लिए किया था , वैसे भी वोह योग गुरु है तो उनका स्वागत करना हमारा फ़र्ज़ था …..

                       एक और सवाल उठाया जाता है की   उनको इतने विशाल स्तर की रैली की इजाजत क्यों दी ? ….. हम यह देखना चाहते थे की उनके पीछे कितनी जनता जनार्दन है ?……  हम उनकी ताकत को परखना चाहते थे ….. जब हमने देख परख लिया की उनका जनाधार कितना है तो फिर हमने उनको अपनी असली ताकत दिखला दी , तो क्या बुरा कर दिया …. जब हमको पूरा यकीन हो गया की उनके सभी समर्थक सिर्फ गरजने वाले बादल ही है ना कि बरसने वाले बादल , तो हमने सभी पर पुलिसिया लाठियां बरसवा दी …..

                    जिसको देखो सबके मुहं पर हरदम सिर्फ  एक ही बात होती है की हम एक कमजोर इंसान है …..  पिछले सात साल से हमारे कान यह रटी रटाई बात सुन-२  कर पक गए है …. हमारे सहने की भी आखिर कोई सीमा है , आप हमारी पत्नी गुरशरण कौर से पूछ  लीजिए की क्या वाकई में हम “कमजोर” है ? ……. आप क्या जानो की हमारे दिल पर क्या गुजरती थी , हमे सारी  दुनिया की प्रवाह नहीं है लेकिन हमको यह कतई मंजूर नहीं की हम अपनी धर्मपत्नी के सामने शर्मिन्दा हो …….. हमारी इस कार्यवाही से हमारी कमजोर इन्सान और सख्त फैसले ना ले सकने वाले शख्स की छवि भरभरा कर टूटी है …..  अब हम वास्तव में ही “किंग इज सिंह”  और “सिंह इज किंग” बन गए है …….

                                हमने आतकवाद का सामना करने के लिए और दूसरे देशों को माकूल जवाब देने के लिए हमेशा से ही अपनी सेना पर भरौसा किया है ….. लेकिन अब हमारा भरौसा सेना से कहीं ज्यादा पुलिस पर बन गया है ….. अपनी पुलिस  की काबिलियत को देखते हुए भविष्य में  हम ज्यादा से ज्यादा पुलिस पर ही ऐतबार किया  करेंगे ….. हमारा काम तो सिर्फ आदेश दे देना भर होता है और उसको कौन और किस तरह से लागु करवा कर किस तरीके  से अमल में लाता है यह देखना हमारा काम नहीं है ….. कल को अगर किसी युद्ध में सेना किसी के साथ कोई ज्यादती करती है तो क्या उसके लिए भी हमे जिम्मेदार ठहराया जाएगा ?  नहीं न , तो अब हमको क्यों लपेटे में लिया जा रहा है भाईओ और बहनों ! ….(सिर्फ चार नारियों को छोड़ कर )

                      आज हम आप सभी से एक राजनीति के राज की बात को सांझा कर रहे है ….  सभी देशवासी इस बात को भली भांति जानते है की त्यागी बाबा रामदेव जी ने ग्यारह सौ  करोड़ का व्यापार  किया है …. जब उन्होंने विदेशी बैंको में जमा काले धन को वापिस लाने के लिए अपनी आवाज बुलंद की , तभी हम समझ गए थे  की बाबा जी की सारी की सारी माया इसी देश में कहीं पर महफूज है ….. हमने सोचा की बाबा जी जहाँ पर भी जाते है अपने साथ ढेर सारा रुपया पैसा साथ में रखते ही होंगे  … इसलिए हमने उन पर सोते हुए अटैक करवा दिया की बाबा जी की धन दौलत हमारे कब्जे में आ जाएगी , इस मकसद को पाने के लिए हमने स्टेज को भी एक नहीं बल्कि तीन -२ मर्तबा आग की लपटों में झोंका ….

