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जय श्री राम
अँगरेज़ लोग हमारे देश को आजादी अपने हित को देखते हुए देना चाहते थे. इसलिए अंग्रेजो ने लार्ड माउन्टबेटन और एडविन माउन्ट बेटन को आज़ादी देने के लिए भेज.अँगरेज़ भारत का बटवारा हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रूप में धर्म के आधार पर करना चाहते थे जिससे दोनों की बीच तनाव और लडाई होती रहे और उनके अपने आर्थिक और राजनातिक हित होते रहे.उस वक़्त के दो नेता नेहरूजी एंड जिन्ना दोनों लन्दन के एक ही कॉलेज में एडविन के साथ पढ़ते थे और एडविन के लिए दोने के बीच लडाई होती थी.अँगरेज़ जानते थे कि नेह्ररु जी शरीर से हिन्दुस्तानी है परन्तु दिमाग और आत्मा से अंगेज़ है.जिन्ना कभी नमाज़ नहीं पढता था,शराब पीता, ब्याज में पैसा देता जिससे मुसलमान उसको अपना नेता नहीं मानते और कभी पकिस्तान की बात नहीं हुयी थी.अँगरेज़ के माउंटबेटनओ ने जिन्ना और नेहरु को इतना भड़काया की दोनों बटवारे के लिए राजी हो गए १९४५ तक तय था की नेहरूजी प्रधानमंत्री और जिन्नाह उपप्रधन मंत्री होगे..जब गांधीजी को मालूम हुआ तो उन्होंने जिन्ना को बुलाकर पाकिस्तान न बनाने के लिए कहा तो जिन्ना ने कहा की यदि उसे प्रधानमंत्री बना दिया जाये तो वह पाकिस्तान की मांग छोड़ देगा और एडविन ने किस तरह चाल चली थी उसका भी खुलासा करदेगा.गांधीजी ने नेहरूजी को बुलाकर कहा की जिन्ना को प्रधानमंत्री बनने पर मान जाओ जिससे देश का बटवारा न हो क्योंकि हम और देश नहीं चाहता.नेहरूजी ने कहा की प्रधानमंत्री की बात तो छोड़ दीजिये जिन्ना को हम अपनी सरकार में एक चपरासी का पद भी नहीं दे सकते. इसी के बाद जिन्ना ने पाकिस्तान के लिए आवाज़ उठाई तब गांधीजी ने कहा की वे कांग्रेस की राय लेकर फैसला करेंगे.गाँधी जी ने कांग्रेस कार्य दल (WORKING COMMITTEE)की मीटिंग बुलाईजिसमे १५ सदस्य थे.तय हुआ की एक अध्यक्ष चुन लिया जाये जो आजादी के बाद प्रधान मंत्री होगा.१३ सदस्यों ने पटेलजी के पक्ष में, १ ने नेहरूजी के और एक ने दुसरे के पक्ष में वोट दिया और इसतरह पटेलजी अध्यक्ष चुने गए जिनको प्रधान्मंत्री बनना था.जब नेहरूजी को पता चला तो उन्होंने गांधीजी से कहा की यदि उनको प्रधान मंत्री नहीं बनाया जाता तो वे कांग्रेस को तोड़ देंगे और अँगरेज़ फिर या तो आजादी नहीं देंगे या उनकी कांग्रेस को देंगे क्योंकि इसके लिए ही लोर्स माउंट बेटन को भेजा गया था.गांधीजी ने पटेलजी को बुलाया और कहा की नेहरु पद केलालच में इतना पागल हो गया की वह कांग्रेस को तोडना चाहेता है यदि उसे प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया और ऐसे में अंग्रेजो को आज़ादी न देने का बहाना मिल जायेगा.इसलिए हम चाहते है की तुम अपना नाम वापस ले लो .पटेलजी ने कहा की यदि आपकी अंतरात्मा ऐसा कहती है तो हम नाम वापस लेते है.और इसतरह नेहरूजी प्रधानमंत्री बने कांग्रेस के बहुमत के खिलाफ.!गांधीजी ने पटेलजी को कहा की तुमे उपप्रधानमंत्री बनना है जिससे नेहरूजी पर नियंत्रण रख सको .असल में कांग्रेस में नेहरूजी को कोई नहीं पसंद करता क्योंकि वे शराब पीते,सिगरेट पीते,और उनके एडविन से प्यार के बारे में सबको पता चल गया था.इस तरह देश के दुर्भाग्य वश नेहरूजी इस तरह प्रधानमंत्री बने.पटेलजी के ५५० देशी रियासतों के विलंन के बारे में सबको मालूम है और नेहरु की कश्मीरऔर चीन की नीतिओ के कारन देश अभी भी भुगत रहा है. नेहरूजी को अँगरेज़ इसलिए पसंद करते थे की नेहरूजी ने उनकी १२७ कम्पनीज . में केवल ईस्ट इंडिया कंपनी को बंद किया क्योंकि उसके प्रति जनता में नाराजगी थी.और १२६ चलती रही जिसमे प्रमुख थी ब्रूक बांड,लिप्टन .सबको मून है की पटेलजी को नेहरु नहीं पसंद करते थे और इसीलिए नेहरूजी न तो खुद गए और न किसी को पटेलजी के अंतिम संस्कार में नहीं जाने दिया.पटेलजी भारतीयता पर विश्वास जबकि नेहरु केवल हिन्दू घरने में पैदा हुए पहनावे से अँगरेज़ और विचारो से मुसलमान.गांधीजी बटवारे के इतने खिलाफ थे की १५ अगस्त १९४७ को वेह दिल्ली से दूर नोआखली में थे और कहते थे की अभी तक अंग्रेजो ने लूटा अब ये काले अँगरेज़ लूटेगे इसलिए कांग्रेस को ख़तम कर देना चैये परन्तु कोई नहीं माना और उसका परिराम हम सबने देख लिया.उसवक्त के सभी ज्योतिषी १५ अगस्त को आजादी लेने के खिलाफ थे क्योंकि ये अशुभ मुहरत था और अंग्रेजो की नही मालूम था इसलिए वे यही दिन चाहते थे.१५ अगस्त १९४५ को जापान ने अंग्रेजो के सामने समप्र्पन किया था इसलिए भी अँगरेज़ इस दिन को विजय दिवस मानते थे. इस तरह नेहरूजी का असली चरित्र उजागर उहा.लेकिन नेहरु गाँधी परिवार इस सब काले अध्यायों को छुपता रहा जो अब इन्टरनेट में खुल गए.!
रमेश अग्रवाल कानपुर
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