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रमजान पर अशांति

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
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जय श्री राम

रमजान मुसल्मानोका एक पवित्र त्यौहार  है जिसमे रोज़े रखने,दान देने और प्राथना करने का प्रावधान है.उम्मीद की जाती है की इसमें शांति पूर्वक रहकर भाई चारे का सन्देश देंगे परन्तु इस पवित्र माह में जो कुछ घटनाएँ घटी उसने पुरे त्यौहार की गरिमा पर चोट पहुचाई जिससे इस पर प्रश्नचिन्ह लग्न स्वाभिविक है.एक तरफ जाहन लो एक दुसरे को गले मोल्कारे कर ईद की दुहाये दे रहे वही जगह जगह कुछ लोग इस्लाम के नाम पर एक दुसरे का खून बहा रहे.ईद से २ दिन पहले नोगेरिया में आतंकवादी संगठन बोको हराम ने विष्फोट कर ६५ लोगो की जान ले ली जो बाज़ार से सामन खरीद रहे थे.isis में इराक में बम से ११५ लोग मरे जबकि १७० घायल हुए.सिरिया में ज़हरीली गैस से लोगू मारा गया.सौदी अरबिया ने ४३१ लोगो को पकड़ा जिनका सम्बन्ध isis से था और जो आतंकवादी घटनाओ को अंजाम देने की तैयारी कर रहे थे..कश्मीर घटी में ईद के नवाज़ और जुम्मे के नवाज़ के बाद पाकिस्तानी और isis के झंडे फहराहे,सुरक्षा बालो बल पत्थरबाजी की और राष्ट्र विरोधी नारे लगाये.पाकिस्तान इस पवित्र नास में लगातार सीमा पर फायरिंग करता रहा, और इस बार भारतीय वर बॉर्डर में दी गयी मिठाई मन कर दी.पुरी दुनिया से लोगो को इस्लाम के नाम पर isis लोगो को इकट्ठा कर रहा इनको लोगो को मरने के लिए ट्रेनिंग दी  जाती है.छोटे बच्चो के हाथ में गुडिया देकर उनसे चाकू से काटने को कहा कर उन्हें ज़ालिम और ज़ाहिर बनाया जा रहा,इस संगठन ने क्र्रोर्ता और मानवता के सारी हद आर के दी और ये सब इस्लाम के नाम पर.पिछले कई सालो से समाचार पत्रों और टीवी के माध्यम से आया था की ईद के दिन रात को मुस्लिम युवक रात में दिल्ली की सडको में खूब हुरदंगा मचाते सरे ट्राफिक नियम तोड़ते लोगो को परेशां करते तथा ३-३,४-४ लोग चलते और पुलिस के रोकने पर लड़ने को तैयार हो जाते तथा  महिलाओ से बदसलूकी करते लेकिन वोट बैंक  की वजह से कोई नहीं ओलता दिल्ली से तो ऐसा साचार इस बार नहीं आया परन्तु उत्तर प्रदेश के ज्यातर जगहों में बहुत गूंदागार्दी हुयी पुलिस को पहले से सावधान कर दिया गया था परन्तु पुलिस वाले तमाशा देखते रहे और गूंदागार्दी होती रही.लडकियों के साथ भी बदसलूकी की गयी.ऐसा लगता है पुलिस को शासन की तरफ से आदेश आये थे.इसके अलावा प्रदेश केकी जगहों में तननव ,मारपीट हुई बलवा भी हुआ क्यों नहीं मुस्लिम माँ बाप अपने अच्छो को ऐसी गलत कार्य करने से बना करते जिससे पवित्र त्यौहार की मर्यादा बची रहे.isis और आतंकवाद पर मुस्लिम समुदाय नम्र है नहीं तो उनकी निंदा क्यों नहीं की करते?क्या इस्लाम के नाम पर एक दुसरे की हत्या करना,लूटना निर्दोशो को मरना,घायल करना जायज है आज पूरा विश्व इससे ग्रस्त है जिसकी वजह से इस समुदाय को बहुत से देशो में नफरत से देखा जाता.मानव सभ्यता को बचने और इस्लाम की प्रतिष्ठा के लिए मुस्लिम समुदाय को फिर से सोचने की ज़रुरत है.

रमेश अग्रवाल,कानपुर

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