महालया की दिव्य आनन्दमयी रात्रि के उपरांत शारदीय नवरात्र का मनोहारी आगमन जन -जन को
उल्लासित कर रहा है | प्रकृति ने माँ दुर्गा के यशोगान के लिए मानो खुद को अनोखी पवित्रता से सजाया सवारा है, कास का श्वेत पुष्प जैसे परिवेश की शुद्धता को पुष्ट करने के लिए ही खिला हो | आसमान में दौड़ते ,भागते नम्र रुई के फाहों से काले -सफ़ेद बदलोके बीच मानों धरा को सात्विकता से भर देने को मंद मंद डोलते ये सफ़ेद कास पुष्प बहुत ही मनोहारी लग रहे है | शिउली के नारंगी व सफ़ेद फूल ,विष्णुकांता के बैंगनी व श्वेत और कमल के गुलाबी व सफ़ेद पुष्प मानों महिषासुर मर्दिनी की आराधना के लिए ही उपलब्ध हुए है | टाक ,तास , ढोल , व मादल की थापों के साथ बजती घन्टिया व शंख ध्वनियो के बीच श्रृद्धा ,उमंग व उत्साह से माँ की आराधना में लीन बाल , बृद्ध, नर ,नारी | या देबी सर्वभूतेषु मात्र रूपेण संसिथः , नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमो नमः | महाशक्ति दुर्गा अष्टभुजा है | उनकी ये आठ भुजाये आठ शक्तियों की प्रतीक है | बुद्धि बल , धर्मबल, शारीरिक बल ,शस्त्र बल ,चातुर्य बल , धन बल मनो बल .एवं शौर्य बल | इन शक्तियों का सामूहिक स्वरूप ही दुर्गा है माँ इन्ही शक्तियों से हमेसा सामाजिक ,हितो के विपरीत कृत्यों को करने वाले राक्षसों का विनाश कर उन पर विजय प्राप्त करती आई है | माँ दुर्गा की आराधना में हम सब लीन होना तो चाहते है पर क्या आप जानते है की उनकी आराधना का महत्व किस में है ? माँ दुर्गा की अर्चना के लिए कन्या की पूजा की जाती है , कन्या को मिष्ठान ,व पकान खिलाये जाते है | परन्तु इसके बाद समाज कन्या के महत्व को बिसर जाता है | कभी सोचा है आपने यदि बेटिया नहीं होगी ,तो माँ दुर्गा का आविर्भाव कैसे होगा ? हम बेटियों को दुलार ,प्यार ,संस्कार व शिक्षा देकर माँ दुर्गा की आराधना में सदा लीन रह सकते है व माता दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते है | ,
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