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साहित्य सृजन चाहे वह नाटक हो, कहानी हो या कविता, डॉ.सरोजिनी अग्रवाल के लिए स्वान्त: सुखाय ही रहा है। उनका संपूर्ण साहित्य सामाजिक विसंगतियों, पारिवारिक रिश्तों में दरार, आर्तनाद करती नारी अस्मिता, संस्कारों का होता पतन, बढ़ती हुई पाश्चात्य मनोवृत्तियों एवं रूढिय़ों के कारण टूटती नारी मन की अभिलाषा और संवेदनाओं के आस-पास ही घूमता है।
मुरादाबाद की प्रख्यात साहित्यकार डॉ. सरोजिनी अग्रवाल का लेखन कहानी विधा से आरंभ हुआ। नाटक लिखने की प्रेरणा सन 1965 में मिली। उस समय उन्होंने गोकुल दास हिंदू कन्या महाविद्यालय में ङ्क्षहदी प्रवक्ता के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था। शुरुआत महाविद्यालय में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एकांकी, झलकियां आदि लिखने से हुई। धीरे धीरे नाट्य लेखन ही उनकी प्रमुख विधा बन गई ।
बीते साल उनके प्रकाशित रेडियो नाटक ‘नहीं झरेगी शेफालीÓ के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ द्वारा भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की गई है। 30 दिसंबर 2018 को संस्थान के स्थापना दिवस पर लखनऊ में समारोह का आयोजन किया जाएगा। इसमें उन्हें 75 हजार की धनराशि, अंगवस्त्र और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।
‘नहीं झरेगी शेफालीÓ में उनके 11 रेडियो नाटक फिर महकेंगे गुलाब, नदी प्यासी है, पांचवें नंबर की, सोने की बैसाखियां, टूटे हुए पुल, रोशनी के दिये, छाया मत छूना, कागज की नावें, एक और रूपकुंवर, जब ज्वालामुखी जागा और नहीं झरेगी शेफाली संगृहीत हैं। सभी नाटक नारी मन के अंतद्र्वंद्व और उनकी समस्याओं से जुड़े हुए हैं।
पुरस्कृत कृति के अतिरिक्त उनकी चार नाट्य कृतियां आंगन की नागफनी, सत्य पथ, किस्से जिंदगी के और तुम मनुष्य हो प्रकाशित हो चुकी हैं। अधिकांश नाटक आकाशवाणी के रामपुर व दिल्ली केंद्र से प्रसारित हो चुके हैं। सत्यपथ दूरदर्शन के लिए लिखे गए नाट्य रूपांतरण और टेली फिल्मों का संग्रह है। गुरुजी फिल्म प्रोडक्शन द्वारा सत्य पथ और मोहभंग पर निर्मित टेलीफिल्म डीडीवन से प्रसारित हो चुकी है। अपने अपने सूर्यमुखी पर भी टेलीफिल्म निर्मित और प्रसारित हो चुकी है।
डॉ. अग्रवाल की नाट्य कृतियों के अतिरिक्त छायावाद का गीतिकाव्य (शोध प्रबंध) शब्दों के घेरे से, अविराम, बोल री कठपुतली (कहानी संकलन), – वाग्धारा(निबंध संग्रह) और शब्द कलश, आओ पढ़े पढ़ायें (काव्य संकलन)कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं।
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