परंपरा
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चेहरे पर उनके तनाव झलकता है ।
मिला न उनको टिकट लगता है।।
पुराने कपडों की तरह फैंक दिया उनको ।
हर तरफ अब नया चेहरा दिखता है ।।
फिर से मांगने आ गए घर-घर भीख ।
देख कर उन्हें ये दिल जलता है ।।
लो शुरु हो गया है तमाशा उनका ।
देखते जाइए क्या गुल खिलता है ।।
डा. मनोज रस्तोगी
मुरादाबाद
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