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तालिबान की नजर परमाणु बम पर!

जरा हट के
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जैसी करनी वैसी भरनी वाली कहावत पाकिस्तान पर एकदम सटीक बैठती है। अमेरिका की मदद के बावजूद तालिबान के हमले को पाकिस्तान रो नहीं पा रहा है। तालिबान की ताकत के सामने वह बेबस दिख रहा है? कोई दिन ऐसा नहीं है कि तालिबान बेगुनाहों की जान न लेता हो। कभी मस्जिद में तो कभी किसी सार्वजनिक स्थल पर बमबारी-गोलीबारी करना उसके ‘डेली रूटीन’ में शामिल है। आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले एक साल में वह हजारों-हजार बेगुनाहों की जान ले चुका है। वर्तमान में तालिबान ने खुद का एक बहुत बड़ा ‘नेटवर्क’ तैयार कर रखा है। वह पाकिस्तान की लड़कियों तक को दिनदहाड़े उठा ले जाता है। सूत्र बताते हैं कि तालिबान लाहौर पर कब्जा जमाने के लिए भी बेचैन है। उसके पास अत्याधुनिक हथियार भी है। हजारों की संख्या में मानव बम भी है, जो उसके इशारे पर कहीं भी किसी को मिटाकर मिटने को तैयार बैठे हैं। तालिबान की नजर अब पाकिस्तान के परमाणु हथियार पर है। यह सब यदि हो रहा है तो इसके लिए खुद पाकिस्तान ही जिम्मेवार है। दुनिया जानती है कि भारत को चोट पहुंचाने और कश्मीर हड़पने की नीयत से पाकिस्तान ने ही तालिबान को जन्म दिया। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ जरदारी ने गए दिनों खुद स्वीकार किया था कि तालिबान को उन्हीं के देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अमेरिका की सीआईए की मदद से खड़ा किया। पाकिस्तान का मकसद क्या रहा होगा, इस बात से हर भारतीय बखूबी अवगत है। जरदारी का यह भी आरोप था कि पूर्व राष्ट्रपति मुशरर्फ को तालिबानियों से विशेष लगाव था। यह जगजाहिर है कि तीन दशक पहले अमेरिका-भारत के रिश्ते आज की तरह सौहार्दपूर्ण नहीं थे। अमेरिका का झुकाव भारत की तरफ तब हुआ, जब उसे लगने लगा कि इंडिया तेजी से विश्व पटल पर महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। अब अमेरिका मानता है कि पाकिस्तान में आंतकियों का मजबूत गढ़ है। सात जुलाई 2009 को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में हुई एक बैठक में भी जरदारी ने माना था कि पाक ने ही आतंकी पैदा किये। यह भी कहा कि अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को हुए हमले के पहले ये आतंकी ‘हीरो’ समझे जाते थे। इस हमले के बाद आतंकियों का मन इतना अधिक बढ़ गया कि वे पाकिस्तान को ही निशाना बनाना शुरू कर दिये। जरदारी ने यह स्वीकार किया कि छद्म कूटनीतिक हितों के लिए ही आतंकियों को पाला-पोसा गया। यह गलती आज पाकिस्तान पर ही भारी पड़ रही है। तालिबान ताबड़तोड़ पाकिस्तानी जनता पर हमला कर रहा है। सूत्रों की मानें तो ओसामा बिन लादेन भी तालिबान में ही है। अब अमेरिका भी इस बात से घबराने लगा है कि यदि तालिबानी आतंकी पाकिस्तान के परमाणु हथियार तक पहुंच गये तो कई देशों में तबाही मचा देंगे। देर से ही सही यदि जरदारी ने माना है कि पाकिस्तान की ही देन है तालिबानी आतंकी। ऐसे में पाकिस्तान को इन आतंकियों को जल्द से जल्द कुचल देना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता तो आने वाला समय पाकिस्तान के लिए और दुरूह होगा। तालिबान में अनगिनत ‘मोस्ट वांटेड’ आतंकी छिपे हैं। इनकी तलाश अमेरिका भी सालों से कर रहा है। ये आतंकी अमेरिका पर हमले की साजिश भी रच रहे हैं। यह अलग बात है कि ये उसमें सफल नहीं हो पा रहे हैं।

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