Menu
blogid : 15988 postid : 655601

कहां जा रहा है दिशाहीन समाज?

apnibaat अपनी बात
apnibaat अपनी बात
  • 29 Posts
  • 50 Comments

राजेश त्रिपाठी

आज जिसे देखो वह आगे बढ़ने की आपाधापी में इस कदर खोया है कि उसके चलते वह अपने परिवार और बच्चों को भी भूल बैठा है। आगे बढ़ने की इस आपाधापी ने उसे इस कदर आदर्श और सिद्धांतों से दूर कर दिया है कि वह पैसे के लिए गलत राह अपनाने तक से बाज नहीं आता। आज जिस व्यक्ति की मदद से वह ऊंचाईया चढ़ रहा होता है उसे धता बताने में भी उसे संकोच या शर्म नहीं होती। आज अधिकांश लोग उस मृग मरीचिका के पीछे भाग रहे हैं जिसका लोभ खत्म होता है तो बस आखिरी सांस लेने के बाद। वर्षों से समाज में बड़े-बूढ़ों या मनीषियों से यही सुनते आये हैं कि संतोषम् परम सुखम् यानी सबसे बड़ा सुख संतोष ही है। कारण, इच्छाएं अनंत होती हैं, इनका कोई अंत नहीं। एक पूरी हो तो दूसरे की ख्वाहिश आ खड़ी होती है। व्यक्ति इन्हें पूरा करने के लिए नीति का दामन छोड़ अनीति तक का रास्ता पकड़ने में संकोच नहीं करता।

तरक्की और आगे बढ़ने की दौड़ में वह अपना शाश्वत सुख, अपनी वास्तविक जिम्मेदारी से मुंह चुराने लगता है। बच्चे छोटे में आया और बड़े होने पर नौकरों के हवाले कर दिये जाते हैं। बचपन में उन्हें डिब्बे का दूध पालता है और बड़े में जंक फूड खाकर फूल जाते हैं। न उनका वास्ता दादा-दादी या नाना-नानी की परीकथाओं से होता है और न ही आदर्श कथाओं या नीति कथाओं से जो उन्हें दुनिया के ऊंच-नीच से वाकिफ करती चलें। ट्विकंल ट्विंकल लिटिल स्टार से शुरू हुआ उनकी जिंदगी का सफर बड़े होकर रॉक, पॉप और न जाने कितने तरह के पश्चिमी गीत-संगीत के हवाले हो जाती है। पठन-पाठन का तो जैसे सिलसिला ही खत्म हो चुका है। माता-पिता की छत्रछाया से वंचित ये बच्चे या तो तरह-तरह के नशे के गुलाम बन जाते हैं या इंटरनेट की पोर्न साइट या ब्ल्यू फिल्मों में गर्क करते हैं अपनी जवानी और बहुमूल्य समय़। इस तरह का नशा अक्सर इन्हें उन गंदी राहों में मोड़ देता है जहां अपराध के अलावा कुछ नहीं। कबी-कभी ये ऐसा अपराध कर बैठते हैं जो न सिर्फ इनकी जिंदगी को तबाह करता है बल्कि परिवार की भी सुख-शांति छीन लेता है।

देश में कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें देखा गया कि माता-पिता के प्यार से वंचित और संस्कारहीन संतान ने ऐसा कुछ कर डाला कि उसके चलते माता-पिता सन्न रह गये। फिर ऐसी कोई घटना हो गयी जो शायद टाली भी जा सकती थी। बच्चे जब तक बड़े न हो जायें उन पर पिता या माता को ध्य़ान देना चाहिए। बच्चों को संस्कार दें, उन्हें प्यार भी दें ताकि उसे खोजने वे बाहर जाकर छले न जायें। पैसे के पीछे पागल माता-पिता को देख-देख कर बच्चे भी वक्त से पहले और भाग्य से ज्यादा पा लेने की ललक पाल रहे हैं। इसके चलते वे गलत रास्ते अख्तियार करते हैं और गलत संगत में पड़ जाते हैं। इससे वे आपाधापी की ऐसी दौड़ में शामिल हो जाते हैं जिससे कभी न कभी ऐसी ठोकर लगती है जिससे वे संभल नहीं पाते। आधुनिक जीवन शैली, पाश्चात्य रंग-ढंग युवा पीढ़ी को सेक्स की उस आग में झोंक रहे हैं जो उन्हें कहीं का नहीं छोड़ती। उम्र से पहले जवान हो गयी यह पीढ़ी जिंदगी को एक शगल मान कर जल्द से जल्द जमाने भर की सारी खुशियां समेट लेना चाहती है और इसी चक्कर में उनके हाथ लगता है तो खालीपन। यह पीढ़ी नशे का शिकार हो अपने स्वास्थ्य और करियर का नाश तो करती ही है परिवार के लिए भी परेशानी का सबब बनती है।

