Menu
blogid : 18237 postid : 798033

एकता दिवस के रूप में लौहपुरुष को राष्ट्र का नमन

भारत के अतीत की उप्
भारत के अतीत की उप्
  • 366 Posts
  • 488 Comments

जय श्री राम
जब अंग्रेजो ने भारत को आजादी के नाम पर सत्ता का हस्तांतरण किया था उस वक़्त ५६२ राजकीय रियासते थी जिनको पूर्ण स्वतंत्र थी की या तो भारत में या पाकिस्तान में विलय कर ले या फिर स्वंत्र रूप से रह कर कार्य करे ,यह कूटनीतिक चाल थी और अँगरेजो को पूर्ण विश्वाश था की देश टूट जायेगा क्योंकि उन्होंने सपने में भी नहीं सीचा था की रियासतों का देश में एकीकरण हो जाएगा .देश के सौभाग्य से देश में सरदार पटेल ऐसा दूरदर्शी,दढ़ इच्छाशक्ति और कूटनीति राजनेता है जो भारत की के नक़्शे को पूरी तरह बदल कर विश्व के लोगो को भारत लोहा मनवाने का कार्य करेगा.गांधीजी के हस्तक्षेप से नेहरूजी प्रधान मंत्री और पटेलजी उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने.रियासतों के मामले में उन्होंने एक समिति बनाई और वी.पी.मेनन के साथ रियासतों के राजाओ को बात चीत से समझाने का प्रयास किया.साम,दाम.दंड भेद की नीति अपनाते हुए उन्होंने सब रियासतों को देश में विलय के लिए राजी कर लिया केवल हैदराबाद,जूनागढ़ और जम्मू कश्मीर नहीं माने.जूनागढ़ में जनता ने विद्रोह कर दिया और नवाब पाकिस्तान भाग गया हैदराबाद में भारतीय फौजों को फेज कर कब्ज़ा कर लिया और हाहा की कुछ उपद्रव हो रहा था इसलिए पुलिस कार्यवाही कारवाही.नेहरूजी इसके खिलाफ थे लेकिन सरदारजी के आगे कोई चाल न चली और कश्मीर छोड़ सब रियासते का विलय देश में हो गया और रास्त्र एअक्जुत रहा.नेहरूजी ने कश्मीर की समस्या अपने हाथ में पटेलजी से ले कर रख ली और बिना कैबिनेट के मंजूरी और सरदारजी को बताये रेडियो में जा कर इस समस्या को सनुकता राष्ट संघ में भेजने के निर्णय की घोश्रना करदी जिससे ये समस्या हल न हो सकी और हम लोग आज भी इस का फल भुगत रहे है.कश्मीर में राजा ने विलय की सहमति दे दी उधर पाकिस्तान ने अपने सेना को छदम भेष में भेजा जो श्रीनगर तक पहुँच गयी थी तब पटेलजी के कहने और समझाने से नेहरूजी सेना भेजी और जो कश्मीर का हिस्सा हमारे पास है वोह भी न होता और देश की तस्बीर दूसरी होती.पटेलजी यदपि ३ १/२ साल तक आज़ादी के बाद रहे परन्तु उन्होंने जो काम कर दिया उससे देश्वशी बहुत ही कृतज्ञ है और कभी भूल नहीं सकते.जो काम कभी चाणक्य ने किया था वही स्वतंत्रता के बाद पटेलजी ने किया.देश का राजनैतिक और भौगलिक एकीकरण सरदारजी की असाधारण उपलब्धि थी जो इतिहास का अदभुत कारनामा था.परन्तु देश ने उन्हें कभी वो सम्मान नहीं दिया जिसके वो हक़दार थे.नेहरु गाँधी परिवार ने केवल अपने लोगो को ही महामंडित किया .याहं तक की ३१ अक्टूबर १९७५ को उनकी जन्मसताब्दी भी नहीं मनाई गयी.नेहरूजी ने भारत रत्न अपने जिन्दा रहते १९५५ और श्रीमती इंदिरा गाँधी ने १९७१ में ले लिया गया था जब्को पटेलजी को १९९१ में नर्सिमराव के समय मिला था उसी साल राजीवजी को भी मिला था.स्वतंत्रता के बाद हर स्वाभीमानी देश गुलामी के चिन्हों को खतम करके अपने देश के गौरव को प्रदान करने का कार्य करता है .सोमनाथ मंदिर को महमूद गजनवी ने १७ बार ल्लोत को नष्ट कर दिया था.पटेलजी ने बिना सरकारी खर्च के इसका पुरानुद्धार कर के गुलामी और आक्रमणकारी के कलंक को धोया जिससे नेहरूजी नाराज़ थे और उनको सम्पादिक तक कह दिया था पटेलजी राष्ट्र भक्त, दूरदर्शी,निष्ठावान और निजी के साथ राष्ट्रीय चरित्र वाले नेता थे जी देश के साथ किसी गलत कार्य को उन्देखा नहीं कर पाते थे.
नेहरु और पटेल दो गांधीजी के पार्टी वफादार थे.दोनों वकालत पास थे, स्वंत्रता संग्राम में भाग लिया और जेल भी गए परन्तु जहाँ नेहरूजी में भारतीयता का अभाव था पटेलजी पूरी टार इससे ओतप्रोत थे.किशन आन्दोलन में अभूतपूर्व सञ्चालन के कारन उन्हें सरदार की उपाधी मिली और रियासतों के एकीकरण के लिए लौहपुरुष की उपाधी मिली.नेहरु पटेल के जन्मा दिन में १४ दिन और १४ वर्षो का अंतर है.गांधीजी नेहरु को अपने लड़के की तरह और पटेलजी को भाई समझते थे.नेहरु गाँधी फॅमिली और उनके मानने वाले कुछ मीडिया और वाम दल की मानसिकता के पत्रकारो ने पटेलजी को कट्टरपंथी, सम्प्रदिक और हिंदूवादी मन जाता था जब्को वो बहुत ऊंची सूझ्भूझ के नेता थे,उन्होंने नेहरूजी को चाइना के बारे में भी सावधान रहने की सलाह दी थी.उनके साथिओं राजेंद्र बाबु, टंडन जी,मालवीयजी ,संपूर्णानंद लज्पत्रै को भी नेहरूजी नहीं पसंद करते.कही बार पटेलजी ने इस्तीफ़ा देना चाह परन्तु मन नहीं गया,क्योंकि नेहरु और पटेल एक दुसरे के घोए विरोधी होते भी एक दुसरे का आदर करते थे.
‘इस उपेक्षा को देखते मोदीजी ने गुजरात में पटेलजी के विश्व की सबसे ऊंची मूर्ती १८२मीटर की बन रही जो अमेरिका की लिबर्टी मूर्ती से दो गुनी होगी और इस साल इस दिन को राष्ट्रीय एकता के रूप में मानाने की घोषणा की जिसमे पुरे देश में ५६५ जगहों में एकता की दौड़ (रन फॉर यूनिटी )होगी, १५७९९ केंद्रीय बोर्ड के स्कूल ,कॉलेज ,सरकारी दफ्तरों,पुलिस,सैनिक ,स्काउट्स, और नागरिक एक सपथ लेंगे और दौड़ में भाग लेंगे.कसम (शपथ )इस तरह होगी,
“मैं सत्य निष्ठा से शपथ लेता हूँ की स्वयं को देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए समर्पित करता हूँ और अपने देशवाशियो के बीच यह सन्देश फ़ैलाने का भी प्रयत्न करूंगा .मैं यह शपथ देश की एकता की भावना से ले रहा हूँ जिसे सरदार पटेल की दूरदर्शिता एवं कार्य द्वारा संभव बनाया जा सका मैं अपने देश की आतंरिक सुरक्षा सुनिचित करने में अपने योगदान का सत्यनिष्ठा से संकलप करता हुू.
पटेलजी ने पाकिस्तान से आये शरणार्थियों के पुनर्वास में बहुत मेहनत की और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राष्ट्रीय संगठन मानते उससे भी मदद ली थी.पाकिस्तान के बारे में कहा की लोकमत कहाँ है जब वे हमारे हिन्दू सिख बहियों को मार रहा,हमारा पैसा खर्च हो रहा संयुक्त राष्ट्र संघ कुछ नहीं करता तो हम हमला कर के ले लेंगे मुसलमानो के बारे में कहा की यहां रहने वाले बहुत से मुस्लिम भाइयो ने पाकिस्तान बनाने में मदद की थी इसलिए उनके कहने पर विश्वास नहीं किया जा सकता जबतक वह अपने कार्यों से इसको सिद्ध नहीं करते.देश का नक्श क्या होता यदि पटेलजी ५६२ रियासतो को देश में विलय नहीं करते तो हैदराबाद, जूनागढ़ आतंकवादीओ के अड्डे बन गए होते जैसे कश्मीर का हाल है.हमारे देश विविधाओ का होते भी एक है यही खासियत है इसीलिए मोदीजी ने आज कहा था जो सटीक है.राज्य अनेक राष्ट्र एक, पंथ अनेक लक्ष एक ,बोली अनेक, स्वर एक, भाषा अनेक भाव एक, रंग अनेक तिरंगा एक, समाज अनेक, भारत एक, कार्य अनेक ,संकलप एक, राह अनेक, मंजिल एक, रिवाज़ अनेक, संस्कार एक और चेहरे अनेक, मुस्कान एक.
उनके मरने पर उस वक़्त के राष्ट्रपति राजेंद्र बाबूजी ने कहा था की चिता उनके शरीर को तो जला सकती परन्तु उनकी प्रतिष्ठा को कोई आग नहीं नाश्ता कर सकती.
देश के इस महान सपूत और देश भक्त को राष्ट्र का सत सत नमन.यही उनकी लिए सच्ची श्रन्धांजली होगी.की देश उनके बताये सिधान्तो पर चले.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh