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प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ा भारतीय रेलवे

अवध की बात
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समर्पित माल गलियारों के साथ रेलवे भीड़-भाड़ को कम करने और यात्री एवं माल ढुलाई सेवाओं को बेहतरीन करने के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है।आधुनिक सुविधाओं को स्थापित करके स्टेशन पुनर्विकास की योजना के जरिए स्टेशनों का रूप-रंग पूरी तरह बदलने की दिशा में काम कर रही है रेलवे । पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए ई-रिवर्स नीलामी नीति सहित विभिन्न उपायों की शुरुआत की गई ।13 लाख से अधिक सदस्यों वाले रेल परिवार के सशक्ति‍करण के साथ-साथ उनका कौशल भी बढ़ा रही है रेलवे वडोदरा में भारत का पहला राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय अगस्त 2018 में खुलने के लिए तैयार है ।

 

 

 

केंद्रीय रेल एवं कोयला मंत्री  पीयूष गोयल ने अपने प्रभार वाले मंत्रालयों की चार वर्षीय उपलब्धियों के बारे में मीडिया को जानकारी दी। श्री गोयल के साथ संचार राज्य मंत्री (स्वयतंत्र प्रभार) एवं रेल राज्य मंत्री  मनोज सिन्हा और रेल राज्य मंत्री  राजन गोहेन (गुवाहाटी वीसी लिंक के माध्यम से) और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वि‍नी लोहानी भी इस अवसर पर जुड़े रहे। श्री गोयल ने 12 शहरों यथा अहमदाबाद, भोपाल, चेन्नई, गुवाहाटी, इम्फाल, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, पुणे, पटना, रायपुर एवं रांची में मौजूद मीडिया के साथ भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की।

 

मंत्री महोदय ने इस विशेष अवसर पर 4 साल की उपलब्धियों वाली पुस्तिका का विमोचन किया। इस विशेष अवसर पर दो मोबाइल एप ‘रेल मदद’ और ‘मेन्यू ऑन रेल्से’ भी लॉन्च किए गए।पीयूष गोयल ने महात्मा गांधी, जिनकी 150वीं जयंती वर्ष 2019 में मनाई जाएगी, से अत्यंधत प्रेरित  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में राष्ट्र की सेवा के संकल्प को दोहराया।पिछले चार वर्षों में सरकार ने ‘साफ नीयत, सही विकास’ के दर्शन को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा को भारतीय रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता बना दिया है। सुरक्षा अब सर्वोच्च प्राथमिकता हो गई है और इसके परिणामस्वरूप ट्रेन दुर्घटनाएं वर्ष 2013-14 के 118 से घटकर वर्ष 2017-18 में 73 रह गईं। इस तरह ट्रेन दुर्घटनाएं घटकर 62 प्रतिशत के स्तंर पर आ गईं।

 

 

1 लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (आरआरएसके) फंड को 5 वर्षों में सुरक्षा खर्च के लिए आवंटित किया गया है। असुरक्षित रेलवे क्रॉसिंग की समस्यां से युद्ध स्तरर पर निपटने के लिए पिछले चार वर्षों में 5,479 मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग को समाप्त किया गया है। सुरक्षा में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए अन्य उपायों के तहत भर्ती के माध्यम से 1.1 लाख सुरक्षा पद भी भरे जा रहे हैं।‘नए भारत’ के लिए बुनियादी ढांचे की नींव रखकर पूंजीगत व्यय में व्यालपक वृद्धि की गई है। पिछले 4 वर्षों में औसत वार्षिक पूंजीगत व्यय दरअसल वर्ष 2009-14 के दौरान हुए औसत व्यलय की तुलना में दोगुने से भी अधिक है। रेलवे अत्यं त तेज गति से पूरे भारत को जोड़ रही है। नई लाइनों को चालू करने की औसत गति में 59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जो 4.1 किमी (2009-14) से बढ़कर 6.53 किमी प्रति दिन (2014-18) के स्तदर पर पहुंच गई है।उन्नयन और बेहतर बुनियादी ढांचे के लिए बेंगलुरू उपनगरीय प्रणाली (2018-19 के बजट में 17,000 करोड़ रुपये) और मुंबई उपनगरीय प्रणाली (2018-19 के बजट में 54,777 करोड़ रुपये) हेतु व्यारपक निवेश निर्धारित करने से भारत के शहरी क्षेत्रों में नियमित दैनिक यात्रि‍यों की आवाजाही को काफी बढ़ावा मिला है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एचएसआर) गति, सुरक्षा और सेवा के माध्यम से भारत के परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। एचएसआर परियोजना से ‘मेक इन इंडिया’ संबंधी लाभों के अलावा रेलवे लातूर, (मराठवाड़ा) महाराष्ट्र; न्यू बोंगाईगांव, असम; लुमडिंग, असम; झांसी, (बुंदेलखंड) उत्तर प्रदेश और सोनीपत, हरियाणा में अनेक आगामी परियोजनाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर रोजगार अवसर और आर्थिक विकास सृजित कर रही है। रेलवे ने विद्युतीकरण में छह गुना वृद्धि के साथ टिकाऊ रेल परिवहन की ओर अग्रसर होना शुरू कर दिया है। इसके तहत विद्युतीकरण को वर्ष 2013-14 के दौरान 610 आरकेएम से बढ़ाकर वर्ष 2017-18 के दौरान 4,087 आरकेएम कर दिया गया।

