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काली -काली बादरिया

सत्य सहज है
सत्य सहज है
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मौसम के नाजुक पलकों मे ,
पल- पल बढ़ती है बेचैनी ,
नागिन सी नित डसती है ,
ए काली -काली बादरिया ,
नील गगन घनघोर घटा मे,
बिजली नित ही चमकती है,
बिजली बनकर दिल पर गिरती है ,
वीरान हुये गुलशन जैसी ,
मौसम के नाजुक पलकों मे ,
पल -पल बढ़ती है बेचैनी,

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