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याकूब मेनन !
ये वो व्यक्ति है मुम्बई में 157 निर्दोष लोंगो की हत्या का मुख्य आरोपी है । हालांकि कुछ लोग उन बम विस्फोटों में 450 से ज्यादा लोंगों के मरने का दावा करते हैं पर 157 का आँकड़ा सरकारी है और निर्विवादित है । पिछले लगभग 21 सालों से हाई और सुप्रीम कोर्ट में ट्रायल चलने के बाद उसे दोनों जगह से फाँसी की सजा हुई । फिर उसकी राष्ट्रपति से की गई अपील ख़ारिज हुई तो स्टेज पे आये एक सर्वज्ञ और संविधान के बाबा साहिब से भी ज्यादा जानकार मिस्टर अससुद्दीन ओवैसी । इन्होंने कोर्ट , राष्ट्रपति समेत भारत सरकार को इस्लाम विरोधी और मुसलमानों का दुश्मन सिद्ध करने की कोशिश की ।
वैसे तो अपने ओवैसी साहब किसी परिचय के मोहताज नहीं फिर भी बता दूँ कि इस धरती पे इस्लाम के दो तीन ही खैर ख्वाह है । एक दो संगठन तो इराक वगैरह में पाये जाते हैं , अपने ओवैसी साहब ने इधर का मामला संभाल रखा है । क्या करें बेचारे इस देश की पुलिस इन्हें पन्द्रह मिनट की मोहलत नहीं देती वरना तो ये अपनी सभी समस्याओं का समाधान कर लें । तो ओवैसी साहब के स्टेज सँभालते ही मीडिया फास्ट हो गया । बयान फिर बयान पर अलग अलग लोंगों की बाइट फिर स्पेशल रिपोर्ट उसके बाद टॉक शो । बाजार में गरमागर्म तीखे मसाले वाली चटखारेदार खबर परोसनी शुरू कर दी । उधर लगे हाथ सोशल मीडिया पे भी हिन्दू मुस्लिम युवकों ने एक दूसरे की माँ बहनों को प्रेमपूर्वक याद किया । इतनी आग की आँच कहीं कम ना हो इसलिये अपने सल्लू भाई ने भी तरकश से ट्वीट निकाले और ताबड़तोड़ चला के सबको बता दिया कि उनका पोलिटिकल और लीगल ज्ञान आलिया भट्ट से कम नहीं है । उन्होंने चीख चीख के अदालत समेत सबको बताया की जज साहेब गुनाहगार कोई और है और अपना याकूब बेगुनाह है । पर क्या करें सल्लू भाई कानून अँधा होता है वो केवल सबूतों पे चलता है वरना इस दलील के बाद तो अपने जज साहब जरूर ही एमोशनल हो के याकूब को कंधे पे बिठाते और पाकिस्तान छोड़ आते ।
फ़िलहाल पापा टाइट हुए तो भाई जान बचा के ट्वीट समेत बैक फुट पे आ गए लेकिन तब तक उन्होंने भाजपा और शिवसेना को भगवा झंडा फहराने का पूरा मटेरियल प्रदान कर दिया ।
लब्बोलुआब ये कि मामला पूरी तरह हिन्दू-मुसलमान में तब्दील हो गया और दुनिया के लिये ये मुद्दा आतंकवाद बम विस्फोटों से भटक कर एक मुस्लिम के खिलाफ एक पूरे समाज का युद्ध बन गया जिसमें कोर्ट समेत राष्ट्रपति तक सब अन्याय पे उतारू हैँ और न्याय की सारी समझ ओवैसी और सलमान के पास ही है । यहाँ ये बताना गैर जरुरी है कि ये दोनो खुद कई मामलों में आरोपी हैं और फिलहाल कोर्ट ट्रायल पे हैं ।
चलते चलते मीडिया को भी छोटी सी सलाह है कि दिन भर सलमान के ट्वीट , भाजपा का विरोध , मेमन के वकील , मेमन की पत्नी के इंटरव्यू के बीच वो किसी ऐसे व्यक्ति को भी ढूँढ लेते जिसने अपना कोई अज़ीज उस दिन खोया हो । और कोई इस तर्क से याकूब को निर्दोष ठहराना चाहता है कि कभी उसका ऑफिस जला दिया गया था तो बता दूँ कि कश्मीर में लाखों कश्मीरी पंडितो के घर धर्म के नाम पे ही जलाये गए हैं इस लिहाज से तो भारत को बमों के जखीरे पे बैठे होना चाहिये ।
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