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आखिर कैसे सुधरेगी व्यवस्था

जरा हट के
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एकाएक सड़क हादसों की ‘बाढ़’ आ गई है। हर सप्ताह तीन सड़क दुर्घटनाएं, कई मौतें और कई घायल। किसी का पैर तो किसी का हाथ टूट रहा है। घटनास्थल से लेकर मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच तक चीख-पुकार। हादसे के बाद सहानुभूति जतानेवाले नेताओं की भीड़। दर्द से कराहते मरीजों के बीच नेताजी के स्वागत में हाथ बांधे अस्पताल के वरीय चिकित्सक। मरीज को चाहिए दवा और सही सलाह, लेकिन बड़े डॉक्टर तो नेताजी को बता रहे कि पीडि़तों का बेहतर इलाज चल रहा है। सबसे बुरी स्थिति तो उन मरीजों की होती है, जो गंभीर रूप से बीमार हैं, लेकिन उन्हें पूछनेवाला कोई नहीं। सारे डॉक्टर तो दुर्घटनाग्रस्त मरीजों की चिकित्सा में जुटे हैं। मौके पर पहुंचे मंत्री जी सड़क हादसों को रोकने के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा देते हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या मंत्री जी का यह एलान कभी हकीकत बनेगा? क्योंकि, इससे पहले हुई दुर्घटना में भी कई घोषणाएं की गई थीं…जो किसी दफ्तर की फाइल में दिख जाएंगी। क्या नेता और बड़े अधिकारी दुर्घटना के पीछे कारणों को नहीं जानते? ये जानते हैं, मगर ईमानदारी से रोकेंगे तो अगले चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। चंदा में मोटी राशि देनेवालों की संख्या घट सकती है। कुछ वोटर छिटक सकते हैं। ये नुकसान भला कोई क्यों उठाएगा? ऐसी दुर्घटना के बाद गरीब का मुंह बंद करने के लिए उन्हें चार लाख का चेक जरूर थमा दिया जाता है। मंत्री जी को पता है कि अधिकतर दुर्घटनाएं ओवरलोडिंग और अनट्रेंड ड्राइविंग की वजह से हो रही हैं। सूबे का कोई ऐसा जिला नहीं, जो ओवरलोडिंग से मुक्त हो। परिवहन विभाग का कोई दफ्तर नहीं, जहां ईमानदारी से लाइसेंस मिलता हो। फिटनेस प्रमाणपत्र का भी वही हाल। फिर दुर्घटना रुकेगी कैसे? हर जगह पैसों का ‘खेल’ हो रहा है। तय रेट देते ही नाबालिग को भी लाइसेंस मिल जाता है। आखिर व्यवस्था कब और कैसे सुधरेगी? नेताजी कब जागेंगे। 17 मार्च, 2018 को मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी के भनसपट्टी के पास बस हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि चालीस घायल हो गए थे। इस हादसे को लोग वर्षों याद रखेंगे। क्योंकि, यह हादसा इसलिए हुआ था कि बस चालक स्टेयरिंग छोड़कर गुटखा खाने में व्यस्त था, यात्री उसे अलर्ट कर रहे थे। वह बार-बार ऐसी हरकत कर रहा था, मगर भनसपट्टी के पास एकाएक ट्रक सामने आ गया और बस 30 फीट गहरी खाई में जा गिरी। बस बिल्कुल जर्जर थी, ब्रेक कमजोर और ड्राइवर निष्ठुर। यह हादसा इतना भयानक था कि एसकेएमसीएच में भर्ती पीडि़त आज भी चीख उठते हैं। 20 मार्च को इसी मार्ग में रामपुरहरि के पास ट्रक और बस में भिड़त हो गई, इसमें सिर्फ आठ लोग घायल हुए। अस्पताल में आश्वासन की कहानी फिर दोहराई गई।

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