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सपा की रामलीला में कौन नचनिया और कौन कैकेयी?

मेरी बात
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दशहरे पर हर साल गांव में रामलीला होती है। रामलीला शुरु होने से पहले पर्दे के पीछे से नचनिया (डांसर) माइक टटोल कर गाना गाते हैं। रामलीला शुरु होने से पहले ये नचनिया दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। वैसे भले ही ये दशहरे का सीजन ना हो और ना ही प्रदेश में कहीं  रामलीला हो रही है। लेकिन सूबे के मुखिया और उनके घर की लड़ाई ने दशहरे के रामलीला और नचनियों की यादें जरुर ताज़ा कर दी है।
अब देखिए ना जैसे रामलीला शुरु होने से पहले नचनिया मनोरंजन करती है। वैसे ही बाप-बाटे ने चुनाव शुरु होने से पहले साइकिल की लड़ाई कर लोगों का मनोरंजन किया औऱ सबका ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित किया। जिस प्रकार हर रोज रामलीला में नया मनोरंजन के साथ-साथ नया मंचन होता है। वैसे ही सपा में नित नया खेल और कॉमिक मनोरंजन का बंदोबस्त भी किया गया है।  रामलीला की शुरुआत होती है शिवपाल-अखिलेश के झगड़े से। इन लोगों ने आपस में दो-दो हाथ कर लोगों का मनोरंजन किया तो मंच पर साथ खड़े एक दूसरे के साथ होने का झूठा मेकअप भी चढ़ाया।
सीन थोड़ा आगे बढ़ा,तो नामकरण का दिन आया कहने का तात्पर्य है मुलायम ने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की। मुलायम के इस लिस्ट ने तो एकता कपूर के सीरियल की तरह कहानी में ट्विस्ट ला दिया। अचानक से बेटा नाराज हो गया, उसने भी अपनी एक नई लिस्ट जारी कर दी, उधर शिवपाल भी कहां पीछे रहने वाले थे उनके हाथ में भी परचा था। बेटे का लिस्ट देखकर मुलायम को लगा बेटा बड़ा हो गया है, अब जरा उसे शिक्षा के ग्रहण के लिए भेजना चाहिए परिणाम स्वरुप पार्टी से 6 साल के लिए निकालने का आदेश जारी हुआ। अब वो बात अलग है कि इस बच्चे ने एक रात में ही अपनी सारी शिक्षा पूरी कर ली और अगले ही दिन घर वापसी हो गई।
सीन और थोड़ा आगे बढ़ा बेटे ने एक रात आश्रम में बितान के बाद घर वापसी की थी इस दौरान उसने बहुत कुछ सीख लिया था। अब उसे भी अपना हुनर दिखान का मौका चाहिए था परिणाम स्वरुप उसने तीर कमान  यानि साइकिल मांग ली। कहानी ने एक बार फिर एकता कपूर के सीरियल की तरह ट्विस्ट लिया यहां मंदिर की घंटी की जगह चुनाव आयोग दरवाजा खट-खटाया जाने लगा। खट-खट-खट-खट…आयोग भी परेशान उसने धूप अगर बत्ती की तरह समर्थकों की लिस्ट मांग ली। अखिलेश की थाली में अच्छी क्वालिटी और ज्यादा मात्रा में धूप-अगरबत्ति थी। परिणाम स्वरूप आयोग बाबा अखिलेश पर खुश हुए और उनके हाथ में तीर-कमान दोनो यानी साइकिल और पार्टी का नाम दोनो दे दिया गया।
सीन थोड़ा और आगे बढ़ता है, अब आयोग बाबा प्रकट होते हैं कहते हैं वत्स मुलायम ने तो हमारे यहां कोई दावा ही नही किया था। उन्होंन अपने सिवा किसी और प्रत्याशियों का हलफनामा ही नहीं सौंपा था, जबकि हमने उनसे कहा था कि धूप अगरबत्ती के साथ-साथ फूल पत्ती भी होनी चाहिए। ये सब जुटाने के लिये उन्हें वक्त भी दिया था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब ये बात उस धोबी की  बातो की तरह फैल गई, और चारो तरफ खुसुरफुसर होने लगी।………………
वैसे सपा की ये सामलीला ठीक उसी प्रकार कटनी छटनी की गई है। जैसे समय न होने पर गांव में रामलीला का सीन काटा जाता है ।