आज लोगों में दिन पर दिन बढ़ती भोगलिप्सा उन्हें आदर्शच्युत कर रही है। वे दिशाहीन हो रहे हैं और पैसे कमाने के लिए किसी भी स्तर तक जाने में संकोच नहीं करते। मानाकि पैसा बहुत जरूरी है लेकिन इतना भी जरूरी नहीं कि उसके लिए इनसान इनसानियत छोड़ दे, अपने घर-परिवार से मुंह मोड़ ले अपने बच्चों को आधुनिकता और अशालीनता से भरे बियाबान में छोड़ दे। पैसे कमाने के आदर्श तरीके भी हो सकते हैं । हो सकता है उससे अनाप-शनाप पैसे न आयें लेकिन जिंदगी आराम से गुजर जाये इतना ही प्रभु दे दें तो क्या बुरा। बच्चों पर निगरानी इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जब तक वे परिपक्व नहीं होते उन्हें कोई बी प्रलोभन देकर गलत रास्ते में मोड़ सकता है। ये मिट्टी के उस लोंदे की तरह हैं जिसे कुंभकार जैसा चाहे आकार दे सकता है। माता-पिता को चाहिए कि वे इनके कोरे दिमाग में ऐसी इबारत लिखें जो उन्हें संस्कारवान, शालीन और सुशील बनायें। यह मत भूलिए कि बच्चा जैसा आचरण करता है उससे न सिर्फ उसका बल्कि उसके परिवार का भी सम्मान घटता या बढ़ता है। बेटा जो भी करेगा उसमें पहला नाम तो माता-पिता का भी आयेगा। उसका अच्छा-बुरा आपका भी सम्मान बढ़ा-घटा सकता है। किसी भी पिता के लिए लाख, करोड़ या अरब कमा लेने से बड़ी बात यह कमाई होगी कि उसका बेटा या बेटी ऐसे हों जो कुल का नाम रोशन करें। जिनके व्यवहार की प्रशंसा चारों ओर हो न कि उनकी करतूतों के किस्से।

समाज में हाल में बच्चों के बिगड़ने, उनके सेक्स को ही जीवन का असली सुख मान उद्देश्यहीन होने व वासना की अंधी सुरंग में फंसने की जितनी कहानियां सुनने में आ रही हैं वह समाज के लिए एक चेतावनी है। चेतावनी यह कि अगर वक्त रहते समाज नहीं चेता तो पता नहीं हमारी आनेवाली पीढ़ी इस अंधी दौड़ में किस बियाबान में भटक जायेगी। जिस विदेशी भोगवादी संस्कृति की हमारी युवा पीढ़ी गुलाम हो रही है वहां समाज किस ओर जा रहा है यह जग जाहिर है। छोटे-छोटे बच्चों के हाथों में किताबों की जगह हथियार आ गये हैं। उनकी रातें परीकथाओं में नहीं पोर्न, अश्लील वेबसाइटों में गुजरती है। जाहिर है ऐसी चीजों का नशा उन्हें लगा है तो वह उन्हें गलत दिशा में ही ले जायेगा। हम नहीं चाहते कि हमारे देश में पैर पसार रही यह संस्कृति और अधिक आगे बढ़े। विदेशों में बच्चों को अश्लील साइट देखने से मना करने पर अभिभावकों को उनके गुस्से तक का शिकार होना पड़ रहा है। ऐसे में वे उन साफ्टवेयरों का सहारा ले रहे हैं जो ऐसी साइट्स को ब्लाक कर सकें। लेकिन आज के दौर के बच्चे इतने चालाक हो गये हैं कि उन्होंने इनका भी काट खोज लिया है। ऐसे में माता-पिता करें तो क्या करें। अब तो इंटरनेट से जुड़ें कई संस्थानों ने अश्लील साइट को बैन करने का निश्चय किया है। यानी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

भारत आदर्श देश है। यह विश्वगुरु माना जाता रहा है। किसी देश को सिर्फ उसको भूगोल या इतिहास ही महान नहीं बनाता उसका समाज भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर हमारे आदर्श और व्यवहार पुनीत और महान होंगे तो बाहर से आनेवाले लोग भी उसकी प्रशंसा करेंगे। बंधन नहीं वर्जनाएं जरूरी हैं। बच्चों को सिखायें यह बतायें कि सुख के पीछे भागने से अच्छा है आदर्शवान, कर्मशील बनें सफलता स्वयं उनके कदम चूमेगी। समाज के जिन लोगों को निज देश पर अभिमान है, उसके कल्याण की चिंता है उन्हें भी पतनोन्मुख समाज को पुनः सही राह पर लाने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए। यह समाज हर एक का है इसका ऊंच-नीच इसमें रह रहे हर व्यक्ति पर आज नहीं तो कल असर डालेगा ही। वक्त है चेत जाइए, बच्चों को संस्कार दीजिए, भरपूर प्यार दीजिए ताकि उन्हें यह बाहर न तलाशना पड़ें। उनकी कोमल बुद्धि में ऐसे विचार भरिए जो उन्हें अनीति के पथ पर चलने से रोकें। प्रगति अवश्य वे करें लेकिन इसके लिए आदर्शों को तिलांजलि न दें क्योंकि जिस व्यक्ति या देश के आदर्श क्षीण हो गये उसका पतन और विनाश निश्चय होता है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh