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मुझे इंतजार है

apnibaat अपनी बात
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राजेश त्रिपाठी

हां मुझे इंतजार है

कश्मीरी पंडितों की घर वापसी का

बरसों से उजड़े उनके घरों के

फिर आबाद होने का

मुजे इंतजार है

दहशतजदा आंखों में

मुसकानों के

फूल खिलने का

बिछड़े दिलों के मिलने का

भटके युवा कदमों के घर वापसी का

केसर क्यारी के

बेखौफ लहलहाने का

मुझे इंतजार है

मसजिदों से अजान

मंदिरों से आरती के स्वर

एक साथ गूंजने का

मुझे इंतजार है

भारत की गंगा-जमुनी

संस्कृति के सरसने

नफरत की आग बुझने का

मुझे इंतजार है

कश्मीर की कराह,

असम का आर्तनाद,

कालाहांडी की करुणा

इनके अवसान का

मुझे इंतजार है

मुझे इंतजार है

उस दिन का

जब आंखों में आंसू

ना होंठों में रंजिश हो

हर तरफ खुशी का गुजर हो

हां मुझे इंतजार है

उस दिन का

जब मैं गर्व से कह सकूं

सारे जहां से अच्छा

हिंदोस्तां हमारा।

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