मेरी बात
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क्षेत्रवाद एक दिन सर्वनाश कर देगा।
घूंट ऐसे ही इलाकाइ पियोगे तो पछताना होगा।।
सुरसा की तरह बढ़ रही है, विकृत सोच की बदौलत ये डायन।
रोक लो इसे वरना एक दिन तुझे भी इसमें समाना होगा।।
क्षद्म रूप धरकर बैठा है, क्षेत्रवादी दानव तेरे मन में।
पहचान ले वक्त रहते, वरना कल तेरा भी इससे सामना होगा।।
उड़ा रहा है माखौल तू जिसका भरी महफिल में आज।
तुझे ज़रूरत थी उसकी, तभी तो दर अपने बुलाया होगा।।
गर बैठा है तेरे बीच वो, तुझसे कम काबिल वो भी न होगा।
वक्त का तमाशा देख ले, कल को तुझे भी तमाशा लगाना होगा।।
वो तुझसा ही है, अपना मित्र समझ ले।
पहुंच जाएगा कल बुलंदियों पर, तो सीने लगाना होगा।।
वक्त है,समझ ले वक्त का खेल।
वरना कल को बहुत पछताना होगा।।
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