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नील गगन

सत्य सहज है
सत्य सहज है
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झील जैसी नीली आँखें,
नीले -नीले परिधानों मे ,
नील गगन की छाया मे,
आज बहुत इठलाय रही है ,
कजरारे आंखो मे सुरमा ,
पलकों की ज्योति जगाय रही है,
मुखमंडल तेज प्रचंड अखंड ,
मानो रवि तेज निहार रही है
घनघोर घटा घन केशपाश,
विह्वल नीर बहाय रही है ,

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