नीतीश सरकार के सत्ता में आते ही ठप पड़े सड़क व नाला निर्माण के काम में गति आ गई है। कमोबेश हर शहर में टूटी सड़कें बनने लगी हैं। यह राहत देने वाली सूचना है। जाहिर है इससे सुगम यातायात का मार्ग प्रशस्त होगा। लेकिन प्रशासन की अनदेखी से निर्माण कार्य में मनमानी का ‘खेल’ चल रहा है। संवेदकों की मनमानी चरम पर है, जिसे जिला प्रशासन चाहकर भी रोक नहीं पा रहा है। मुजफ्फरपुर शहर स्थित क्लब रोड पूरे प्रदेश के लिए एक बड़ा उदाहरण है, जिसका निर्माण कई माह से हो रहा है। फिर भी आधा किलोमीटर लंबी इस सड़क का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। अति व्यस्त मार्ग होने की वजह से कई हजार की आबादी इधर से गुजरती है और प्रतिदिन जाम में फंसती है। स्थानीय लोग इस बात को लेकर आक्रोशित हैं कि निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। सड़क जगह–जगह खुदने लगी है। गड़बड़ी उजागर होने के भय से संवदेकों ने सड़क का कालीकरण कर दिया है। सरकारी नियमानुसार निर्माण से पहले संकेतक चिह्न लगाना है। वैकल्पिक मार्ग भी चिह्नित करने का प्रावधान है, ताकि लोगों को गंतव्य स्थल तक पहुंचने में परेशानी न हो। सड़क निर्माण के साथ ही गांरटी की अवधि भी तय कर दी जाती है। यह सब कागज पर ही दिखता है, हकीकत से इसका कोई वास्ता नहीं है। हाईप्रोफाइल से जुड़े संवेदक सारे नियम–कानून से खुद को ऊपर समझते हैं। हर शहर में यह भी देखने को मिल रहा है कि नाला निर्माण के नाम पर गड्ढा खोद कर छोड़ दिया गया। इस मार्ग से आवागमन भी जारी रहता है। चारों ओर मिट्टी का ढेर के बीच से गुजरना कष्टकारी होता है। कई दिनों बाद संवेदक को निर्माण की याद आती है। जो काम सप्ताह दिन में होना चाहिए, उसे पूरा करने में माह लग जाता है। तब तक उड़ती धूलों के बीच लोग आवाजाही करते हैं। यह काबिलेतारीफ है कि अरसे बाद निर्माण को रफ्तार मिली है। एक बड़े तबके को लग रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सूबे का कायाकल्प होगा। जनता के इस विश्वास को कायम रखने के लिए जरूरी है कि प्रशासन की लुंजपुंज व्यवस्था को ठीक किया जाए, क्योंकि यह तेज विकास में बाधक है। लाखों–करोड़ों खर्च कर जो सड़क बन रही है, वो साल लगने के पहले ही टूट रही है। जाहिर है कि घटिया सामग्री का उपयोग हो रहा है। गड़बड़ी की जांच का पैमाना भी स्तरीय नहीं है। यही वजह है कि जांचकर्ता संवेदक के पक्ष में मुहर लगा देते हैं। सरकार को चाहिए कि प्रदेश में बन रही सड़कों के निर्माण कार्य की कड़ी जांच कराए। गड़बड़ी करने वाले संवेदकों के नाम काली सूची में डालनी चाहिए। इससे सरकार के प्रति जनता का भरोसा और बढ़ेगा। बीते सालों में जर्जर मार्ग से आजिज लोगों ने सड़क पर ही धनरोपनी की थी। तब आला अधिकारियों ने निर्माण का आश्वासन दिया था, जिसे पूरा किया गया। जर्जर सड़क की शिकायत के लिए ऑनलाइन पोर्टल पिछले साल अस्तित्व में आया था। हालांकि इसका ठीक से प्रचार–प्रसार नहीं हुआ, जिससे बड़ी आबादी इस सूचना से वंचित है। नीतीश सरकार पर सबकी निगाहें टिकी हैं। ऐसे में सूबे में फैली इस अव्यस्था को दूर किया जाना चाहिए।