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दशहरे पर हर साल गांव में रामलीला होती है। रामलीला शुरु होने से पहले पर्दे के पीछे से नचनिया (डांसर) माइक टटोल कर गाना गाते हैं। रामलीला शुरु होने से पहले ये नचनिया दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। वैसे भले ही ये दशहरे का सीजन ना हो और ना ही प्रदेश में कहीं  रामलीला हो रही है। लेकिन सूबे के मुखिया और उनके घर की लड़ाई ने दशहरे के रामलीला और नचनियों की यादें जरुर ताज़ा कर दी है।

अब देखिए ना जैसे रामलीला शुरु होने से पहले नचनिया मनोरंजन करती है। वैसे ही बाप-बाटे ने चुनाव शुरु होने से पहले साइकिल की लई कर लोगों का मनोरंजन किया औऱ सबका ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित किया। जिस प्रकार हर रोज रामलीला में नया मनोरंजन के साथ-साथ नया मंचन होता है। वैसे ही सपा में नित नया खेल और कॉमिक मनोरंजन का बंदोबस्त भी किया गया है।  रामलीला की शुरुआत होती है शिवपाल-अखिलेश के झगड़े से। इन लोगों ने आपस में दो-दो हाथ कर लोगों का मनोरंजन किया तो मंच पर साथ खड़े एक दूसरे के साथ होने का झूठा मेकअप भी चढ़ाया।

सीन थोड़ा आगे बढ़ा,तो नामकरण का दिन आया कहने का तात्पर्य है मुलायम ने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की। मुलायम के इस लिस्ट ने तो एकता कपूर के सीरियल की तरह कहानी में ट्विस्ट ला दिया। अचानक से बेटा नाराज हो गया, उसने भी अपनी एक नई लिस्ट जारी कर दी, उधर शिवपाल भी कहां पीछे रहने वाले थे उनके हाथ में भी परचा था। बेटे का लिस्ट देखकर मुलायम को लगा बेटा बड़ा हो गया है, अब जरा उसे शिक्षा के ग्रहण के लिए भेजना चाहिए परिणाम स्वरुप पार्टी से 6 साल के लिए निकालने का आदेश जारी हुआ। अब वो बात अलग है कि इस बच्चे ने एक रात में ही अपनी सारी शिक्षा पूरी कर ली और अगले ही दिन घर वापसी हो गई।

सीन और थोड़ा आगे बढ़ा बेटे ने एक रात आश्रम में बितान के बाद घर वापसी की थी इस दौरान उसने बहुत कुछ सीख लिया था। अब उसे भी अपना हुनर दिखान का मौका चाहिए था परिणाम स्वरुप उसने तीर कमान  यानि साइकिल मांग ली। कहानी ने एक बार फिर एकता कपूर के सीरियल की तरह ट्विस्ट लिया यहां मंदिर की घंटी की जगह चुनाव आयोग दरवाजा खट-खटाया जाने लगा। खट-खट-खट-खट…आयोग भी परेशान उसने धूप अगर बत्ती की तरह समर्थकों की लिस्ट मांग ली। अखिलेश की थाली में अच्छी क्वालिटी और ज्यादा मात्रा में धूप-अगरबत्ति थी। परिणाम स्वरूप आयोग बाबा अखिलेश पर खुश हुए और उनके हाथ में तीर-कमान दोनो यानी साइकिल और पार्टी का नाम दोनो दे दिया गया।

सीन थोड़ा और आगे बढ़ता है, अब आयोग बाबा प्रकट होते हैं कहते हैं वत्स मुलायम ने तो हमारे यहां कोई दावा ही नही किया था। उन्होंन अपने सिवा किसी और प्रत्याशियों का हलफनामा ही नहीं सौंपा था, जबकि हमने उनसे कहा था कि धूप अगरबत्ती के साथ-साथ फूल पत्ती भी होनी चाहिए। ये सब जुटाने के लिये उन्हें वक्त भी दिया था। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब ये बात उस धोबी की  बातो की तरह फैल गई, और चारो तरफ खुसुरफुसर होने लगी।………………

वैसे सपा की ये सामलीला ठीक उसी प्रकार कटनी छटनी की गई है। जैसे समय न होने पर गांव में रामलीला का सीन काटा जाता है ।

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