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नरेन्द्र भाई मोदी प्रधानमंत्री बने या नहीं। इसे लेकर सबसे अधिक कोई चिंतित है तो भारत के वित्त मंत्री पी चिदंबरम। चिदंबरम अबकी बार शिवगंगा से चुनाव मैदान में नही हैं। ऐसे में देश यह नहीं जान पाएगा कि पांच साल तक चिदंबरम ने जो किया, उससे शिवगंगा के मतदाता खुश हैं या नहीं। शिवगंगा के मतदाताओं का फैसला चिदंबरम के पक्ष में भी हो सकता था, पर इस बात को अब लोग नहीं जान सकेंगे। इसके उलट अब चिदंबरम मोदी को लेकर चिंतित हो गए है। 6 अप्रैल 2014 को चिदंबरम का बयान आया कि यदि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। इतना ही नहीं उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को भी आगाह कर दिया कि कि गुजरात के मुख्यमंत्री और उनकी ‘मंडली’ को पार्टी पर ‘हावी होने’ देने की उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी। चिदंबरम से अब कौन कहे कि पिछले पांच साल में उन्होंने जो कुछ किया, उसकी कीमत कांग्रेस को कैसे चुकानी पड़ रही है। चिदंबरम इतने तक ही नहीं रुके उन्होंने यह भी कह दिया कि मोदी पार्टी पर हावी हो गए हैं। वह पार्टी से आगे निकल गए हैं। यह अब भाजपा सरकार नहीं। यह मोदी सरकार है। हिंदी में नारा ‘भाजपा सरकार’ नहीं, यह ‘मोदी सरकार’ है। चिदंबरम यह भी कहते हैं, मेरा मानना है कि भाजपा को इस तरह की स्थिति की भारी कीमत चुकानी होगी जिसमें एक व्यक्ति ने पार्टी को हडप लिया। चिदंबरम साहब की यह चिंता अकारण नहीं है। पर इस चिंता को जाहिर करने में उन्होंने बहुत देर कर दी। एक कहावत है कि बहुत देर कर दी हुजूर आते..आते..। चिदंबरम जी की इस चिंता से अब कोई चिंतित होता नहीं नजर आ रहा है। न तो कांग्रेस पार्टी और न ही भारतीय जनता पार्टी।
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