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उदास मन …………

mothers day
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पता नहीं आज मन उदास सा क्यूँ है ? ४ – ५ दिन से तबियत भी कुछ ठीक नहीं लग रही . कुछ काम करने को मन ही नहीं कर रहा है .मन में न कोई उत्साह है …..बस काम करना है इसलिए करना है . क्या ऐसा मेरे साथ ही होता है या हर इंसान के साथ ? खुश रहने कि कोशिश करती हूँ पर दिल है कि खुश होना ही नहीं चाहता . क्या करूँ ,क्या न करूँ बस इसी कश्मकश में रहती हूँ . कभी कभी लगता है पुराने दिन कितने अच्छे थे .न किसी बात का टेंशन , न किसी बात की जिम्मेदारी .हर जगह हर बात में खुशी नजर आती थी .
मेरी बातों से कुछ लोगों को लग रहा होगा कि ये अवसाद के लक्षण है . लेकिन मैं पूछती हूँ आप लोगों से कि क्या ऐसा कभी कभी आप लोगों के साथ भी नहीं होता ?
हम दूसरों को उपदेश तो बहुत अच्छे से दे देते हैं कि अरे खुश रहने की कोशिश करोगे तो ख़ुशी होगी ,अगर कोशिश ही नहीं करोगे तो ख़ुशी कहाँ से मिलेगी .पर क्या आप लोगों को भी कभी कभी ऐसा नहीं लगता कि आज कुछ करने का मन नहीं हो रहा है ,मन उदास है , कुछ अच्छा नहीं लग रहा है .न कहीं जाने का मन करता है ,न किसी से बात करने की इच्छा होती है ,न टी.वी.देखने का मन होता है , न गाने या ग़ज़ल सुनने का मन होता है,न सोशल साईट पे मन बहलता है .
लग रहा है कि कैसी ज़िंदगी है जो एक गम की किताब की तरह नजर आ रही है ,जिसके पन्नों पर ढूंढने पर भी खुशी का कोई कोना नजर नहीं आ रहा है ……………

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