apnibaat अपनी बात
- 29 Posts
- 50 Comments
Contest:
राजेश त्रिपाठी
एक अंकुर
चीर कर
पाषाण का दिल
बढ़ रहा आकाश छूने।
जमाने के
थपेड़ों से
निडर और बेखौफ।
उसके अस्त्र हैं
दृढ़ विश्वास,
अटूट लगन
और
बड़ा होने की
उत्कट चाह।
इसीलिए वह
बना पाया
पत्थर में भी राह।
उसका सपना है
एक वृक्ष बनना,
आसमान को चीर
ऊंचे और ऊंचे तनना।
बनना धूप में
किसी तपते की छांह,
अपने फलों से
बुझाना
किसी के पेट की आग।
इसीलिए
जाड़ा, गरमी, बारिश
की मार सह रहा है वह
जैसे दूसरों के लिए
जीने की सीख
दे रहा है वह।
है नन्हा
पर बड़े दिलवाला,
इसीलिए बड़े सपने
देख रहा है
एक अंकुर।
Read Comments