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दो दिन पहले एक समाचार पत्र मे यह खबर देख कर चौंक गया की पिछले 60 सालो मे स्विस बैंक मे सबसे ज़्यादा पैसे भारतीयो का जमा हुआ है, स्विट्जरलैंड से मिले आंकड़ों के अनुसार विश्व के सभी देशों के काले धन से ज्यादा अकेले भारत का काला धन स्विस बैंकों में जमा है। स्विस बैंकों में कुल जमा भारतीय रकम 66,000 अरब रुपए(1500 बिलियन डॉलर) है।
दूसरी रिपोर्ट के अनुसार भारत ने स्वतंत्रता के बाद से 2008 तक 20,556 अरब रुपए (462 बिलियन डॉलर) भ्रष्टाचार, अपराध और टैक्स चोरी के कारण गंवाई है।
किसी भी आम आदमी के लिए यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं होगा की यह राशि किन लोगो की है,, इस मे सबसे बड़ा हिस्सा होगा उन नेताओ का जिनके कंधो पर हमने देश को चलाने की ज़िम्मेदारी डाली, दूसरा बड़ा हिस्सा उन नौकरशाहो का होगा जो लोकसेवक ( या लोक शासक ) है !!
यदि हम आज़ादी के बाद की सरकारो का हाल देखे तो लगभग सभी एक जैसी ही नज़र आती है चाहे वह काँग्रेस हो, बीजेपी, बीएसपी या कोई अन्य दल !! बस फर्क यह है की जब यह पार्टी विपक्ष मे रहती है तो खुद को पाक साफ बताती है और सत्ता पक्ष को भ्रष्टाचारी परंतु सत्ता मे आते ही इन का खेल शुरू हो जाता है ,, एक तरफ जहां आप को काँग्रेस शासनकाल मे बोफोर्स आदि मिलेंगे तो भाजपा कार्गिल ताबूत घोटाला, बीएसपी का ताज कॉरिडॉर घोटाला,लालू के शासन काल मे चारा घोटाला,, बस सब एक दूसरे को पीछे छोड़ने मे लगे है, जहां महाराष्ट्र (काँग्रेस) मे आदर्श सोसाइटी घोटाला वहाँ कर्नाटक (बीजेपी) मे ज़मीन आवंटन का मामला, हर अगला घोटाला पिछले को पीछे छोड़ देता है !!
अभी यह सब चल ही रहा था 2जी स्पेकट्रूम घोटाला सामने आया, एक लाख छियात्तर करोड़ का,, और घोटाले के मुख्य आरोपी ए राजा (जिनको की करुणानिधि का पूरा समर्थन हासिल है) को सिर्फ मंत्रिमंडल से निकाल दिया गया बस !! अब तक जितने भी घोटाले हुये है 90% मामलो मे उनके आरोपियो का कोई बाल तक बांका नहीं हुआ है चाहे कोई भी सरकार रही हो !!
मेरा अनुमान है कि अगर पिछले साठ सालो के घोटालो और स्विस बैंक मे जमा राशि को जोड़ दे तो शायद यह राशि इतनी बड़ी होगी कि जिन विदेशी आक्रमणकारिओ ( गजनावी, गौरी , अंग्रेज़ आदि ) को हम दिन रात कोसते है और कहते है कि हमारा देश सोने कि चिड़िया था और इन विदेशियो ने उसे लूट लिया, सब बौने नज़र आएगे,, उनहोने तो दुश्मन देश मे सब किया लेकिन यह देसी लुटेरे तो अपना घर ही लूट रहे है !!
क्या इन लुटेरो को हम सिर्फ इस लिए सर आंखो पर बिठाये है क्योंकि यह सब देशी है !! क्या यह हमारा दोष नहीं है कि हम इन पार्टियो के सांप्रदायिक, जाति, भाषा और क्षेत्रवाद के नारो पर इनको वोट देकर संसद मे भेजते है ,, बेशक हम भी इसमे बराबर के दोषी है !क्या यह उचित नहीं होगा कि अगर हम विदेशी लुटेरो के साथ साथ देसी लुटेरो कि भी एक सूची बनाए !! परंतु हम ऐसा नहीं कर सकते,, क्योंकि हमारे लिए देश और भ्रष्टाचार से बड़ा है धर्म, भाषा, जाति, क्षेत्र ! देश कही भी जाये हमे क्या क्योकि हम तो वह मूर्ख है जो जिस कश्ती (देश) पे बैठे है उस ही मे छेद कर रहे है बग़ैर यह सोचे कि कश्ती डूबेगी तो हम सब डूब जाएंगे !!
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