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महिलाएं क्यों न पहने जींस

सत्य सहज है
सत्य सहज है
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नारियों की स्वतंत्रता पर आघात हो रहा है,,,
बदलते हुये जमाने मे बकवास हो रहा है,
बात करते हैं वैदिक और प्राचीनकाल की,
फिर भी संस्कार देतें है नवीन काल की,
समाज के ठेकेदारों, गौर कीजिये =
ए नारी हैं अबला समझने न भूल कीजिये ,
सीता बनकर लंका को श्मशान बना दिया,
द्रोपदी बन कुरु वंश को मिट्टी मे मिला दिया ,,
खुद के गिरेहवान मे झांक कर नही देखो ,
अपनो को कैसा संस्कार दे रहें हो ,,
उनका पहनावा भारतीय संस्कृति के अनुकूल नही है ,
क्या आपके रहन- सहन ,आचार- विचार भारतीय संस्कृति है ?

[2]

आप भारतीय संस्कृति की बात करते है
महिलाएं जींस पहनती है उन पर एतराज करते हैं

लार्ड मैकाले की व्यवस्था से मोह है आपको,

महिलाओं के पहनावें से क्षोभ है आपको ,,

कोट पैंट टाई क्या पहचान है आपकी ?
धोती कुर्ता भारतीय संस्कृति की पहचान रही है ,, ,
आज के युग मे कोट , पैंट , टाई पहचान हुई है , ,
,क्या इसे भारतीय संस्कृति का तुषारापात बोलते हैं,?
सिर्फ एक पहलू से संस्कृति नहीं बदलती
काश लाडलों को भी धोती , कुर्ता की सीख देते ,
भारतीय संस्कृति की वास्तविक तस्वीर देखते=,
,कार से बड़ा संस्कार का पाठ पढ़ाओ बच्चों को ,
ध्रुव, अभिमन्यु, भागीरथ सी ज्योति जगाओ ,बच्चों मे/
,आखिर कब तक = धृतराष्ट्र बन मौन रहोगे,
आखिर कब नारी का सम्मान करोगे ,,,,
दुविधा इस ज्वाला मे पूर्णाहुति दो जयचंदों की,
माँ , बहन बेटी प्रेम जगाओ बच्चों मे,
सुख -शान्ति की निर्मल गंगा की धारा बहाओ भारत मे ,
भारतीय संस्कृति के नव जीवन का दीप जलाओ भारत मे,
,

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