 

 

 

रेलवे ने वर्ष 2017-18 में 1,162 एमटी और वर्ष 2016-17 में 1,107 एमटी की सर्वाधिक माल ढुलाई के साथ देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। माल ढुलाई आमदनी भी पिछले साल की तुलना में अनुमानित 12 प्रतिशत बढ़कर वर्ष 2017-18 में लगभग 1.17 लाख करोड़ रुपये के स्तार पर पहुंच गई है। वर्ष 2019-20 तक विभिन्न7 चरणों में समर्पित माल गलियारों (डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर) के चालू हो जाने से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा।डिजाइन में स्थानीय कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देते हुए रेलवे एस्केलेटर, लिफ्ट, नि:शुल्क वाई-फाई इत्यानदि सहित आधुनिक सुविधाएं स्थारपित करके स्टेशनों का रूप-रंग पूरी तरह बदलने समेत यात्री सुविधाओं को बेहतरीन कर रही है। मार्च 2019 तक 68 रेलवे स्टेशनों में सुधार लाया जाना निर्धारित है। सरकार ने तेजस, अंत्योदय एवं हमसफर रेलगाडि़यों का परिचालन शुरू करने समेत रेलगाडि़यों एवं रेल डिब्बों को काफी सुधार दिया है। यात्रियों की यात्रा एवं आराम संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए त्योहारी मांग पूरी करने के लिए 1.37 लाख रेल सेवाओं के साथ पिछले चार वर्षों के दौरान 407 नई रेल सेवाएं आरंभ की गई हैं। खान-पान (केटरिंग) भी रेलवे का एक फोकस क्षेत्र रहा है जिसमें 300 से भी अधिक रेलगाडि़यों में खाने-पीने की सभी वस्तुओं पर एमआरपी की प्रिंटिंग अनिवार्य कर दी गई है और इसके साथ ही गुणवत्ता एवं स्वच्छता में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए बेस किचनों में भोजन बनाने पर करीबी नजर रखने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) का उपयोग किया जा रहा है।बुनियादी ढांचे और सुरक्षा कार्यों को प्राथमिकता देने के कारण अल्पावधि में समय के पालन पर प्रभाव पड़ा है, लेकिन लंबी अवधि में इससे त्वारित और सुरक्षित ट्रेन आवाजाही सुनिश्चित होगी। रनिंग समय को कम करके और नियोजित रखरखाव ब्लॉकों की अनुमति देकर ट्रेनों की समय-सारणी बेहतर कर दी गई है। ट्रेनों में किसी भी देरी के बारे में यात्रियों को सूचित करने के लिए 1,373 ट्रेनों पर एसएमएस सेवाएं आरंभ की गई हैं।

 

 

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए भारतीय रेल भी अपनी ओर से इसमें अहम योगदान दे रही है। साफ-सफाई, तीसरे या अन्यत पक्ष द्वारा स्वतंत्र सर्वेक्षणों सहित स्वच्छदता, एकीकृत मशीनीकृत साफ-सफाई की शुरुआत , बॉयो-टॉयलेट, गंदगी साफ करने के लिए ऑटोमैटिक रेल-माउंटेड मशीन, इत्यायदि पर प्रमुखता के साथ फोकस रहा है।भारतीय रेलवे ने डिजिटल पहलों और पारदर्शिता एवं जवाबदेही पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है। ई-रिवर्स नीलामी नीति शुरू की जा रही है जिससे लगभग 20,000 करोड़ रुपये बचाने में मदद मिल सकती है। अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन में सरल अनुमोदन प्रक्रियाओं की बदौलत संबंधित प्रक्रिया में लगने वाली समयसीमा 30 माह से घटाकर 6 माह हो गई है।  13 लाख से भी अधिक सदस्योंत वाले रेल परिवार को सशक्त बनाने और उनका कौशल बढ़ाने के महत्व को ध्या न में रखते हुए निचले स्तवर पर अधिकारों को सौंपने या हस्तांातरण करने सहित विभिन्न कदम उठाए गए हैं। वडोदरा में भारत का पहला राष्ट्रीय रेल और परिवहन विश्वविद्यालय अगस्त 2018 में खुलने के लिए तैयार है। कर्मचारी सशक्तिकरण से लेकर कौशल बढ़ाने के नए अवसरों पर ध्या2न केंद्रित करते हुए रेलवे अपने कार्यबल में एक नई ऊर्जा भर रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रेलवे जीवन रेखा बन जाए और जो भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ताकत दे सके और 1.3 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं को पूरा कर सके।

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