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ये कितने हेल्दी गरीब है…

Think Beyond limits
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पिछले चार महीनों से में हेल्थ बीट पर काम कर रही हूं. शुरूआत में मुझे लगा कि डेली सरकारी अस्पताल के चक्कर लगाना बहुत बोरिंग होगा. यहां तक की बीट में पहला दिन शुरू करने से एक रात पहले मेरे सपने में बीमार लोग घूम रहे थे. खैर, जैसे तैसे मैं बीट में उतर गई. आज 4 महीने, 6 दिन,15 घंटे, 25 मिनट और 48 सेकेंड हो चुके है. इस दौरान मैंने आंकलन किया. कि दुनिया भर में बस मिडल क्लास और हाई क्लास के लोग ही बीमार होते है. जिसकी जितनी बड़ी आमदनी, वो उतनी ही बढ़ी बीमारी का मरीज. इसे देखकर मानों ऐसा लगता है, की बंदे ने पैसे देकर कोई बिमारी खरीदी हो, उदाहरण के तौर पर हेमोफीलिया, पैराथॉयराइड, हाई डायबीटीज ये सारी बीमारीयां अक्सर अमीरों में पाई जाती है. जबकि हार्ट अटैक, बी.पी, थॉयराइड , हाइपरटेंशन जैसी क्यूरेबल डिजीज मध्यम वर्गीयों लोगों में देखने को मिलती है. लेकिन हवा में अपने वॉयरस रूपी अदृश्य बाढ़ो को लेकर निशाना ढूंढती ये बीमारियां, एक वर्ग पर बहुत मेहरबान है. मेहरबान इसलिए, क्योंकि ये इन लोगों को अपना शिकार नहीं बनाती यां यूं कहें कि न के बराबर बनाती है.इस वर्ग को अर्थशास्त्र की भाषा में गरीबी रेखा से नीचे, दुनियाभर में इंडिया के ब्रेंड अंबेसेडर और हमारे आम जनजीवन की भाषा में बेचारा गरीब कहा जाता है. सुनने में थोड़ा अजीब है, लेकिन अगर आप लोग इसे आंकलन करे, तो खुद को इस तथ्य से ज्यादा दूर नहीं पाएंगे. लेकिन आखिर ये बीमारी इन गरीब से दिखने वाले लोगों को होती क्यों नहीं? खान पान से लेकर डेली रूटीन में ये कमबख्त मारे ऐसा क्या करते है. कि इन्हें ये महंगी बिमारीयां नहीं होती? जबकि हम लोग अगर जरा ठंड में बाहर भी निकल जाएं तो तुरंत निमोनिया के मरीज बन 1 हफ्तों के लिए बिस्तर पर लेट जाते है. फिर एक दिन यही सवाल मैने हमारे मित्र डॉक्टर साहब से पूछा, पहले तो वो मुस्कुराए और कहने लगे, लड़की तेरा दिमाग भी क्या क्या सोचता रहता है. लेकिन सवाल रोचक है, कि ये गरीब इतने हेल्दी कैसे है? बस इतना कहते ही उन्होंने पांडे जी से दो चाय मगाई. और गरीबों को मिले इस वरदान की पौराणिक चिकित्सा कथा का विशलेषण करना शुरू किया. अपनी बात को शुरू करते हुए डॉक्टर साहब ने अपनी नाक पर पड़े चशमें से जरा नजर ऊपर उठाई और कहा, इनका डेली रूटीन ही इन्हें बीमारीयों से दूर रखता है. मुझे हंसी आ गई, उन्होंने कहा, ये मजाक नहीं सही है. दरहसल, ये गरीब जो नाले खालों में रहते है. ये सबसे पहले सुबह उठकर अपने अड्डो की ओर रवाना होते है. जो इनके लिए मॉर्निंग वॉक के रूप में विटामिन डी का काम करती है. इसके अलावा सुबह शाम नमक रोटी इनके अंदर कम फैट, कैलेस्ट्रोल और शुगर की मात्रा को मेनटेन रखता है. इसके अलावा रात को टाइम पर सोना, अपनी भूत , भविष्य, वर्तमान की चिंता न होना जैसे कई कारण है. जो उन्हें महंगी बिमारियों से दूर रखते है. तो बेटा जी इनशॉर्ट आपको समझ आ गया होगा कि ये गरीब हेल्दी क्यों है. जबकि हम लोग पैसा और सुख सुविधाओं के होने के बाद अपने विवेक से बीमार है, या तो हम बेवजह सामाजिक लोकलाज और जिम्मेदारियों के बीच परेशान रहते है, या फिर अपनी आमदनी और सालाना बजट पर चिक चिक करते है. ऐसे आधे अधूरे वातावरण में रहने वाला मिडल क्लास और जरूरत ज्यादा सुविधा होने पर उसका मिस यूज करने वाला हाई क्लास ही बीमारीयों की खरीद में न चाहते हुए भी सबसे आगे होता है.

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