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परस्पर संवाद से ही कोई भी शासन ‘सुशासन’ में तब्दील होता है। प्रजातंत्र में जनता के लिए, जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार खामोश होकर नहीं बैठ सकती। वह अपनी जनता की बेहतरी के लिए और अपने राज्य और देश के स्वर्णिम भविष्य के लिए जनता के सहयोग से विकास के सभी कार्य करती है। जनता के खजाने से राज्य की तरक्की और नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए जो भी कार्य सरकार की ओर से हो रहे हैं, अपनी जनता के पास जाकर उनका हिसाब देना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार की सामाजिक जिम्मेदारी होती है। यह बहुत चुनौती भरा और साहस का काम होता है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जनता के पास जाकर अपनी सरकार के कार्यों का हिसाब देने की चुनौती को हिम्मत के साथ स्वीकारा है। उन्होंने अपने सरकारी तंत्र को मंत्रालय और दफ्तरों से निकालकर विभिन्न अभियानों के जरिए चौक-चौराहों और चौपालों तक प्रदेशवासियों के बीच पहुंचाया है, ताकि लोगों के साथ संवाद की निरंतरता बनी रहे। प्रदेश का हर गांव, हर शहर, हर गरीब और हर किसान सरकार और जनता के बीच संवाद के इस केन्द्र में है। मुख्यमंत्री हर महीने प्रदेश के लगभग हर जिले का दौरा करते हैं। वर्ष 2005 से उन्होंने ग्राम सुराज अभियान की शुरूआत की। उनके नेतृत्व में वर्ष 2012 में ग्राम सुराज के साथ नगर सुराज अभियान चलाया गया और वर्ष 2015 से उन्होंने ग्राम सुराज और नगर सुराज दोनों को मिलाकर लोक सुराज अभियान का आगाज किया। गर्मियों के आग उगलते मौसम में ये तीनों ही अभियान मुख्यमंत्री के एक नये प्रयोग के रूप में राज्य और देश में काफी लोकप्रिय हुए हैं।
वर्तमान में लोक सुराज अभियान 2015 से लगातार चल रहा है। इसके साथ ही लगभग हर पांच साल में उनके नेतृत्व में विकास यात्राएं भी हो रही हैं। वर्ष 2008 और 2013 के बाद वर्ष 2018 में विकास यात्रा दो चरणों में 12 मई से 11 जून तक और 16 अगस्त से 30 सितम्बर तक चलेगी। ग्राम सुराज की तर्ज पर लोक सुराज अभियान में भी मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों तक और मुख्य सचिव और कलेक्टर से लेकर पटवारी तथा ग्राम और शहर स्तर के सभी मैदानी अधिकारी और कर्मचारी एक समयबद्ध अभियान के तहत जनता के बीच जाते हैं। शिविर लगाकर और चौपालों में बैठकर उनकी समस्याएं सुनते हैं और यथासंभव उनका त्वरित निराकरण भी किया जाता है। लोगों को विभिन्न योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें पात्रता के अनुसार उन योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए भी ठोस पहल की जाती है। इस बीच डॉ. सिंह ने सितम्बर 2015 से हर महीने के दूसरे रविवार को आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र से ‘रमन के गोठ’ कार्यक्रम के जरिए भी जनता को सरकार की योजनाओं के बारे में बताते हैं। रेडियो वार्ता का उनका यह मासिक कार्यक्रम काफी लोकप्रिय हुआ है।
वर्ष 2012 में छत्तीसगढ़ सरकार ने विधानसभा में विधेयक लाकर राज्य के गरीबों को भोजन का अधिकार दिलाने के लिए देश का पहला खाद्य-सुरक्षा और पोषण सुरक्षा कानून बनाया। इस कानून के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन दुकानों से गरीबों को सिर्फ एक रूपए किलो में राशन कार्ड पर हर महीने प्रति यूनिट सात किलो चावल दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना हृदय रोग से पीड़ित हजारों बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है। गरीब परिवारों की विवाह योग्य बेटियों की शादी में मदद के लिए मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत 70 हजार से ज्यादा बेटियों ने सामूहिक विवाह समारोहों में गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया है। किसानों को सिंचाई के लिए प्रतिवर्ष अधिकतम 7500 यूनिट बिजली नि:शुल्क देने के लिए कृषक जीवन ज्योति योजना सफलतापूर्वक चल रही है और चार लाख से ज्यादा किसान इसका लाभ ले रहे हैं।
राज्य में अनुसूचित जाति बहुल जिलों और क्षेत्रों के लिए अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण की स्थापना की गई है। ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण भी बनाया गया है। नक्सल हिंसा पीड़ित इलाकों के बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना की शुरूआत करते हुए राजधानी रायपुर सहित जगदलपुर, अम्बिकापुर, बिलासपुर और दुर्ग में प्रयास आवासीय विद्यालयों की स्थापना की गई, जहां 11वीं और 12वीं कक्षा के बच्चों को नियमित पढ़ाई के साथ-साथ मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की नि:शुल्क कोचिंग दी जा रही है। अब तक कई बच्चों ने इस सुविधा का लाभ लेकर आईआईटी, एनआईटी जैसी उच्च तकनीकी शिक्षा संस्थाओं में और मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश लिया है और अपने सुनहरे भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।
तीसरी विकास यात्रा के शुरू होने तक छत्तीसगढ़ ने विकास के हर मोर्चे पर जन-कल्याण की दिशा में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनकी एक लम्बी सूची है। बस्तर और सरगुजा में विश्वविद्यालयों और मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की गई रायगढ़ और राजनांदगांव में मेडिकल कॉलेज, बिलासपुर में केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना, दुर्ग में नये विश्वविद्यालय की स्थापना, अंजोरा में पशु चिकित्सा के क्षेत्र में कामधेनू विश्वविद्यालय की स्थापना, रायपुर में आयुष विश्वविद्यालय, नया रायपुर में अन्तर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) और भारतीय प्रबंध संस्थान की स्थापना इसका एक बड़ा उदाहरण है। प्रदेश की राजधानी रायपुर के विस्तार के रूप में नया रायपुर तेजी से आकार ले रहा है।
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