                          कहाँ तो हमने सोचा था की सोकर उठने पर खुद को खतरे में पाकर बाबा जी सबसे पहले अपने धन के बाबत सोचेंगे ,  लेकिन बाबा तो बड़ा ही काइया निकला , उसके पास तो सिवाय एक अदद धोती के और कुछ भी बरामद ही नहीं हुआ …. हमारे एक मंत्री ने उनको महाठग (ठगों का सरताज ) क्या कह दिया , आप सभी ने उनकी इतनी सी बात को बतंगड़ बनाते हुए फोकट में ही  बवाल ही खड़ा कर दिया …. आप सभी ने देखा की बाबा जी अपनी धोती को छोड़ कर जनाना वेश में किस तरह से भाग निकलने की फिराक में थे ….. वोह कहते है न की भागते चोर की लंगोटी ही सही , हमने धन दौलत की बजाय बाबा जी की लंगोटी को प्राप्त करके ही खुद को धन्य माना …. आप लोग नाहक ही हम पर पुलिस फ़ोर्स भेजने का आरोप लगा रहे है , असल में सच बात तो यह है की पुलिस की वर्दी में आधे से ज्यादातर तो इनकमटैक्स के आफिसर ही थे …….

                      आप में से अधिकतर लोगो ने बाबा जी से योग सिखा …. लेकिन क्या आपने कभी बाबा जी की चुस्ती फुर्ती का कोई नमूना देखा , नहीं न …. आपको हमारा एहसानमंद होना चाहिए की हमारी  वजह से आपको बाबा जी का मंच से छलांग लगाने वाला सीन दिखाई दे गया …..

                        हम पर एक और संगीन आरोप लगाया जा रहा है की हमने आधी रात को बाबा जी की हत्या करवाने की चाल चली थी ….. उसके बारे में हमारा यह कहना है की बाबा जी की जान को वाकई में ही खतरा था ….. कुछेक ऐसे अनसर उस शिविर में घुसपैठ भी कर गए थे ….. जब हमको इस बात की पुख्ता जानकारी मिली तो हमने उन आंतकवादियो को पकड़ने तथा बाबा जी की जान और माल बचाने के लिए अपने आला दर्जे के कमांडोज तथा अफसर भेजे ….. जब वोह लोग जनता जनार्दन में से उनको ढूंड कर पकड़ने ही वाले थे , तभी जनता ने उन आंतकवादियों को छुड़ाने के लिए पुलिस के नेक काम में बाधा डाली …. इसलिए मजबूरन पुलिस को वहां पर बल प्रयोग करना पड़ गया …… हमारी इन सभी बातों के उजाले में आप भली भांति देख सकते है की हम निहायत ही  मजबूर थे …… अब आप ही बताइए की क्या हमारे पास इसके इलावा और कोई भी चारा बचा था ? …….

                 हमारी पुलिस ने उन पर तथा जनता जनार्दन पर हाथों से लाठियां तथा अश्रु गैस के गोले बरसा कर हमारे निशान की सार्थकता को सिद्द कर दिया ….. और बाबा जी तथा उनके समर्थकों ने अपने पैरों से भाग कर अपनी जान बचाई ,  इसलिए हम चुनाव आयोग से यह सिफारिश करेंगे की बाबा जी की राजनितिक पार्टी को पाँव का निशान दे दिया जाए …. अब अगला चुनाव “हाथ’ बनाम ‘पाँव” के बीच में ही होना तय है  ……

                              मैं आप सभी से यह पुरजोर अपील करता हूँ की आप अगली बार भी उनके तथाकथित पाँव की बजाय हमारे स्वदेशी हाथ को ही मजबूत करे …..

              मजबूती से विकास के पथ पर आगे ही आगे की तरफ बढते हुए इस देश की सबसे मजबूत पार्टी का सुपर स्ट्रांग प्रधानमंत्री !             

                                      जय हिंद ! जय हिंद !! जय हिंद !!!

                                            राजकमल सिंह

 

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