मेरी बात
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बारिश की बूंद हूं मैं,
सफर लंबा तय करके तेरे करीब आया हूं।
फासले मीलों के थे फलक से यहां तक,
मगर मीलों चलकर मैं तेरे क़रीब आया हूं।
गिरा मैं टहनियों पर सुर्ख़ पत्तों से सरककर,
ताड़ के पेड़ से लपककर तेरे करीब आया हूं।
बारिश की बूंद हूं मैं,
सफर लंबा तय करके तेरे करीब आया हूं।
सैकड़ों थी अड़चनें इस सफर में मेरे,
कहीं बिजली लपकी तो कहीं सीप थी खड़ी।
थे बादलों में हमराही अनगिनत मेरे,
सबको तजकर मैं तेरे समीप आया हूं।
बारिश की बूंद हूं मैं,
सफर लंबा तय करके तेरे करीब आया हूं।
ऐ ज़मीं तू मुझे यूं सोखकर ग़ुमनाम न कर,
देख तेरे लिए मैं बादलों से लड़ कर आया हूं।
मैं तुझमें हूं समाहित तू मुझमें जा समा,
तुझसे मिलने के बाद मेरी बस यही है ख्वाहिश।
बारिश की बूंद हूं मैं,
सफर लंबा तय करके तेरे करीब आया हूं।
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